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ढीह
( ५४७ )
करणों
१५ नपुसक । १६ अस्थिर । १७ जो कड़ा या मख्त न कणौ (बौ)-क्रि० १ घुसना, प्रवेश करना (मेवात)। :- हो, नर्म । १८ गीला ।
२ देखो 'दूकरणौ' (बौ)। ढोह, (हौ)-पु० [सं० दीर्घ ] बड़ा टीवा, हा ।
ढूग, दूंगड़-देखो 'ढूगी'। दुई-देखो 'दुई'। .
ढूगरी-स्त्री० सूखे घास का व्यवस्थित रखा हेर । ढुंढ-देखो १ 'ढ' । २ देखो 'ढढौ'। -देस='डूढाई' । दूंगलियो. एंगलौ, हँगियो, दूंगीड़, गौ-पु. १ कूल्हा, नितम्ब । ढुढराव-पु० सिंह, पंचानन ।
२ गुप्तांग। दुढा-स्त्री० १ हिरण्य कश्यपु की बहन एक राक्षसी । २ देखो | ढूचौ-पु० साढ़े चार की संख्या का पहाड़ा। 'ढू ढाड़' ।
ढूंड, दंडड़-१ देखो 'ढूढ़' । २ देखो 'हूढो' । ढुंढाड़ ढुंढार, ढुढाहड़-देखो 'ढूढाड़' ।
एंडो-देखो 'ढूढ़ी'। दुढि-[सं०] गगेश का एक नाम ।
ढूढ-स्त्री. १ खोजने, तलाश करने की क्रिया या भाव । दु-पु० १ कर्म । २ दुष्ट । ३ हाथी । ४ सर्प । ५ सूर । । २ अन्वेषण, शोध । ३ नितम्बों वाला भाग। ४ बच्चे के ५ बन्दर ।
जन्म की प्रथम होली पर किया जाने वाला एक संस्कार । दुई-स्त्री०१ रीढ़ की हड्डी का नीचला भाग । २ पीठ के नीचे ५ पूर्वी राजस्थान की एक नदी । ६ देखो 'टूढो' ।
का कूल्हे पर्यन्त भाग । ३ बाजरी के सूखे डंठलों का ७ देखो 'ढूढियो' ।
महीन चारा । ४ गढ़ के नीचले भाग में होने वाला दर्द । ढूढड़, ढूढड़ियो-१ देखो 'टूढ़ियो' । २ देखो 'टूढौ' । दुनौ-देखो 'दुवौं' ।
ढूंढरपो (बौ)-क्रि० १ खोजना तलाश करना, ढूढ़ना । दुकारणौ (बी), दुकावगौ (बी)-क्रि० १ काम में लगाना । २ कार्य २ नवजात शिशु का प्रथम होली पर संस्कार करना ।
प्रारंभ कराना। ३ किसी कार्य विशेष से किसी स्थान | ३ अन्वेषण या शोध करना । ४ पीटना। विशेष पर जाने को प्रवृत्त करना ।
ढूंढाड़-स्त्री० जयपुर व उसके पास-पास का प्रदेश। दुक्करणो (बौ)-देखो 'ढकरणो' (बी)।
ढूंढाड़ी-वि० 'ढुंढाड़' का, ढूढाड़ संबंधी । -स्त्री. १ इस ढुगली-देखो 'ढिगली'।
प्रदेश का निवासी। २ इस प्रदेश की बोली। दुचको-पु० धीरे-धीरे दौड़ते हुए चलने की क्रिया ।
ढूंढाड़ी-वि० (स्त्री० ढूढाड़ी) 'ढू ढाड़' का, ढूंढाड़ संबंधी। दुचरौ-वि० (स्त्री० दुचरी) १ वृद्ध, बूढ़ा। २ अशक्त, निर्बल । -पु० १ इस प्रदेश का व्यक्ति । २ कच्छवाहा राजपूत । ढुरियो-पु०ऊट की एक चाल विशेष ।
ढूढाहड़ (हर)-देखो 'ढूंढाड़'। दुळकरणी (बो)-देखो 'ढळकरणी' (बौ)।
ढूढाहडौ(हरौ)-देखो 'ढूंढाडौ'। ढुळकारणी (बौ), दुळकावरणौ (बौ)-देखो 'ढळकाणी' (बौ) । टूढियो-पु० १ जैन साधु, भिक्षु । २ देखो 'ढूढी' । दुळहुळ-स्त्री. १ नगाड़े प्रादि वाद्य की निरन्तर होने वाली ३ देखो 'ढूढ़'। अावाज । २ ऐसे वाद्य बजने की क्रिया ।
ढूँढी-स्त्री० मरे पशु का अस्थिपंजर । दळणी (बौ)-क्रि० १ गिर जाना, हुलक जाना, बहजाना ।।
ढूंढौ-पु० १ पुराना, मकान । २ बड़ा भवन (गढ़, किला)। २ वीर गति प्राप्त होना। ३ छितराया या फैलाया जाना,
३ किसी इमारत का खण्डहर । ४ शरीर का पृष्ठ फैलना, बिखरना । ४ अधिक स्नेह से द्रवित होना ।
भाग, पीठ। ५ कृपालु, दयालु या तुष्टमान होना । ६ चंवर आदि ऊपर से घुमाया जाना । ७ झुकना, प्रवृत्त होना ।
टू-पु० १ सेतु । २ अधर्म । ३ शरीर । -स्त्री० ४ हथिनी।
५ हरिताल । -वि. स्थिर । दुळवाई. दुळाई-देखो 'ढोळाई'।
टूक-स्त्री० पहुँच। ढुलार, ढुलारौ-पु० झुण्ड, ममूह ।
ठूकड़ो (डौ)-वि० [सं० ढोकति] (स्त्री० ढ़कड़ी, डी) समीप, ढुवारी-पु० एक प्रकार का कीड़ा।
निकट, पास। दुवौ-पु० १ झुण्ड, समूह । २ मिट्टी का छोटा टीबा । ३ ढेर ।
ठूकढ़ाक-क्रि०वि० कुछ नहीं। ४ पीठ के नीचे का भाग । ५ सेना, दल । ६ अाक्रमण,
ठुकरणौ (बी)-क्रि० १ किमी काम पर लगना, संलग्न होना । हमला।
२ कई कार्यकर्तामों के साथ काम में सम्मिलित होना । ढुही-देखो 'दुई।
३ सम्मिलित होना । ४ झुकना। ५ पहुँचना । ६ प्रारंभ ढुहौ-देखो 'टुवौ' ।
होना, शुरू होना।
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