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ठणकारणी
( ५२१ ।
ठरणा
ठणकाणी (बो) क्रि० १ किसी वस्तु पर प्राघात से टन्-टन् ध्वनि | ठरक-स्त्री० १ हानि, नुकसान । कमी। २ देखो 'ठसक' ।
पैदा करना । २ वाद्य बजाना । ३ अनिष्ट का आभास | ठरकणी (बी)-क्रि० १ होना । २ पीटा जाना । ३ देखो देना । ४ भगाना।
'टरकरणी' (बौ)। ठणकार-स्त्री०१ ध्वनि विशेष । २ टणकार ।
ठरकाणी (बी), ठरकावणी (बौ)-कि० १ करना । २ पीटना, ठणको-पु. १ बल, शक्ति । २ संदेह, आशंका । ३ ऐश्वर्य, मारना । ३ देखो 'टरकाणी' (बी)।
ठाट-बाट । ४ ध्वनि, शब्द । ५ रोने का भाव । ६ गर्व ठरकियोड़ी-वि० (स्त्री० ठरकियौ) १ मूर्ख, गंवार, अयोग्य । घमण्ड । ७ देखो 'ठुणको' ।
२ चोट खाया हुआ। ठणण, ठणणण, ठणणाहट-स्त्री० टन्-टन् ध्वनि ।
ठरकेत-वि० 'ठरका' रखने वाला । ठाट-बाट वाला । ठणणो (बी)-क्रि० १ सज्जित होना तैयार, होना । २ बनना, क्षमता वाला, सक्षम ।
रूप लेना । ३ निश्चित होना, तय होना। ४ ठहरना, स्थिर ठरकेल-वि० १ हीन । २ अयोग्य । ३ निर्बल । ४ निर्धन,
होना । ५ युद्ध, प्रतियोगिता आदि की स्थिति प्राना। कंगाल। ठणहणणो (बो)-देखो 'ठणंकणी' (बौ) ।
ठरकल-देखो'ठरकेल'। ठरणाको-देखो 'ठणको' ।
ठरको पु० १ वैभव, सम्पत्ति । २ ठाट-बाट । ३ क्षमता, ठणो (बो)-देखो 'ठहणी (बी)।
औकात । ४ गर्व, घमण्ड, ठसक । ५ चोट, प्रहार । ठपकाणी (बी) ठपकारणो(बो)-क्रि० १ कील आदि ठोकना। ६ बलि पशु को काटने के लिए दिया जाने वाला शस्त्र
२ ढीले हुए कल पूर्जा को ठोक-ठाक कर मजबूत करना । का झटका । ७ बल, शक्ति । ८ प्रतिष्ठा, गौरव । ३ हल्की चोट कर बजाना।
ठरड़-स्त्री० पांव या किसी वस्तु को धींसने या रगड़ने की ठप्प-पु० [सं० स्थाप्य] एकाएक रुक जाने की दशा । -वि० ध्वनि।
१ पूर्ण रूप से रुका हुना, बंद, क्रियाहीन । २ अवरोधित । ठरड़णो (बौ)-क्रि० १ घसीटना, खींचना । २ पांव रगड़ कर ३ अनुपयोगी। (जैन)
चलना। उप्पौ--पु० १ गत्ता । २ कोई मुद्रा या मोहर। ३ ऐसी मुद्रा | ठरड़ौ-पु. १ घटियास्तर का शराब । २ पथरीली, समतल
का चिह्न। ४ वस्त्र छापने का उपकरण। ५ सांचे से | भूमि । ३ पोकरण (राजस्थान) के समीप का एक भू-भाग । बनाया हुआ बेल-बूटा, छाप ।
| ठरठिम-वि० ऐंठन युक्त । ठबक,ठबको-पु० १ दोष, कलंक, दाग । २ उपालंभ । ठरणौ (बी)-क्रि० १ शीतल पड़ना, ठंडा होना । २ उष्णता ३ हानि, नुकसान ।
हीन होना। ३ सर्दी से जकड़ना, ठिठुरना । ४ क्रोध शांत ठभणी (बौ)-क्रि० १ स्तब्ध, दंग, चकित होना। २ देखो होना । ५ जोश समाप्त होना । ६ शांत होना । 'थमणो' (बौ)।
७ निर्बल होना। ठमको (क्को)-देखो 'ठमको' ।
ठळ-स्त्री० सेना, दल । ठम-स्त्री० चलते समय पांव रखने की क्रिया ।
ठळक-स्त्री. १ आंसू छलकने की क्रिया या भाव । २ रुलाई । ठमक-स्त्री० १ चलते समय एड़ी की लचक, ठसक । २ मंद एवं | ठळकणौ (बौ)-क्रि० १ आंसू बहना, रोना । २ द्रव पदार्थ का
सुन्दर चाल । ३ किसी धातु की वस्तु से होने वाली ध्वनि । छलकना । ३ प्रहार होना, आघात पड़ना। ठमकणी (बौ)-क्रि० १ डग रखना, पैर रखना। २ चलना, | ठळकाणौ (बो)-क्रि० १ आंसू बहाना । २ द्रव पदार्थ का
गतिमान होना । ३ मंद गति से गमन करना। ४ बजना। छलकाना । ३ प्रहार कराना । ठमकाणौ (बौ), ठमकावणी (बी)-क्रि० १ चलाना, गतिमान ठळकौ-पु० ठेस, आघात । चोट । करना । २ बजाना, ध्वनि करना ।
ठळणी (बौ)-क्रि० १ तय किया जाना । २ निश्चित होना। ठमको-पु० १ चलने का सुन्दर ढंग। २ चलते समय पायल की ३ चुना जाना।
ध्वनि । ३ चटक-मटक, नखरा । ४ नृत्य का एक ढंग। ठळळाड़णी (बी), ठळळाणौ (बौ), ठळळावणौ (बौ)-क्रि० ५ चलते समय पांव की आवाज । ६ धमका ।
हुक्का गुड़गुड़ाना। ठमणी-देखो 'ठवणी'।
ठळोकड़ी-स्त्री० हंसी, दिल्लगी। ठमणो (बौ)-देखो 'थमरणो' (बौ)।
ठल्ल-स्त्री० १ धकेलने की क्रिया या भाव । २ देखो 'ठालो' । ठमाणौ (बौ)-देखो 'थमाणी' (बौ)।
ठल्लणौ (बी)-१ देखो 'ठेलणी' (बौ)। २ देखो 'ठाळणी' (बी)। ठयो-ठायो-वि० [सं० स्थापित] बना-बनाया तैयार, स्थापित । ठवणा-देखो 'ठवरणा' ।
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