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वाटक
वापारया
चाटाळ-वि० १ रसलोलुप । २ रिश्वतखोर । ३ चाटने वाला। चातुक-देखो 'चातक'। ४ गिजा खाकर दूध देने वाला।
चातुरंग-देखो 'चतुरंग'। चाटु, (कार)-वि० चापलूस, खुशामदी।
चातुर-स्त्री० १ गणिका, वेश्या । २ बुद्धि । ३ देखो 'चतुर'। चाटुकारी-स्त्री० खुशामद, चापलूसी ।
चातुरई-देखो 'चतुराई'। चाद-पु०-काष्ठ का बड़ा चम्मच । -वि० १ खुशामदी, चाप- चातुरज-पु० [सं० चातुर्य] छल, कपट ।
लूस । २ रसलोलुप । ३ चाटने वाला। ४ चाट खाने | चातुरजात-पु० [सं० चातुर्जात] १ नाग केसर । २ इलायची । वाला।
३ तेज पात आदि का समूह । चाटौ (चा' टो)-पु० १ चाटकर खाया जाने वाला पदार्थ । चातुरदस-वि० [सं० चतुर्दश] १ चौदह । २ चतुर्दशी को
२ स्वादिष्ट वस्तु । ३ नाजायज ढंग से कुछ खिलाने की उत्पन्न होने वाला। -पु० राक्षस । क्रिया या भाव । ४ दूध देने वाले पशु को खिलाया जाने चातुराई, चातुरी, चातरय-स्त्री० [सं० चातुर्य] १ चतुराई। वाला पौष्टिक पदार्थ । ५ दाग, धब्बा ।
निपुणता, दक्षता । २ बुद्धिमानी। चाठ-१ देखो 'चाट' । २ देखो 'छाट' ।
चातुरिम-देखो 'चतुराई। चाठी-पु. १ धब्बा, दाग । २ निशान, चिह्न । ३ दूध देने वाले | चात्रग (गि, गी), चात्रक (क्क, ग, ग्ग)-१ देखो 'चातक' ।
पशु को खिलाया जाने वाला पौष्टिक पदार्थ । | २ देखो 'चतुर'। ३ देखो 'चतुरंग' । चाड-स्त्री. १ रक्षार्थ बुलाने की आवाज, पुकार । २ त्राहि- चात्रण-पु० शत्र दल का संहार ।
त्राहि का आर्तनाद । ३ रक्षा, सुरक्षा । ४ सहायता, मदद । चानणी (गे)-क्रि० १ शत्रुओं का संहार करना । २ मारना। ५ वमन, के । ६ उन्नति, बढ़ोतरी । ७ युद्ध, लड़ाई। ३ विध्वंस करना। ८ घोड़े का नथूना । ९ चाह, इच्छा । १० ऊंचाई, चढ़ाई। चात्रिंग, चात्रिग-१ देखो 'चतुर'। २ देखो 'चातक' । ११ अभिप्राय, प्रयोजन । १२ घर का भेद । १३ कुए से | चावर-स्त्री० [फा०] १ बिछाने या मोढ़ने का वस्त्र, चद्दर । पानी खींचने के लिये खड़े होने का स्थान । १४ विपत्ति, २ किसी धातु की परत, पत्तर। ३ कंधे पर रखने का छोटा बाधा। -वि. १ दुर्जन, कपटी (जैन) । २ चुगलखोर । वस्त्र । ४ साधुओं का वस्त्र । ५ देव मूर्ति पर चढ़ाई जाने ३ रक्षक।
वाली पुष्प राशि । ६ बांध या जलाशय के ऊपर से बहने चाडपो (बो)-क्रि० [सं० चडि] १ सत्ता के विरुद्ध विद्रोह | वाली पानी की परत । ७ जल की चौड़ी धारा ।
करना, बगावत करना । २ कोप करना । ३ देखो ८ शामियाना, तंबू । ९ साधुओं को चद्दर के प्रतीक रूप में 'चढ़ाणी (बो)।
दी जाने वाली धन राशि । चारव-पु० [सं० चदियाचने] कवि, काव्यकार ।
चावरी-पु० बिछाने, प्रोढ़ने या पर्दा लगाने का बड़ा वस्त्र । चाडाउ-स्त्री० संकट के समय अपने इष्ट से की जानी वाली चाप-पु० [सं०] १ धनुष । २ इन्द्र धनुष । ३ धनुष राशि। प्रार्थना।
४ अर्धवृत्त क्षेत्र, वृत्तांश । ५ पैर की प्राहट । ६ पाहट । बाडापुरी-स्त्री० अप्सरा, परी ।
७ प्रस्तर पट्टिका । ८ रस्सी की डोरी । ९ ठगण के तृतीय चाउ-वि० चुगली करने वाला, निंदा करने वाला।
भेद का नाम । -धारी-पु०-धनुर्धारी। बाडी-पु० १ बुद्धि या विचार शक्ति का अंश। २ दही मथने | चापड़-देखो 'चापड़ी। का पात्र । ३ छोटी मटकी।
चापडणी (बी)-क्रि० [सं० चपेटम्] १ दबाना, चापना । बाढ़-स्त्री० १ इच्छा, अभिलाषा । २ देखो 'चाड'।
२ भयभीत होना। ३ तीतर पक्षी का बोलना । ४ भागना ।
५ पीछा करना । ६ युद्ध करना । वाढणी (बो)-देखो 'चढ़ाणो' (बो)।
| चापड़-क्रि० वि० १ खुले प्राम, प्रकट रूप में, प्रत्यक्ष में । चातक (ग)-पू० [सं०] (स्त्री० चातकी) पपीहा नामक पक्षी। यत में। -प्रानंदन-पु० वर्षा ऋतु । बादल ।
चापड़ौ-पु० १ अनाज पीसकर छानने से निकलने वाला भूसा । वातरंग, चातर, चातरक-देखो 'चतुर' ।
२ रहंट के चक्र में मजबूती के लिये लगाया जाने वाला चातळ-पु० बड़ा कछुवा ।
काष्ठ खण्ड । चाती-स्त्री० फोड़े, फंसी पर लगाने की मरहम-पट्री। -वि. चापट-स्त्री० [सं० चपेट] १ चपत । २ चपेट, लपेट । ३ चोट । १ अनावश्यक रूप से चिपकने वाला । २ जबरदस्ती साथ
४ देखो ‘चापड़ी। होने वाला।
चापटिया-स्त्री० कुभट की फली व बीज ।
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