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धेपरणो
( ४१२ ।
चंबरी
चेपणो (बी)-क्रि० १ चिपकाना, चेपना, गोंद प्रादि लगा कर चैत्रं-स्त्री० १ पक्षियों का कलरव । २ चू-चू । ३ बकवास ।
परस्पर जोड़ना । २ संलग्न करना । ३ सटाना। ४ प्रहार | चैट (8)-स्त्री० १ चिपकने की क्रिया या भाव । २ चिपकने का या ग्राघात करना । ५ जड़ना ।
गुण । ३ प्रयत्न, चेष्टा । ४ लगन, लाग । ५ चिंता। चेपारणो (बो), चेपावणो (बी)-देखो 'चिपकाणौ' (बो)।
६ एक प्रकार का विकार । ७ अंकुरित होने का भाव । चेपाचापौ-पु० १ जोड़-तोड़, साधारण व्यवस्था । २ निर्वाह, चिड़चिड़ाहट। गुजारा । ३ समझौता।
चटणी (बो), चैठणी (बी)-क्रि० १ चिपकना । २ संलग्न चेपौ-पु०१ प्राहार, भोजन । २ गुजारा, निर्वाह । ३ किसी को होना। ३ प्रयत्न करना, चेष्टा करना । ४ लगन रखना,
मुहरबंद करने के लिये द्वार या ढक्कन पर लगाई जाने लाग करना। ५ चिंता करना । ६ चिड़चिड़ाना । ७ डंक
वाली चिटिका । ४ सरसों की फसल का रोग। (मेवात) या दांत से काटना।८ अंकुरित होना। चेबड़ो (से)-पु० सूअर का छोटा बच्चा ।
चैटारणी (बौ), ठाणो (बौ), चैटावरणी (बौ), चंठावरणी चेय-पु० चित्त । (जैन)
(बी)-क्रि० १ चिपकाना। २ संलग्न कराना । ३ प्रयत्न चेर-पु. सेवक, दास, नौकर । शिष्य ।
कराना । चेष्टा कराना । ४ लगन रखवाना। ५ चिंता चेराई-स्त्री० नौकरी, गुलामी । सेवा ।
कराना । ६ चिड़चिड़ाने के लिये प्रेरित करना । ७ डंक चेरियो-पु० चरखे का एक उपकरण ।
या दांत से कटवाना। धेरी-स्त्री० [सं० चेटक] १ दासी, सेविका । २ शिष्या, चेली। चै-अव्य० संबंध सूचक अव्यय 'के' । -पु०१ दूत । २ चोर । चेरी-पु० [सं० चेटक] १ दास, सेवक, नौकर । २ शिष्य । ३ युद्ध । -वि. १ प्रेरक । २ दुष्ट। चेळ-पु० कपड़ा, वस्त्र।
चड़ी-१ देखो 'चेरौ' । २ देखो 'छेड़ी'। चेल (क, कड़ौ)-पु० १ बच्चा। २ चेला ।
चैत-पु० [सं० चैत्र] फाल्गुन के बाद पड़ने वाला मास । चेलकाई-स्त्री. १ बचपन । २ शिष्यत्व ।
चैतन्य-वि० [सं०] १ जागृत, चेतन । २ सचेत, सावधान । -पु. चेलकी-देखो 'चेली'।
१ चित्त स्वरूप प्रात्मा । २ परमात्मा । ३ ज्ञान बुद्धि । चेलको-देखो 'चेलो'।
४ एक प्रसिद्ध धर्म प्रचारक । ५ जीवन । ---भैरवी-स्त्री. चेलर--पु० सूअर का बच्चा। .
एक भैरवी विशेष । खेला--स्त्री० एक मजदूर जाति विशेष ।
चैतरी-वि० चैत्र मास में होने वाला। चेलिय, चेली-स्त्री० १ शिष्या । २ दासी । ३ भक्तिन ।। चैतवाड़ो-पु० वसंत ऋतु। चेलुखेप-पु० [सं० चेलोत्क्षेप] प्राकाश में से वस्त्रों की वर्षा । | चैती-स्त्री० रबी की फसल । --वि० चैत्र का, चैत्र संबंधी । चेळो-पु०१ तराजू का पलड़ा, तुला पाट । २ पक्ष, पलडा। चैत्य-पु० [सं०] १ मंदिर,देवालय। २ यज्ञशाला। ३ देवमति । चेली-पु० (स्त्री० चेली) १ शिप्य । २ भक्त। ३ दास ४ सूबर
४ जैनियों का धार्मिक केन्द्र । ५ शव स्मारक । ६ चिता । का बच्चा।
७ श्मशान स्थान, मरघट । -परवाड़ी-स्त्री० अनुक्रम चेल्हर-पु० मुग्रर का बच्चा ।
से मंदिरों की यात्रा । (जैन) चेसटा-देखो 'चेस्टा'।
चत्र (क)-देखो 'चैत'। चेस्टक-वि० [सं० चेष्टक] चेष्टा या प्रयत्न करने वाला।
चत्ररथ-पु० [सं०] १ कुबेर का बगीचा । २ एक प्राचीन ऋषि । चेस्टा-स्त्री० [सं० चेष्टा] १ मन के भावों को प्रगट करने
चैत्रावळि (ळी)-स्त्री०१ चैत्र मास की पूर्णिमा। २ चैत्र शुक्ला वाले कायिक व्यापार । २ नायक-नायिका के प्रेम प्रदर्शन
त्रयोदशी । के प्रयत्न । ३ प्रयत्न, उपाय, यत्न । ४ इच्छा । ५ हाव
चंत्रि (त्री)-देखो 'चंतरी'। भाव । -बळ-पु० गति के अनुमार ग्रहों की प्रबलता । चेह-स्त्री० [सं० चिता] १ चिता।२ मरघट, श्मशान ।
चैद-वि० चेदी देश का, चेदी देश संबंधी। चेहरणो (बौ)-देखो 'च'रणी' (बी)।
चन-पृ० १ पाराम, सुविधा, सुख । २ शांति, तसल्ली । ३ प्रानन्द चेहरो-देखो 'चै'रौ'।
हर्ष। ४ कष्ट, पीड़ा आदि से मुक्ति । ५ ऊंट का प्राभूषण
विशेष । ६ देखो 'चहन'। चैकरणो (बो)-कि० १ चौंकना, चमकना । २ चहकना ।
चैनाळ-देखो 'छिनाळ'। कारणो (बी), चैकावणी (बी)-क्रि० चौंकाना, नमकाना।
चंबचौ-देखो 'चहबची। चाट-स्त्री० चहचाहट ।
बरौ-पृ० गुअर का बच्चा ।
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