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चित्रवन
चिवटी
चित्रवन-पु० [सं०] गंडक नदी के किनारे का वन ।
चिन्न-वि० [सं० चीर्ण] १ आचरित, अनुष्ठित । २ विहित, चित्रसाळा (ळो)-स्त्री० [सं० चित्रशाला] १ रंग महल । कृत । ३ चिह्न, निशान । (जैन)
२ वह स्थान जहां चित्र बनाये जाते हैं । ३ चित्रों की | चिन्योक-देखो 'चिनियोक' । सजावट का स्थान।
चिन्ह-पु० [सं० चिह्न] १ निशान, संकेत। २ दाग, धब्बा। चित्रसिखंडी-पु० [सं०] सप्त ऋषि ।
३ मोहर, निशानी। ४ लक्षण। ५ चपरास, बिल्ला। चित्रसिखंडीज-पु. बृहस्पति ।
६ राशि। ७ लक्ष्य दिशा । ८ पताका, झण्डा । ९ प्रथम चित्रसेन-पु० [सं०] १ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । २ एक पुरुवंशीय लघु ढगण के भेद का नाम । राजा।
चिन्हाई-पु० चीन देशोत्पन्न एक प्रकार का घोड़ा । चित्रांग (गदु)-पु० [सं०] १ राजा शांतनु का एक पुत्र । चिपक-पु० १ शिकार में सहायता करने वाला पक्षी विशेष । २ गंधों के राजा का नाम ।
२ चिपटने या सटने की क्रिया या भाव । चित्रांगदा-स्त्री० [सं०] १ अर्जुन की एक स्त्री। २ रावण की चिपकरण-पु० आभूषण विशेष । (मेवात) एक स्त्री।
चिपकरणो (बो)-क्रि० [सं० चिपिट] १ गोंद आदि लसीली वस्तु चित्रांम-पु० १ चित्र, तस्वीर । २ नक्काशी।
के योग से किन्ही दो वस्तुओं का परस्पर जुड़ना, सटना, चित्रांमरण (मरिण, मिण)-स्त्री० एक देवी विशेष ।
चिपटना। २ प्रगाढ़ रूप से लिपटना। ३ संयुक्त होना । चित्रांमि-देखो 'चित्र'।
४ प्रालिंगनबद्ध होना। ५ किसी काम में लगना, संलग्न चित्रा-स्त्री० [सं०] १ सत्ताईश नक्षत्रों में से चौदहवां नक्षत्र । होना ।
२ चितकबरी गाय । ३ एक नदी का नाम । ४ एक चिपकारणौ (बौ), चिपकावरणौ (बी)-क्रि० १ लसीली वस्तु के अप्सरा का नाम । ५ संगीत में एक मूर्छना । ६ एक योग से किन्ही दो वस्तुओं को परस्पर जोड़ना, सटाना, प्राचीन तार वाद्य । ७ एक सर्प का नाम । ८ एक छंद चिपटाना । २ गाढ़ा लिपटाना। ३ संयुक्त करना । विशेष ।
४ आलिंगनबद्ध करना। ५ किसी काम में लगाना) चित्रारौ-देखो 'चितारौ' ।
संलग्न करना। चित्रावेलि-स्त्री० [सं० चित्रकवल्ली] चित्रकवल्ली। चिपड़ो-देखो 'चपड़ो'। चित्रित-वि० [सं०] १ वणित । २ चित्र द्वारा दर्शाया हुआ। चिपचिप चिपचिपाहट-स्त्री० १ लसीलापन । २ चिपचिपाने की ३ चित्रांकित ।
अवस्था या भाव। चित्र (त्र)-पु. १ शिकार के लिए शिक्षित चीता या कुत्ता। चिपचिपारणौ, (बौ)-क्रि० १ लसीलापन होना। २ चिपचिप २ चीता। ३ चित्र ।
करना । ३ छूने से चिपकना । चित्रोत्तर-पु० [सं०] एक प्रकार का काव्यालंकार ।
चिपचिपौ-वि० (स्त्री० चिपचिपी) लसीला, चेपदार । चिथड़ी (रौ)-देखो 'चीथड़ो' ।
चिपटरणौ. (बौ)-देखो 'चिपकणों' (बी)। चिदाकास-पु० [सं० चिदाकाश] परब्रह्म।
चिपटारणौ (बी), चिपटावरणौ (बौ)-देखो "चिपकारणो' (बी)। चिदाणंद (नंद)-पु० [सं० चिदानन्द] परब्रह्म, ईश्वर । चिपटी-१ देखो 'चपटी' । २ देखो 'चिमटी'। चिदानंदी-वि० चित्त से प्रसन्न रहने वाला।
चिपटौ-देखो 'चपटौ'। चिदाभास-पु० [सं०] जीवात्मा ।
चिपठी-देखो 'चिमठी'। चिद्रूप-पु० [सं०] चैतन्य स्वरूप परमेश्वर ।
चिपणी, (बी)-देखो 'चिपकरणो' (बी)। चिनंग-देखो चिरणग'।
चिपाणी, (बौ), चिपावणौ, (बो)-देखो 'चिपकारणो' (बी)। चिनकियेक, चिनकियोक, चिनकोक-वि० किचित, अल्प,जरासा। चिपिड-वि० चिपिट, चपटा । (जैन) चिनख-देखा 'चिणग'।
चिप्प-पु० नाखून के नीचे होने वाला एक फोड़ा । चिनाब-स्त्री० पंजाब की एक नदी।
चिप्पिड़-पु० १ एक अन्न विशेष । २ क्यारा । (जैन) चिनियाकेलौ-पु. छोटी जाति का केला।
चिबटियो-पु० १ छोटा कंकड़ । २ अंगुष्ट में अंगुली को अटका चिनियोक-वि० किंचित, अल्प ।
कर झटके से की जाने वाली चोट । ३ देखो 'चिरमोटियो। चिनियोघोड़ो-पु. वह घोड़ा जिसके चारों पांव सफेद हों। चिबटी, (ठी)-स्त्री० [सं० चुमुटि] १ चुटकी। २ चुटकी चिनीक-वि० ग्रल, किचित ।
बजाने की ध्वनि । ३ अंगुलियों के पंजों में पकड़ा जा सकने चिनौ-पृ० एक रंग विशेष का घोड़ा ।
वाला पदार्थ । ४ अंगुलियों की ऐसी ही मुद्रा।
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