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चेपकी
३ कूल्हे की हड्डी। ४ देवी की भुजाओं का एक आभूषण। | चेट-पु० [सं०] १ दास, सेवक, नौकर । २ पति, स्वामी । ५ फरसे की तेज धार । ६ चूल्हा।।
३ अनुरागी, पाशिक । ४ नायक, नायिका का मध्यस्थ । चुलगी-स्त्री० छोटा चूल्हा
चेटक (की)-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा । -वि० १ क्रोधी चूळिका-पु० [सं० चूलिका] १ स्त्रियों का कर्णफूल । २ एक । स्वभाव का, उग्र। २ उद्धत, उद्दण्ड । भाषा विशेष ।
चेटल-पु० सिंह का बच्चा। धूळियाळ (लो)-पु० एक मात्रिक छंद विशेष ।
चेड-देखो 'चेद'। ळियौ-पु० १ कपाट की नोक । २ कूल्हा ।
चेढ़ीमरणो-वि० योद्धा, वीर, पराक्रमी । बुलियो-देखो 'चूल्हो'।
चेढ़ी-पु० १ रत्न । २ नगीना । चूळो (लो)-१ देखो 'चूल्हो' । २ देखो 'चुळो' ।
चेत-पु० [सं० चेतस] १ चेतना, होश, संज्ञा । २ चित्त की चूल्हड़ी, चूल्ही-देखो 'चूलड़ी' ।
वृत्ति। ३ विवेक, ज्ञान । ४ बुद्धि, विचार शक्ति । चूल्हौ-पु० लकड़ी प्रादि जला कर खाना बनाने का उपकरण, ५ सावधानी । ६ तर्कना शक्ति। ७ मन, प्रात्मा। चूल्हा ।
८ स्मरण, याद । चूवरणौ (बो)-देखो 'चप्रणी' (बी)।
| चेतकी-स्त्री० १ हरीतकि, हरड़ । २ तीन धाारियों वाली हरड़े। चूवारणी (बो), चूवावरणी (बी)-देखो 'चुनाणी' (बी) ।
३ एक रागिनी । चुसरणी (बी)-क्रि० १ होठों या दांतों के बीच दबा कर किसी चेतरणौ (बी)-क्रि० [सं० चेतनम्] १ चेतन होना, होश में
वस्तु का जीभ व श्वास से रस खींचना । चूसना । २ सार पाना, संज्ञामय होना, जागृत होना । २ सावधान होना,
तत्त्व ग्रहण करना। ३ किसी से नाजायज फायदा उठाना । होशियार होना। ३ प्रज्वलित होना। ४ विचार करके समार-पु० एक प्रकार का हिंसक पक्षी।
संभल जाना। चूसा-स्त्री० [सं० चूषा] हाथी के कमर में बांधने की पेटी। चेतन-पु० [सं०] १ आत्मा, जीव । २ प्राणी, जीव । ३ मनुष्य, चूसाणी (बी), चूसावरणौ (बी)-क्रि० १ चूसने के लिये देना, प्रादमी । ४ ईश्वर, परमात्सा। -वि० १ सजीव, जीवित ।
प्रस्तुत करना। २ सार वस्तु ग्रहण कराना। ३ किसी को २ जीवधारी, प्राणवान । ३ जो जड़ न हो। ४ विकासनाजायज फायदा उठाने देना।
वान । ५ दृश्यमान । चूसौ-पु० १ छूता । २ सारहीन खोखला भाग । ३ किसी प्रकार | चेतनता-स्त्री० चैतन्य होने की अवस्था या भाव । जागृति । ___का रेशा।
चेतना-स्त्री० [सं०] १ होश, मंज्ञा, सचेतावस्था । २ बुद्धि, चूहो-पु० चूहा, मुपा।
ज्ञान । ३ याद, स्मृति । ४ सावधानी, सतर्कता। ५ समझ, में-देखो 'चीं।
विवेक । ६ जीवन । ठरणी (बी)-देखो चैठणी' (बी)।
चेताचक-वि. १ बदहवास भयभीत । २ असंतुलित । ३ गाफिल, चे-पु० १ रवि । २ चन्द्रमा । ३ कृष्ण । ४ मन । ५ तलवार । बेसुध । ४ व्याकुल । ५ भ्रमित । . ६ समूह । ७ षष्टी विभक्ति, के ।
चेताषौ (बौ). चेतावरणौ (बो)-क्रि० १ चेतन करना, होश में चेइ-पु० [सं० चेदि] १ चेदि देश । (जैन) २ चैत्य ।
लाना । २ जागृत करना । ३ सावधान करना । ४ प्रज्वलित चेहय-देखो 'चैत्य'।
करना । ५ विचार कर संभलना । चेयरुक्ख (रुख)-पु० [सं० चैत्यवृक्ष] १ कैवल्य ज्ञान प्राप्ति | चेतावणी (नी)-स्त्री०१ सावधान या सतर्क होने के लिये दी
का देव वृक्ष (जैन)। २ विश्रामदायक कोई वृक्ष (जैन)। गई सूचना। २ असावधानी करने पर दी जाने वाली ३ ऐमा वृक्ष जिसके नीचे चबूतरा हो ।
हिदायत । ३ हिदायती-पत्र। चेउखेप-स्त्री० वस्त्र वृष्टि ।
| चेतुरा-स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया । चेड़-पु० १ बड़ा भोज । २ विशाल मृत्युभोज।
चेतौ-० [सं० चेतः] १ होश, संज्ञा । २ बोध, ज्ञान । चेड़ो-पु० १ भूत-प्रेतादि का उपद्रव । प्रेत बाधा । २ प्राफत, ३ स्मरण । ४ मावधानी ।
इल्लत विपत्ति । ३ वस्त्र का छोर । ४ अंत, छोर। चेत्रि-देखो 'चैतरी'। चेचक-स्त्री० शीतला नामक रोग।।
चेदि-पु० एषा प्राचीन जनपद । -राज-पु. शिशुपाल । वेजारी-पु० दीवार की चुनाई का कार्य करने वाला कारीगर। चेप-पु० १ चिपकने का गुण या शक्ति। २ चिपकाने की क्रिया । खेजी-पु०१ दीवार की चुनाई का कार्य । २ प्राहार, भोजन। पकी-स्त्री. १ प्रावरण, ढक्कन । २ चुगली, निंदा । ३ गुजाग, निर्वाह । ४ देखो 'चुग्गो' ।
३ चापलूमी।
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