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छापरण
( ४२७ )
छाडीगो
छामरण-स्त्री० १ साग-सब्जी में दी जाने वाली खटाई । छाछेतो, छाछतौ-वि० छाछ का, छाछ संबंधी । २ छाजन ।
छाछ्यौ-पु० जीरे की फसल का एक रोग। छाई-देखो 'छाईस' ।
छाज, छाजइयो, छाजड़-पु० [सं० छाद] १ अनाज फटकने का छाईजणौ (बौ)-क्रि० छाया जाना, पाच्छादित होना ।
उपकरण, सूप । २ छप्पर, छाजन । ३ छज्जा । छाईस-वि० बीस और छः, छब्बीस ।
छाजड़कन्नौ-वि० बड़े-बड़े कानों वाला। (हाथी) छाईसौ-पु. छब्बीस का वर्ष ।
छाजरण-पु० [सं० छादन] १ छप्पर, छान । २ कच्चे मकान छाक-स्त्री० १ नशा, मादकता । २ मस्ती । ३ हल्के नशे के की छाजन, छप्पर । ३ छाने का ढंग । ४ शोभित होने
लिये ली जाने वाली शराब की कुछ मात्रा। ४ शराब पीने __ का भाव। का प्याला । ५ किसान के लिये खेत में ले जाने वाला छाजणी (बी)-क्रि०१ शोभा देना, फबना । २ सुशोभित होना। भोजन, पाथेय । ६ दोपहर, मध्याह्न । ७ डलिया। -वि० ३ पाच्छादित होना । १ मस्त, उन्मत्त । २ लबालब, पूर्ण ।
छाजन-देखो 'छाजण'। छाकटाई-स्त्री० १ बदमाशी । २ दुष्टता । ३ चंचलता ।। छाजरसि (सु)-पु० एक प्रकार का घास । ४ नीचता। ५ धूर्तता, चालाकी।
छाजलियो-१ देखो 'छाजलौ' । २ देखो 'छाजो' । छाकटौ-वि० [सं० साकट] (स्त्री० छाकटी) १ बदमाश, दुष्ट । छाजली-स्त्री० डलिया, टोकरी, छबड़ी।
२ दुश्चरित्र । ३ चतुर, चालाक । ४ चंचल, नटखट । छाजली-पु० अनाज फटकने का उपकरण, सूप । ५ कृपण, कंजूस । ६ कृतघ्न ।
छाजारी-स्त्री० रहंट में लगने वाली घास या लोहे की बनी छाकरणौ (बी)-क्रि० १ अघाना, खा-पीकर तृप्त होना । २ शराब टट्टी । आदि के नशे में मस्त होना । ३ ललचाना ।
छाजियो-पु० मृतक के पीछे गाया जाने वाला विरह गीत । छाकां-स्त्री० दुपहरी, मध्याह्न।
छाजौ-पु० १ दरवाजे या खिड़की पर छाजन की तरह लगा छाकी-वि० उन्मत्त, मस्त, मदोन्मत्त ।
पत्थर या लकड़ी का पाटिया । छज्जा । २ छज्जे पर बनी छाकोटौ-वि० मस्त, मदोन्मत्त ।
बालकानी। ३ टोप के आगे निकला हुया भाग। ४ सर्प छाग, (, को)-पु० [सं० छग] १ बकरा । २ मेष राशि । | का फन । छागटाई-देखो 'छाक टाई'।
छाट (ण)-स्त्री. १ विपत्ति, संकट, उच्चाट । २ ऊपर से छागटो-देखो 'छाकटौ'।
आच्छादित जलकुण्ड । ३ चट्टान, शिला । (जैन) छागरण-स्त्री० १ उपले की अग्नि । २ भाग।
छाटक (को)-पु. प्रहार, चोट । -वि० (स्त्री० छाटकी) चतुर, छागमुख-पु० स्वामि कात्तिकेय का छटा मुख । स्वामि कात्तिकेय दक्ष, होशियार, धूर्त, चालाक । का एक अनुचर।
छाटकाई-स्त्री० चतुरता, दक्षता, होशियारी, चालाकी, धूर्तता । छागर-स्त्री० बकरी।
छाटी-स्त्री० सामान लाद कर ऊंट पर रखने का बकरी के बालों छागरत (थ)-पु० [सं० छागरथ] अग्नि ।
का बना मोटा थैला। छागळ-पु० [सं० छागल] १ बकरा । २ बकरे के चमड़े का छाड-स्त्री० [सं० छदि:] १ वमन, के, उल्टी। २ वर्षा के पानी जल पात्र । ३ पानी की केतली । ४ पायल, नूपुर ।
से घास उत्पन्न होने का स्थान । ३ कूए पर मोट खाली छागळियौ, छागळी-पु० [सं० छागल] १ यात्रा में साथ रखने
करने का स्थान । ४ त्याग । का जल पात्र । २ एक प्रकार का घोड़ा । ३ बकरा। | छाडणी (बौ)-क्रि० [सं० छर्दनम्] १ वमन, के या उल्टी छागी-स्त्री० १ बकरी । २ नकल ।
करना । २ छोड़ना, त्यागना। ३ बगावत या विद्रोह करना। छाछ छाछड़, छाछड़ली, छाछड़लो-स्त्री० [सं० छच्छिका] छाडारणो-वि० विद्रोही, क्रान्तिकारी। -पु० बगावत, विद्रोह ।
१ दही मथ कर मक्खन निकाल लेने के बाद पीछे रहने | छाडारणी (बी)-क्रि० १ वमन कराना । २ छुड़वाना, त्यागाना । वाला पानी, मट्ठा, तक । २ चाच देश ।
३ विद्रोह कराना। छाछण-स्त्री० साग-सब्जी में दी जाने वाली खटाई । छाडाळ (लो)-पु. १ भाला, नैजा । २ ईडर झुका हुअा ऊंट । छाछरो-वि० १ ठिगना, बौना, नाटा। २ मस्त ।
छाडि (डी)-स्त्री० १ गुफा, कदरा । २ रहंट में लगी रहने छाछि, छाछी-स्त्री. १ प्रावड़ देवी की बहन एक देवी । बाली एक नलिका। २ देखो 'छाछ' ।
| छाडीणो, छाडोणौ-देखो 'छाडांगो' ।
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