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ठवड़
( ५२२ )
ठहराणी
ठवड़-देखो 'ठौड़'।
ठह-वि० १ कटिबद्ध, सन्नध, तैयार । २ सुसज्जित । ठवण -पु० [सं० स्थापन] संस्थापन (जैन)।
३ देखो 'है'। ठवणा-स्त्री० [सं० स्थापना] स्थापना, स्थापित करने की ठहक-स्त्री० १ नगारे की ध्वनि, ठहका। २ प्रहार या चोट की
क्रिया । (जैन) --कम, कम्म-पु० उक्त प्रकार का कर्म। ध्वनि । ३ हंसी की आवाज । ४ स्तब्धता । ठवणी-स्त्री० [सं० स्थापनी, स्थापिका] १ न्यास रूप में रखा | ठहकणी (बौ)-क्रि० १ नगाड़ा, वाद्य आदि बजना । २ ध्वनि
हुअा द्रव्य, न्यास । २ पुस्तक रखने का काष्ठ का होना। ३ चोट या प्राघात करने से ध्वनि होना। ४ कोयल,
उपकरण । ३ चार तीलियों का ढांचा, प्रासन (जैन)। मोर आदि का बोलना। ठवणुछव-पु० स्थापनोत्सव ।
ठहकाणौ (बौ)-क्रि० १ नगाड़ा वाद्य आदि बजाना । २ ध्वनि ठवणी (बौ)-क्रि० १ रखना, टेकना । २ सजाना । ३ स्थापित करना। ३ चोट या आघात से ध्वनि करना । ४ बजा किया जाना। ४ कहना, कथना । ५ होना।
कर जांचना । ठविय-पु० [सं० स्थापित] साधु-साध्वी के लिए रखा पदार्थ, | ठहको-देखो 'है'को' । भोजन ।
ठहक्कणौ (बौ)-देखो 'ठहकणो' (बी)। ठविया-स्त्री० [सं० स्थापिता] भविष्य में प्रायश्चित करने का | ठहक्काणी (बी)-देखो 'ठहकाणी' (बौ)। निश्चय (जैन)।
ठहठहणौ (बो)-क्रि० १ उचित ढंग से कार्य होना । २ युद्ध ठस-वि० १ अपने स्थान पर जमा हुआ, दृढ़, मजबूत । २ जो | होना । ३ होना।
हिल न सके, खिसक न सके । ३ कठोर, कड़ा। ४ अड़ा | ठहठहाणी (बी)-क्रि० १ उचित ढंग से कार्य कराना । हुआ । ५ पूर्ण भरा हुआ । ६ ठूसा हुा । ७ कंजूस,
२ युद्ध कराना। कृपण । ८ सुस्त, निष्क्रिय । ६ पूर्ण, परिपूर्ण ।
ठहणी (बो)-क्रि० [सं० स्था] १ निश्चित होना, निर्धारित ठसक-स्त्री. १ स्वाभिमान, आन, शान । २ अहंकार, गर्व ।
होना । २ उचित व्यवस्था होना। ३ स्थिर होना, ठहरना। ३ ऐंठ, अकड़ । ३ चटक-मटक, नखरा । ४ ठेस, धक्का ।
४ लगना, पड़ना (चोट) । ५ स्थापित होना, जमना । ५ बनावटी शृगार । ६ शेखी, गल्ल । ७ टीस दर्द, कसक ।
६ शोभित होना । ७ प्राघात पहुँचना । ८ बजना । ९ ठोस -दार-वि० स्वाभिमानी । गौरवशाली । गविला ।
होना, जमना, ठसना । १० धारण करना । ऐंठीला। ठसकाळी, ठसकीलो-वि० (स्त्री० ठसकीली) १ स्वाभिमानी,
ठहरणो (बौ)-क्रि० १ रुकना, ठहरना । २ गतिहीन होना। गौरवशाली, गविला, पान-बान वाला। २ नखरे वाला।
३ रहना, मानना, मान जाना । ४ साथ देना, अडिग ३ शेखी बघारने वाला।
रहना, अटल रहना । ५ दृढ़ रहना, पक्का रहना। ठसको-पु० १ टेस, धक्का । २ ठोकर, टक्कर । ३ शान ।
६ स्थिर रहना, टिका रहना । ७ स्थान पर रहना, डेरा ४ नखरा । ५ घमंड। ६ रह-रह कर चलने वाली खांसी।
देना, विश्राम करना । ८ बना रहना। ९ स्थिर रहना, ठसणी (बौ)-क्रि० [सं० स्तब्ध] १ घी आदि तरल पदार्थ का
अविचलित रहना, धैर्य रखना । १० थमना, रुकना । ठंडक पाकर जमना, तरल न रहना। २ तरल धातु का
११ निश्चित होना, तय होना । १२ एकत्र होना, जमा ठोस होना । ३ रुकना, गतिहीन होना । ४ प्रविष्ठ होना
होना । १३ गर्भ धारित होना। १४ प्रतीक्षा करना। पैठना । ५ फंसना, फंस कर रुक जाना।
१५ बंद होना। ठसाठस-वि० ठूस-ठूस कर भरा हमा। -क्रि० वि०१ अधिक | ठहरांण-देखो 'ठहराव' ।
सटकर या भिड़ाकर । २ढूंस-ठूस कर, खचाखच । ठहराई-स्त्री० १ ठहराने की क्रिया या भाव । २ मजदूरी, ३ गुजाइश से अधिक डालकर ।
पारिश्रमिक । ठसाणी (बी)-क्रि० १ घी आदि तरल पदार्थ को ठंडा करना, ठहराणी (बी)-क्रि० १ रोकना, ठहराना। २ गतिहीन करना।
जमाना। २ तरल धातु को ठोस करना। ३ रोकना, गति | ३ रखना, मनवाना । ४ साथ दिराना । अडिग रखना, हीन करना । ४ फसाना । ५ प्रविष्ठ कराना, पैठाना । अटल रखना। ५ दृढ़ रखना, पक्का रखना । ६ स्थिर ५ कोई वस्त्र जबरदस्ती पहनना।
रखना। टिकाये रखना। ७ स्थान पर रखना, डेरा दिराना, ठसो, ठस्सौ-पु. १ विशेषता, खासियत । २ बोल-बाला । विश्राम कराना । ८ बनाये रखना । ९ स्थिर रखना, ३ प्रभाव । ४ विशेष महत्व । अभिमान, गर्व में झूमने
अविचलित रखना। १० थमाना, रोकना। ११ निश्चित की क्रिया।
करना । तय करना । १२ एकत्र करना, जमा करना।
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