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जहवंत
जांजर
जहवंत-वि० यशस्वी।
जहोवइट्ठ-अव्य यथा उपदेश । जहसत्ति-अव्य० यथा शक्ति ।
जह नवी-देखो 'जान्हवी'। जहां-अव्य० [सं० यत्र] जिस स्थान पर। -पु० [फा० जहान] | जह नुसप्तमी-स्त्री० [सं०] वैशाख शुक्ला सप्तमी, गंगा सप्तमी । संसार, जगत।
जव्हार-देखो 'जुहार'। जहाण (न)-पु० [फा० जहान] संसार, विश्व ।
नां-सर्व जिन, उन, जिस । -क्रि० वि० जब, जबतक, जहां। जहांनमी (वी, नेवी, नवी)-देखो 'जान्हवी' ।
-वि० जितना। जहांपनाह-पु० [फ०] १ संसार का रक्षक, पालनहार । जाई-पु० १ जवांई, जमाता । २ देखो 'झाई'। २ राजा, बादशाह । ३ ईश्वर ।
जांउ-क्रि० वि० जब, जबतक । जहा-अव्य० [सं० यथा] जैसे, जिस प्रकार । (जैन)
जांग-स्त्री० १ घोड़ों की एक जाति । २ जांघ, जंघा । जहाच्छंद-वि० [सं० यथाच्छन्द] स्वच्छन्द । (जैन)
जांगड़-देखो 'जांगड़ो' । जहाजाय, (जायत्ति)-वि० [सं० यथाजात] १ माता के गर्भ से |
| जांगड़ा-स्त्री० १ भाटों की एक शाखा । २ नाइयों की एक
शाखा । ३ ढोलियों की एक शाखा । ४ वीर रस पूर्ण एक निकला जैसा नग्न । २ जड़, मूर्ख ।
राग । ५ एक बढ़ई जाति विशेष (शेखावटी)। जहाजी-वि० [अ०] जहाज से संबंधित । -पु०१ तलवार बनाने
जांगड़ियो-पु० 'जांगड़ा' शाखा का व्यक्ति । का अच्छा लोहा । २ एक प्रकार की तलवार ।
जांगड़ो-पु. १ ढोली, दमामी। २ वीर रस पूर्ण राग। -वि. जहाजेठ-अव्य० [सं० यथाज्येष्ठ) बड़ाई के क्रम से, १ जबरदस्त, जोरदार । २ महान । ३ जांगड़ा जाति का वरिष्ठता से।
व्यक्ति । -सागौर-पु० डिंगल का एक छन्द विशेष । जहाजोग-प्रव्य० यथायोग्य । (जैन)
जांगळ-पु० [सं०] १ तीतर। २ सौराष्ट्र प्रदेश । ३ मरु प्रदेश । जहाठांण-अव्य० यथास्थान । (जैन)
४ मांस । ५ हिरन का मांस । ६ जहर, विष । -वि. जहातच्च-वि० यथातथ्य, वास्तविक, सत्य । (जैन)
१ रम्य, सुन्दर । २ जंगली । ३ देहाती। ४ उजाड़, सूना । जहातह-पु. वास्तविकता, सच्चाई। (जैन)
जांगळो-देखो 'जांगळवी'। जहाद-देखो 'जिहाद'।
जांगळवा (वै), जांगळवौ, जांगळू, जांगळूवौ-पु० जांगलू देश । जहाभूत (भूय)-वि० [सं० यथाभूत] वास्तविक । (जैन)
बीकानेर । -राय-पु० उक्त देश का अधिपति । श्री जहार-वि० [अ० जाहिर] १ प्रकट, विहित, जाहिर । | करणीजी । २ प्रकाशित ।
जांगळो-वि० योद्धा, वीर । जहालत-स्त्री० [अ०] मूर्खता, अज्ञानता ।
जांगियौ-देखो 'जांघियो' । जहासुय-अव्य० यथाश्रुत । (जैन)
जांगी-पु० १ नगाड़ा, ढोल । २ ढोली, दमामी। --हरड़े, जहासह-प्रव्य० यथासुख । (जैन)
____ हरडं-पु. बड़ी हरड़। जहि (हि)-सर्व० १ जो, जिस । २ देखो 'जहीं'।
जांगेस-पु० युद्ध का राग, सिंधुराग । जहिच्छ (च्छा), जहिच्छिय-प्रव्य० १ यथेच्छ । (जैन)। जांघ-स्त्री० [सं० जंघा] १ घुटने से कमर तक का भाग । २ यथेच्छा । (जैन)
२ देखो 'जंघा'। जहीं (ही)-वि० जैसी । -अव्य० १ जैसेही, ज्यों ही। २ जब ।। | जांघियो-पु० १ जंघा पर पहनने का वस्त्र, अधोवस्त्र, कच्छी। ३ जहां।
२ एक प्रकार की कसरत । जहीई-कि०वि० यदा-कदा । (जैन)
जांच-स्त्री० १ निरीक्षण, देखभाल । २ परख, परीक्षण । जहीन-वि० [अ०] समझदार, विवेकशील ।
३ पूछताछ, पड़ताल । ४ शोध, खोज । ५ याचना । जहूट्ठिलौ-देखो 'जुधिस्ठर' ।
जांचरणी (बी)-क्रि० १ निरीक्षण करना, देख भाल करना। जहूरी-पु० जौहरी।
२ परखना, परीक्षण करना । ३ पूछताछ करना, पड़ताल जहूर-वि० [फा० जुहूर] १ प्रगट, जाहिर । २ प्रकाशमान । ___ करना। ४ शोध करना, खोजना । ५ याचना करना ।
-स्त्री. १ प्रगट व जाहिर करने की क्रिया या भाव, जांजरण-स्त्री० १ पीतल की बनी छोटी घंटिका । २ घुघुरू, प्रकाशन । २ कांति, प्राभा ।
गुरिया। जहेज-पु० दहेज।
जांजर-देखो 'जांझर' । जहोइय (चित, चिय, च्चिय)-वि० यथोचित, मुनासिब, ठीक | जांजरु-पु० १ बिच्छु । २ विष जंतु । ३ देखो 'जांझर'।
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