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चोटी
चोभी
८ घास का पुपाल । ९ चट्टा । १० तराजू की डंडी के | चोपड़ी-पु. १ तिलहन की फसल में होने वाला एक रोग। मध्य की डोरी।
| २ देखो 'चौपड़ो'।। चोटी-स्त्री० [सं०] १ बालों की शिखा । २ स्त्रियों की वेणी। चोपण-स्त्री० लोहे को सुधारने का एक उपकरण । २ प्राभूषणों
३ शिर की किलंगी। ४ ऊपरी भाग, शिखर, पर्वत शिखर । की खुदाई का उपकरण । ५ कुर्मी । ६ सारंगी का ऊपरी भाग। -पाल-पाळी= | चोपदार--देखो 'चौबदार'। 'चोटियाळ' । ---कट -पु० अनुयायी शिष्य। -बंध-पु० चोपन-देखो 'चौपन' । स्त्रियों के शिर का प्राभूषण विशेष । २ शिष्य। -बडियो | चोपाड-स्त्री० चौपाल । -पु० चोटी कटा । मुसलमान । ईसाई शिष्य विशेष कृपा | चोपायी-स्त्री० १ चौपाई छन्द । २ चारपाई। पात्र । -याळ, याळो-'चोटियाळ'। -वाळ वाळी | चोपाळी-पु. डोली, पालकी, शिविका । --'चोटियाळ'।
चोप्पालग-पु० मस्त हाथी। (जैन) चोटो-गु०१ मोटी शिखा। २ चोटा।
चोफाड़-देखो 'चौफाड़। चो'ट्टो-वि० चोर।
चोफाडपो (बौ)-क्रि. १ चार भागों में विभक्त करना । २ चार खोडाळ-पु. एक प्रकार की सवारी। वाहन ।
फाड़े करना । ३ काटना । ४ नष्ट करना । चोडी-स्त्री० कूए के मध्य का भाग, बीच का गड्ढ़ा। चोफाड़, चोफाडा-क्रि० वि० १ चारों भोर, चौतरफ। २ चार चोडोळ (ळी)-पु० हाथी. गज ।
फाड़ों से। चोढरी-पु० सवार, सवारी करने वाला।
चोफेर-देखो 'चौफेर'। चोतरफ-देखो 'चौतरफ'।
चोब-स्त्री. १ चुभने के क्रिया या भाव । २ चुभन । ३ तीक्ष्ण चोताळो-देखो 'चौताळो' ।
दर्द, पीड़ा । ४ कूए की खुदाई का प्रारंभ । ५ छोटे-छोटे चोय-स्त्री० १ आभूषण विशेष । २ देखो 'चौथ' ।
पौधों की बुवाई, अंकुरण । ६ इस प्रकार गाड़े जाने वाले चोदक (क्कड़)--वि० स्त्री संभोग करने वाला, बहु कामी ।
पौधे । ७ तालाब के मध्य का गहरा गड्ढ़ा । ८ शामियाने चोवरणी (बो)-क्रि. संभोग करना, स्त्री प्रसंग करना ।
का बीच का खंभा। ९ नगाड़े का डंडा। १० सोने चांदी चोदन-स्त्री० स्त्री प्रसंग, मैथुन ।
की मूठ वाली छड़ी। चोदस-स्त्री० चतुर्थ दशी की तिथि ।
चोबचीरणी-स्त्री. दीपान्तरवचा नामक जड़ी जो रक्त शोधन चोदाई-स्त्री. १ मथुन का कार्य । २ संभोग कराने का पारि- करती है। श्रमिक ।
चोबरपो-पु० जूते का कसीदा। चोदास-पु० कामेच्छा, मैथुनेच्छा ।
चोबरपो (बी)-क्रि० १ चुभाना, तीक्ष्ण वस्तु धमाना। २ धार चोदू-वि० भीर, डरपोक ।
की रगड़ लगाना। ३ कूए की खुदाई प्रारंभ करना । चोद्दग-वि० चौदह । (जैन)
८ छोटे पौधों को अलग-अलग गढाना, अकुरित करना। दोधरौ-देखो 'चौधरौ'।
चोबदार-पु० राजा व जागीरदारों का एक अनुचर । छोधार (रण, रो)-देखो 'चौधार'।
चोबाई-स्त्री. चोबने की क्रिया या भाव । घोप-स्त्री. १ सेवा, पूजा। २ प्रार्थना, विनती। ३ ध्यान । चोबारणी (बौ). चोबावरणो (बो)-क्रि० १ चुभवाना, तीक्ष्ण वस्तु
४ लगन । ५ भक्ति । ६ श्रद्धा। ७ कृपा, दया, अनुकम्पा । को धंसवाना। २ धार की रगड़ लगवाना । ३ कूए की -क्रि० वि० चारों प्रोर ।
खुदाई प्रारंभ कराना । ४ छोटे पौधों को अलग-अलग चोपद, चोपई-स्त्री० एक मात्रिक छन्द विशेष ।
गढ़वाना। चोपग (गौ)-देखो 'चौपगो' ।
चोबारी-देखो 'चौबारी'। खोपड़-पु. १ घी आदि स्निग्ध पदार्थ । २ देखो 'चौपड़। चोबोली-पु० एक मात्रिक छंद विशेष । चोपड़पो (बो)-क्रि० १ घी तेल प्रादि स्निग्ध पदार्थ लगा कर चोबो-पु० शक सन्देह, आशंका ।
चिकना करना । २ खिचड़ी आदि पर घी डालना। चोभ-देखो 'चोब' । चोपड़ारणी (बी), चोपड़ावणी (बौ)-क्रि० १ घी आदि स्निग्ध चोभको-देखो 'चभको' ।
पदार्थ लगाकर चिकना कराना। २ खिचड़ी प्रादि पर घी चोमणी-देखो 'चोबणी'। दलवाना।
चोभरणौ (बौ)-देखो 'चोबरणो' (बी)। चोपड़ास-देवो 'चोपड़'।
चोभौ देखो 'चोबी'।
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