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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढीह ( ५४७ ) करणों १५ नपुसक । १६ अस्थिर । १७ जो कड़ा या मख्त न कणौ (बौ)-क्रि० १ घुसना, प्रवेश करना (मेवात)। :- हो, नर्म । १८ गीला । २ देखो 'दूकरणौ' (बौ)। ढोह, (हौ)-पु० [सं० दीर्घ ] बड़ा टीवा, हा । ढूग, दूंगड़-देखो 'ढूगी'। दुई-देखो 'दुई'। . ढूगरी-स्त्री० सूखे घास का व्यवस्थित रखा हेर । ढुंढ-देखो १ 'ढ' । २ देखो 'ढढौ'। -देस='डूढाई' । दूंगलियो. एंगलौ, हँगियो, दूंगीड़, गौ-पु. १ कूल्हा, नितम्ब । ढुढराव-पु० सिंह, पंचानन । २ गुप्तांग। दुढा-स्त्री० १ हिरण्य कश्यपु की बहन एक राक्षसी । २ देखो | ढूचौ-पु० साढ़े चार की संख्या का पहाड़ा। 'ढू ढाड़' । ढूंड, दंडड़-१ देखो 'ढूढ़' । २ देखो 'हूढो' । ढुंढाड़ ढुंढार, ढुढाहड़-देखो 'ढूढाड़' । एंडो-देखो 'ढूढ़ी'। दुढि-[सं०] गगेश का एक नाम । ढूढ-स्त्री. १ खोजने, तलाश करने की क्रिया या भाव । दु-पु० १ कर्म । २ दुष्ट । ३ हाथी । ४ सर्प । ५ सूर । । २ अन्वेषण, शोध । ३ नितम्बों वाला भाग। ४ बच्चे के ५ बन्दर । जन्म की प्रथम होली पर किया जाने वाला एक संस्कार । दुई-स्त्री०१ रीढ़ की हड्डी का नीचला भाग । २ पीठ के नीचे ५ पूर्वी राजस्थान की एक नदी । ६ देखो 'टूढो' । का कूल्हे पर्यन्त भाग । ३ बाजरी के सूखे डंठलों का ७ देखो 'ढूढियो' । महीन चारा । ४ गढ़ के नीचले भाग में होने वाला दर्द । ढूढड़, ढूढड़ियो-१ देखो 'टूढ़ियो' । २ देखो 'टूढौ' । दुनौ-देखो 'दुवौं' । ढूंढरपो (बौ)-क्रि० १ खोजना तलाश करना, ढूढ़ना । दुकारणौ (बी), दुकावगौ (बी)-क्रि० १ काम में लगाना । २ कार्य २ नवजात शिशु का प्रथम होली पर संस्कार करना । प्रारंभ कराना। ३ किसी कार्य विशेष से किसी स्थान | ३ अन्वेषण या शोध करना । ४ पीटना। विशेष पर जाने को प्रवृत्त करना । ढूंढाड़-स्त्री० जयपुर व उसके पास-पास का प्रदेश। दुक्करणो (बौ)-देखो 'ढकरणो' (बी)। ढूंढाड़ी-वि० 'ढुंढाड़' का, ढूढाड़ संबंधी । -स्त्री. १ इस ढुगली-देखो 'ढिगली'। प्रदेश का निवासी। २ इस प्रदेश की बोली। दुचको-पु० धीरे-धीरे दौड़ते हुए चलने की क्रिया । ढूंढाड़ी-वि० (स्त्री० ढूढाड़ी) 'ढू ढाड़' का, ढूंढाड़ संबंधी। दुचरौ-वि० (स्त्री० दुचरी) १ वृद्ध, बूढ़ा। २ अशक्त, निर्बल । -पु० १ इस प्रदेश का व्यक्ति । २ कच्छवाहा राजपूत । ढुरियो-पु०ऊट की एक चाल विशेष । ढूढाहड़ (हर)-देखो 'ढूंढाड़'। दुळकरणी (बो)-देखो 'ढळकरणी' (बौ)। ढूढाहडौ(हरौ)-देखो 'ढूंढाडौ'। ढुळकारणी (बौ), दुळकावरणौ (बौ)-देखो 'ढळकाणी' (बौ) । टूढियो-पु० १ जैन साधु, भिक्षु । २ देखो 'ढूढी' । दुळहुळ-स्त्री. १ नगाड़े प्रादि वाद्य की निरन्तर होने वाली ३ देखो 'ढूढ़'। अावाज । २ ऐसे वाद्य बजने की क्रिया । ढूँढी-स्त्री० मरे पशु का अस्थिपंजर । दळणी (बौ)-क्रि० १ गिर जाना, हुलक जाना, बहजाना ।। ढूंढौ-पु० १ पुराना, मकान । २ बड़ा भवन (गढ़, किला)। २ वीर गति प्राप्त होना। ३ छितराया या फैलाया जाना, ३ किसी इमारत का खण्डहर । ४ शरीर का पृष्ठ फैलना, बिखरना । ४ अधिक स्नेह से द्रवित होना । भाग, पीठ। ५ कृपालु, दयालु या तुष्टमान होना । ६ चंवर आदि ऊपर से घुमाया जाना । ७ झुकना, प्रवृत्त होना । टू-पु० १ सेतु । २ अधर्म । ३ शरीर । -स्त्री० ४ हथिनी। ५ हरिताल । -वि. स्थिर । दुळवाई. दुळाई-देखो 'ढोळाई'। टूक-स्त्री० पहुँच। ढुलार, ढुलारौ-पु० झुण्ड, ममूह । ठूकड़ो (डौ)-वि० [सं० ढोकति] (स्त्री० ढ़कड़ी, डी) समीप, ढुवारी-पु० एक प्रकार का कीड़ा। निकट, पास। दुवौ-पु० १ झुण्ड, समूह । २ मिट्टी का छोटा टीबा । ३ ढेर । ठूकढ़ाक-क्रि०वि० कुछ नहीं। ४ पीठ के नीचे का भाग । ५ सेना, दल । ६ अाक्रमण, ठुकरणौ (बी)-क्रि० १ किमी काम पर लगना, संलग्न होना । हमला। २ कई कार्यकर्तामों के साथ काम में सम्मिलित होना । ढुही-देखो 'दुई। ३ सम्मिलित होना । ४ झुकना। ५ पहुँचना । ६ प्रारंभ ढुहौ-देखो 'टुवौ' । होना, शुरू होना। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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