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गहरी
गांठणी
गहरी-स्त्री० [सं० गह्वरी] पृथ्वी।
गांगनौ-वि० (स्त्री० गांगनी) १ मूर्ख, विक्षिप्त । २ चंचल, गहरी-वि० [सं० गहन] (स्त्री० गहरी) १ गंभीर, अथाह । अस्थिरचित्त ।
२ अधिक, ज्यादा । ३ घोर, प्रचंड । ४ दृढ़, मजबूत। गांगरत, गांगरी-पु० १ व्यर्थ की टांय-टांय । २ बकवास ।
५ भारी, कठिन । ६ पर्याप्त । ७ धना, घनीभूत । गांगली-स्त्री० १ श्रावण व आषाढ़ मास में चलने वाली दक्षिण गहळ-स्त्री० [सं० ग्रहल] नशा, उन्माद ।
पश्चिम की हवा । २ एक संन्यासी का नाम । गहळीजणी (बी)-क्रि० १ नशे में चूर होना । २ उन्माद या गांगवरण, गांगरणी, गांगी, गांगुण-देखो 'गांगड़ी'। उदासी छाना । ३ सर्पविष से प्रभावित होना।
गांगड़ी-पु० १ किसी बर्तन के मुह का टूटकर अलग हुपा गहलोत-पु० एक राजपूत वंश ।।
घेरा । २ मरणोपगन्त किया जाने वाला गंगाप्रसादी का गहलो-वि० [सं० ग्रहिल] (स्त्री० गहली) पागल, बावला । भोज । गहल्ल-स्त्री. १ प्रावड़ देवी की बहन, एक देवी। २ देखो 'गल्ल'। गांगेउ, गांगेय. गांगोय-पु. [सं० गांगेय] १ भीष्म । २ स्वामि गहवंत (तो)-वि० १ गंभीर, गहरा । २ वीर. बहादुर । कात्तिकेय । ३ सोना, स्वर्ण । ३ गविला । ४ अटल, स्थिर ।
गांगौ-पु० बर्तन के मुंह का घेरा। -वि० विक्षिप्त । गहवग-पु० मल्ल युद्ध ।
गांधा-स्त्री० बांस की डलिया आदि बनाने वाली जाति । गहवर-पु० [सं० गह्वर] १ गुफा, कंदरा । २ बड़ा छेद या | गांछउ, गांछौ-पु० उक्त जाति का व्यक्ति।
खड्डा । ३ वन । ४ गहराई, अतलता। ५ अगम्य स्थान । गांज (रणो)-वि० १ नाश करने वाला । २ तोडने वाला। ६ दम्भ, पाखंड ।
गांजणी (बी)-क्रि० १ तोड़ना । २ खंडित करना । ३ मिटाना, गहवरणौ (बो)-क्रि० १ गर्व करना । २ निडर होना । ३ घना, | नाश करना । ४ पराजित करना । सघन होना । ४ उत्तेजित होना। ५ फूलना।
गांजर-स्त्री० मोट के साथ बंधा रहने वाला रस्सा, वरत्रा। गहवरा (री)-स्त्री० [सं० गह्वरी] पृथ्वी, भूमि ।
गांजरौ-वि० (स्त्री० गांजरी) ढलमुल । गहवान-वि० १ गविला, अभिमानी । २ जबरदस्त । गहाणी-स्त्री० वेलिया गीत का एक भेद ।
गांजवणी (बौ)-देखो 'गांजणी' (बी)। गहाणी, (बौ) गहावरणी, (बी)-क्रि० १ संहार कराना। २ ग्रहण
गांजागिर-पु. १ राजा, नृप । २ भाग्यविधाता । कराना, पकड़ाना । ३ धारण कराना ।
गांजीव-देखो 'गांडीव' । गहि-पु० [सं० गृही] कुत्ता, श्वान ।
गांजेडी-वि० गांजे का नशाबाज । गहिर-देखो 'गहीर'।
गांजौ-पु० [सं० गंजा] १ भंग की तरह का एक प्रतिमादक गहिलारणो (बौ)-क्रि० प्रवाहित होना, बहना ।
पदार्थ । २ भाला, बरछा । गहिलो (ल्लो)-देखो 'गहलौ' । (स्त्री० गहळी)।
गांट, गांठ, गांठडी (डो)-स्त्री० [सं० ग्रंथि] १ रस्सी व धागा गहीर (ह)-वि० [सं० गम्भीर१ गम्भीर, गहरा । २ अथाह । । ३ घना, सघन । ४ जटिल, गहन । ५ भारी। ६ सौम्य,
प्रादि में पड़ी हुई ग्रंथि. गिरह । २ वस्त्र के छोर में लगाई
जाने वाली ग्रंथि । ३ गठरी गट्ठा । ४ ईख, बांस प्रादि शांत । ७ मधुर । -पु. १ महादेव, शिव । २ हाथी ।
की पेरी। ५ प्रग का जोड़। ६ गांठदार जड़ । ७ एक ३ समुद्र। गहीलौ-देखो 'गहलौ' । (स्त्री० गहीली)।
प्रकार का गहना । ८ समूह। ९ गिल्टी, गुमड़ा।
१० टेढ़ापन । ११ सूजन। गह (हूँ)-देखो 'गेहूं'।
-गोमी-स्त्री० एक प्रकार
की गोभी। गहेठो-देखो 'गाप्रटी'। गहेलड़ो, गहेलू (लो)-१ देखो 'गेलो'। २ देखो 'गहलो'। गांठडी-पु० १ बड़ा गट्ठर । २ ऊंट के पेट में होने वाला गह्वर-देवो 'गहवर'।
एक सेग।
गांठरणी (बौ)-क्रि० [सं० ग्रथनम्] १ गांठ लगाना । २ सिलाई गह्वरी-त्री० [सं०] पृथ्वी. भूमि।
करना. टांका लगाना। ३ जूते की मिलाई करना । गांगड़ी-स्त्री. १ क प्रकार का पौधा । २ इस पौधे के फल ।।
४ अपने पक्ष में करना । ५ वश में या काबू में करना । ३डूंगरपुर की एक नदी।
६ किसी से पैसा या कोई वस्तु ऐंठ लेना । ७ प्राप्ति गांगड़ौ-पु० हल का एक उपकरण ।
करना । ८ दबाना, दबोचना । किसी स्त्री को सम्भोग गांगरिणय (यौ)-पु० 'गांगड़ी' का फल ।
के लिए राजी करना। १० कल्पना करना ।
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