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ढिलंगी
ढीलु
ढिलगौ-वि० १ सुस्त, पालसी । २ ढीला-ढाला ।
ढीचाळ, ढीचाळी-देखो 'ढींच'। (स्त्री० ढीचाळी) ढिलाई-स्त्री० १ ढीलापन । २ सुस्ती, पालस्य । ढीठ-वि० [सं० धृष्ट] १ जिद्दी, हठी । २ हठधर्मी, दुराग्रही। ढिलाणी (बी) ढिलावणौ (बी)-क्रि० १ ढीला करवाना । ३ निष्ठुर, धृष्ट । ४ अशिष्ट ।। २ शिथिल करवाना ।।
ढोठता-स्त्री० [सं० धृष्टता] १ जिद्द, हठ । २ दुराग्रह । ढिली- १ देखो 'दिल्ली' । २ देखो ढीली' । ३ देखो ढील' । ३ धृष्टता, निष्ठुरता । ४ अशिष्टता । ढिल्लिय, ढिल्ली. दिल्लीउ-देखो दिल्ली'। —पत, पत्ती, पह= ढोठो-देखो 'ढीठ'। (स्त्री० ढीठी) 'दिल्लीपति'।
ढीब, ढोबड़, ढोबड़ियौ, ढोबड़ौ-देखो 'ढीमड़ौ' । ढिल्लो-देखो 'ढीलौ' । (स्त्री० ढिल्ली)
ढीबस, ढीबसियो, ढीबसौ-पु० मिट्टी का नन्हा दीपक । ढिस्सौ-पु० सख्त मिट्टी का टीबा । कठोर टीबा ।
ढीम, ढीमड़-पु० बड़ा फोड़ा या गांठ । -वि०१ मूर्ख, नासमझ । ढीक-पु० १ लाल मुह का एक पक्षी विशेष । २ मुष्ठिका २ देखो 'ढीमड़ौ'। प्रहार ।
ढोमड़ियो, ढीमड़ौ-पु० १ शरीर के किसी अंग में होने वाली ढींकड़जी, ढींकड़ो-वि० (स्त्री० ढींकड़ी) अमुक । ढिमका। ग्रंथि, फोड़ा । २ रहट का प्रा । ३ बालू का टीबा। ढीकरणो-वि० (स्त्री० ढीकरणी) रंभाने वाला।
-वि० मूर्ख, नासमझ। ढीकरणौ (बौ)-क्रि० रंभाना, रेंकना।
ढीमर-पु० [सं० धीवर] मछुया, मल्लाह । ढीकाळी-स्त्री० एक प्रकार की लता विशेष ।
ढोर, ढीरकियो, ढोरकी, ढीरको, ढीरड़ौ, ढीरियो, ढीरी, ढोंकेळ-स्त्री० रहट के स्तम्भ को स्थिर रखने वाले डंडों को | ढोरौ-पु० १ कांटेदार वृक्ष या झाड़ी की टहनी । २ सूखी जोड़ने वाली कील ।
___झाड़ी का पुज। ढोंगळ, ढींगळियो, ढींगळौ, ढींगोळ, ढोंगोळियौ, ढींगोळी, ढोल-स्त्री. १ विलम्ब, देरी। २ छूट । ३ समय, अवसर । ढोंगोळी-पु० १ मिट्टी के टूटे बर्तन का बेडौल भाग । ४ सुस्ती । ५ सुविधा । ६ स्थिति ठीक करने का विशेष २ बड़ा छेद ।
अवसर । ७ बंधन का ढीलापन । ५ रस्सी के खिंचाव में ढींगौ-वि० (स्त्री० ढींगी) १ जबरदस्त, जोरदार । २ बड़ा। कमी। ९ यूका, जु' । १० पतंग को बढ़ाने की क्रिया । ढीच, ढींचाळ, ढींचाळी-पु० १ जलाशयों के किनारे रहने वाला | -वि० जिसके ठहरे या बंधे हुए छोरों के बीच झोल हो ।
पक्षी । २ कंक पक्षी । ३ कूप, कूमा । ४ ऊंट, भैसे आदि से | ढीलउ-देखो 'ढीलौ'। पानी ढोने का काठ का उपकरण । ५ हाथी। -वि० ढीलड़ी-१ देखो "दिल्ली' । २ देखो 'हेलड़ी' । ३ देखो 'ढील'। १ बड़े डीलडौल वाला । २ प्रभावशाली।
ढोल-ढालौ-पु० हाथी, गज । ढीब, ढीबड़, ढीबड़ियो, ढोंबड़ी-देखो 'ढीमड़ौ'।
ढीलणौ-वि० (स्त्री० ढीलणी) १ सुस्त, आलसी । २ ढीला । ढोंम, ढोमड़, ढीमड़ियो, ढीमड़ो-देखो 'ढीमड़ो'।
ढीलणी (बौ), ढीलवरणौ (बी)-क्रि० १ बन्धन मुक्त करना । ढी-पु० १ बिल्व वृक्ष । २ ब्रह्मचर्य । ३ शिष्य । ४ गधा ।
२ ढीला छोड़ना । ३ डोरी आदि आगे बढ़ाना । ५ वृक्ष । -स्त्री० ६ पृथ्वी । ७ मति, बुद्धि ।
४ छोड़ना, नियंत्रण में न रखना। टीक-पु० १ अनाज में पड़ने वाला एक कीड़ा विशेष । २ गरीब । ३ अमीर, धनाढ्य । ४ देखो 'ढीक' ।
| ढोलिणौ-पु० (स्त्री० ढीलिणी) दिल्लीवासी। ढोकड़जी, ढीकड़ियौ-देखो 'ढींकड़ौ'।
ढीलिपति (पती)-पु. दिल्लीपति, बादशाह । ढीकड़ी-१ देखो 'ढीकली' । २ देखो 'ढींकड़ो' । (स्त्री०) ढीली-१ देखो 'दिल्ली' । २ देखो 'ढोलो' (स्त्री०)। -पति, ढीकडो-देखो 'ढींकड़ो'।
पतौ-'दिल्लीपति' । ढीकरणौ (बी)-देखो 'ढींकणी' (बी)।
ढोलु , ढीलू, ढीलो-वि० [सं० शिथिलक] (स्त्री० ढीली) ढोकली-स्त्री० १ पत्थर फेंकने का तोप-नुमा एक प्रचीन यंत्र ।
१ मंद, धीमा । २ जिसका बंधन शिथिल हो । __ २ देखो 'ढेकली'।
३ शिथिल । ४ सुस्त, पालसी । ५ कमजोर, निर्बल, ढोकुली-देखो 'ढीकली' ।
अशक्त । ६ जिसमें तनाव या खिंचाव न हो। ७ जिसकी ढीकोळ-पु० युद्ध, संग्राम ।
पकड़ ढीली हो । ८ अतत्पर, असावधान । ६ नाप आदि ढीगाळ-वि० [सं० दीर्घाल] महान्, बड़ा ।
में कुछ बड़ा हो । १० जो अडिग व दृढ़ न हो । ११ जो ढीच-देखो 'ढींच'।
भली प्रकार न जुड़ा हो, असंलग्न । १२ स्वभाव में शान्त, ढीचकनळियौ-पु० एक पक्षी विशेष ।
नर्म । १३ रिक्त, खाली। १४ अपने नियंत्रण से मुक्त ।
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