________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जियाफत
। ४७१ )
जिह्वास्तंभ
जियाफत-स्त्री० [अ०] १ मेहमानदारी । [म. हिफाजत] जिल्द बनाने का कार्य । -साज-पु० जिल्द बनाने वाला २ हिफाजत, देखरेख, रक्षा।
कारीगर। -साजी-'जिल्दबंदी'। जियार--क्रि०वि० जिस समय, जब । -पु० जीवन । जिल्लायत-देखो 'जिलायत' । जियारत-स्त्री० [अ०] १ तीर्थ यात्रा । २ दर्शन, दीदार । जिल्लो, जिल्ही-देखो 'जिलो' । जियारती-पु. १ तीर्थ यात्री। २ दर्शनार्थी।
जिवड़ो-वि० १ जैसा, वैसा, समान । २ देखो 'जीव' । जियारां-क्रि०वि० जिस समय, जब ।
(स्त्री० जीवड़ी)। जियारि-पु० [सं० जितारि] तीसरे तीर्थंकर के पिता (जैन)। | जिवणी (बो)-देखो 'जीवरणो' (बी)। जियारो-देखो 'जीवारी'।
जिवासभ-देखो 'जीवतसिभ' । किरह-स्त्री० [अ० जुरह] १ सच्ची बात उगलवाने के लिए जिवाणी-देखो 'जीवांणी' ।
घुमा फिरा कर की जाने वाली पूछताछ । २ वकीलों की | जिवाई-स्त्री० जीने की क्रिया या भाव । जीवन । प्रायु ।
बहस । ३ तर्क-वितर्क । [फा० जिरह] ४ कवच । जिवारणी (बो)-देखो 'जीवाणी' (बी)। जिरही-वि० १ कवचधारी । २ बहस करने वाला । जिबारी-देखो 'जीवारी'। जिराफ-पु० [अ० जुर्राफ] अत्यन्त लंबी गर्दन व ठिगनी पीठ | जिव्हा-स्त्री० [सं० जिह्वा] जीभ, रसना । का एक जानकार विशेष, जरख ।।
| जिस (उ)-वि० विभक्तियुक्त विशेष्य के साथ 'जो' का रूप । जिलवत-स्त्री० [अ० जिल्वत] स्वयं को प्रगट करने की क्रिया -क्रि०वि० जैसे, जिस प्रकार । -सर्व विभक्ति लगने के या भाव।
पहले 'जो' का रूप। जिलह-देखो 'जिलै'। -दार='जिलदार' ।
जिसउ, जिसड़ा-देखो 'जिसौ' । जिलहरी-पु० एक रंग विशेष का घोड़ा।
जिसन (नु)-पु० [सं० जिष्णु] १ अर्जुन । २ इन्द्र । ३ विष्णु । जिलाइयत-देखो 'जिलायत' ।
४ मूर्य । -वि० जीतने वाला, विजयी । जिलाणी (बी)-देखो 'जीवाणी' (बी)।
जिसम, जिसिम-पु० [फा० जिस्म शरीर, देह, तन । जिलावारी-स्त्री० [फा०] १ जिलेदार या जिलायत का पद । जिसौ-वि० (स्त्री० जिसिइ, जिसी) जैसा, वैसा । २ इस पद के कर्त्तव्य ।
जिस्णु (स्ण)-देखो 'जिसन' । जिलायत-पु० [फा०] १ जिलाधीश, जिले का अधिकारी। जिस्यांन-क्रि०वि० जैसे, जिस प्रकार । -वि० जैसा । २ छोटा जागीरदार।
जिस्यू, जिस्यौ-क्रि०वि० जैसे। -वि. जसा । जिलासाज-पु० सिकलीगर ।
जिहं-सर्व० जिस । -क्रि० वि० जहां । जिलो-वि० १ कमजोर, निर्बल । २ पतला, क्षीण । ३ देखो | जिह-देखो 'जीभ' । ___ 'झिल्ली'।
जिहग-पु० [सं० जिह्मग] सर्प । तीर, बांण । जिलेवार-देखो 'जिलायत'।
जिहडो-देखो 'जिसौ'। जिळेबो-देखो 'जळेबी'।
जिहां-क्रि०वि० जहां, जिस जगह । -सर्व० जिन । जिल-स्त्री० [अ० जिला] १ प्राभा, कांति । २ शोभा छबि । जिहांनी-वि० संसार, संबंधी, सांसारिक ।
-दार-वि० चमकदार, कांति युक्त । बड़े जागीरदार के | जिहाद-पु० [अ०] मुसलमानों का धार्मिक युद्ध । धार्मिक अधीनस्थ छोटा जागीरदार ।
। आन्दोलन । जिली-पु० [अ० जिला] १ किसी एक जिलाधीश या प्रशासक | जिहाळत-स्त्री० [अ० जहालत] मूर्खता । अज्ञानता ।
के अधिशासन में रहने वाला क्षेत्र, प्रान्त । २ किसी बड़े जिहि जिहि-सर्व० जिस । -क्रि०वि० जैसे । -वि० जैसा । जामीरदार के अधीन छोटे-छोटे जागीरदारों का एक जिह्मग, जिह्मग-वि० [सं० जिह्मग] १ धीमा, मंद । २ टेढ़ामिश्चित क्षेत्र । ३ सेना, फौज। [तु.] ४ अधिकार, वश, । मेढ़ा चलने वाला। -पु. सर्प । काब । ५ लगाम । ६ राजानों की सवारी का कोतल | जिह्मगति-प० सर्प, सांप। . घोड़ा।
जिह्वामूळ-पु० जीभ का पिछला भाग । जिल्द-स्त्री० [अ० १ ऊपर का चमड़ा । २ पुस्तक का प्रावरण । ३ दफ्ती लगाकर किसी पुस्तक के प्रावरण की
जिह्वामूळी, (मूळीय)-वि० जिह्वामूल से संबंधित । मजबूत सिलाई। ४ किसी ग्रंथ की एक कृति, भाग या उप- | जिह्वालिट्ट-पु० [सं०] श्वान, कुत्ता। खण्ड। --गर, बद-वि० जिल्द बनाने वाला। -बंदी-स्त्री० जिह्वास्तंभ-पु० [सं०] एक प्रकार का वात रोग।
For Private And Personal Use Only