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चापटी
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३९२ )
चापटी-स्त्री० १ पतले कान वाली बकरी । २ चाबुक । चार-वि० [सं० चत्वार] १ तीन और एक । २ थोड़ा, कुछ । ३ देखो 'चपटी'।
[सं० चारु] ३ सुन्दर, मनोहर । ४ सुकुमार । -पु. चापटौ-वि० (स्त्री० चापटी) चपटा । -पु० हांकने का डंडा या १ चार की संख्या, ४ । २ गति, चाल । ३ बंधन । चाबुक।
४ कारागार । ५ गुप्तचर । ६ कृत्रिम विष । ७ चारा,घास । वापर (रि. री)-स्त्री० [सं० चापलं, चापल्य] १ शीघ्रता, ८ मोठ की सूखी पत्तियां। भोज्य पदार्थ। -पानीताकीद । २ टिड्डीदल से प्रच्छादित भूमि ।
स्त्री० चार पाने का सिक्का । -प्राइनो-पु. एक प्रकार चापळणा(बी)-क्रि० १ दुबक कर बैठना । २ ताक लगाकर का वृक्ष ।
बैठना । ३ शांत किन्तु सावधान होकर बैठना । | चारक-पु० [सं०] १ भेदिया, जासूस, गुप्तचर । २ गडरिया । चापळी-स्त्री० [सं० चपला] विद्युत, बिजली।
३ गोपाल ग्वाल । ४ नेता । ५ हांकने वाला, सारथी। चापलूस-वि० [फा०] १ झूठी प्रशंसा करने वाला । २ हां में हां ६ सईस । ७ घुड़सवार । ८ बंदी-गृह । ६ गति, चाल । मिलाने वाला । ३ खुशामदी।
१० सहचर । ११ ब्रह्मचारी। चापलूसी-स्त्री० [फा०] १ झूठी प्रशंसा । २ खुशामद, चाटुकारी। | चारक्खी-देखो 'चरखी' । चापी-वि० [सं० चापिन् ] धनुर्धारी । -पु. १ शिव महादेव ।
चारखांणी-स्त्री. जीव की उत्पत्ति की चार गतियां व इनसे २ धनुराशि ।
उत्पन्न होने वाले जीव । चाफळणी (बो)-देखो 'चापळणी (बी)।
चारजांमौ-पु० घोड़े या ऊंट की पीठ पर कसा जाने वाला चाब-स्त्री० [सं० चव्य] १ एक पौधा विशेष (वैद्यक) ।
प्रासन । २ वस्त्र, कपड़ा। चाबक, चाबकयो, चाबिको, चाबख-पु० बैल, घोडा प्रादि चारण-पु. (स्त्री० चारणी) १ राजस्थान, मध्यप्रदेश व हांकने का चमड़े का कोड़ा । चाबुक ।
गुजरात में फैली एक प्रसिद्ध जाति । २ इस जाति का चावरण-स्त्री० १ चाबने या चबाने की क्रिया। २ चबाकर खाने
व्यक्ति। ३ कवि। -विद्या-पु. अथर्ववेद का एक अंश । लायक पदार्थ ।
चारणियावंट-पु० भूमि या जायदाद का समान बंटवारा, पाबरणो (बो)-क्रि० १ दांतों से कुचलना, चबाना । २ खाना । भाईबंट। ३ हजम करना। ४ दंत क्षत लगाना ।
चारणी-स्त्री०१चारण जाति की स्त्री । २ चारण कुलोत्पन्न चाबली-स्त्री० १ एक प्रकार की खंजरी, बाजा। २ इस बाजे
देवी । ३ चलनी । -वि. चारण संबंधी, चारण का । पर गाया जाने वाला गीत । ३ छोटी डलिया।
चारणी (बौ)-देखो 'चराणो' (बी)। चाबी-स्त्री० १ ताले अादि की कुजी, ताली । २ यंत्र का वह पुर्जा जिसको घुमाने से यंत्र चलता है । ३ किसी भेद या
चारदिवारी, (दीवारी)-स्त्री० किसी भवन या शहर के चारों रहस्य को समझने की विधि, प्राधार या सूत्र ।
प्रोर की दीवार, परकोटा । चाबुक-पु० हांकने का कोड़ा। -सवार-पू० घोड़े का शिक्षक || चारलोक-पु० १ दूत, हलकारा। २ चार प्रकार के लोक । अश्वचालक ।
चाराजाई-स्त्री० [फा०] नालिश, फरियाद । चायुकियो-देखो 'चाबक'।
धारि-देखो 'चार'। बाबेदार-देखो 'चोबदार'।
बारिणी-देखो 'चारणी'। चाय-स्त्री० १ पूर्वी भारत में होने वाला एक प्रसिद्ध पौधा। चरित, (त)-१ देखो 'चरित्र' । २ देखो चारित्र।
२ इस पौधे की सूखी पत्ती या पत्ती का भूसा जिसे दूध व चारिताळी-वि० (स्त्री. चारिताली) विभिन्न चरित्र करने पानी में उबाल कर पीया जाता है । ३ इच्छा, कामना । वाला। ४ उत्साह, जोश।
चारित्र-पु० [सं० चारित्रम्, चारित्र] १ पाचरण । २ चालचायक-देखो 'चाहक'।
चलन । ३ ख्याति, कीर्ति । ४ साधुता । ५ चरित्र । चायगुर-पु० योद्धा, बीर।
| चारी-वि० [सं० चारिन्] १ विचरण करने वाला, भ्रमण चायती-वि० (स्त्री० चायती) १ चहेता, प्रिय । २ इच्छित | करने वाला । २ चलने वाला, गतिमान । ___ वांछित ।
चार-वि० [सं०] सुन्दर, मनोहर । -धारा-स्त्री० इन्द्र की चायना-स्त्री० १ इच्छा, अभिभाषा । २ जरूरत, भावश्यकता। पत्नी, शची । -विव-पु० श्रीकृष्ण का एक पुत्र ।
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