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प्रसारण
प्राम
पसण (न)-पु० [सं० ग्रसनं] १ निगलने व खाने की क्रिया या नाड़ी। २ ग्रहणी रोग । ३ युद्ध । ४ ग्रहण। [सं० गृहिणी]
भाव । २ पकड़ने की क्रिया । ३ जकड़न, कसाव । ४ ग्रहण । ५ घर की मालकिन । ६ पत्नी, भार्या । प्रसी (बौ)-क्रि० [सं० ग्रस] १ निगलना, खाना । २ पकड़ना । ग्रहणौ-देखो 'गहणो' । ३ कसना, जकड़ना । ४ ग्रसना ।
ग्रहणौ (बी)-क्रि० [सं० ग्रह्य] १ लेना । २ स्वीकार करना। ग्रस्त-वि० [सं०] १ पकड़ा हुआ । २ पीड़ित । ३ ग्रसा हुआ।
३ पकड़ना। ४ धारण करना । ५ अधिकार में करना ।
ग्रहमिण (मिरिण)-देखो ‘ग्रहमरिण' । ४ जकड़ा हुआ, कसा हुआ। [सं० गृहस्थ ] ५ गृहस्थ।
ग्रहसणौ (बौ)-क्रि० १ ग्रहण करना, स्वीकार करना । ग्रह-पृ० सं० ग्रहः] १ नक्षत्र, तारा । २ सूर्य-चन्द्रमा।
२ छीनना, झपटना। ३ ग्रहण । ४ पकड़ । ५ मकर, नक। ६ भूत-पिशाच ।
ग्रहस्थ-पु० [सं० गृहस्थ] १ पत्नी व बाल बच्चों वाला, घरबारी ७ ज्ञानेन्द्रिय । ८ भेद, रहस्य । ९ कृपा । १० नो की संख्या।
व्यक्ति । २ ब्रह्मचर्य के बाद जीवन का दूसरा चरण । [सं० गृह] ११ घर, मकान । १२ ग्रावास । १३ कुटुम्ब ।
--प्राधम-पु. व्यक्ति के जीवन की दूसरी सीढ़ी जब बह १. कैदी । --इंद-पृ० सूर्य, भानु । कल्लोल
विवाह करके गृहस्थी बसाता है व सांसरिक कर्म पु० राहु । -- गण-पु० ग्रह समूह, ग्रहावली।
करता है। ----- गति, गोचर-पु० ग्रहों का चालु क्रम । -- चार-पु० सभोग, समागम, मैथुन । -चारी-वि० गृहस्थ, घर
ग्रहस्थी-स्त्री० [सं० गृहस्थी] १ कुटुंब, परिवार, बाल-बच्चे । संबधी। -चितक-पु० ज्योतिषी। -वि० घर की चिता
२ घर का सामान । ३ गृहस्थ का कार्य । ४ गृहस्थाश्रम में करने वाला । ---जुध-पु० गह कलह, झगड़ा । किसी राज्य
__ प्रविष्ठ व्यक्ति। का प्रान्तरिक विद्रोह । सौर सिद्धान्त के अनसार एक प्रकार | ग्रहस्वर--पु० १ किसी राग का मुख्य स्वर । २ गहस्वामी। का ग्रहण । -- जोग पु० एक राशि पर दो ग्रहों का योग ।। ग्रहांग्रहण-पु० [सं० ग्रह-ग्रहण] रावण । ---- बसा-स्त्री० ग्रहों की स्थिति । ग्रहों के अनुसार किसी | ग्रहांचोप्रावास, (रहरण)-पु० प्राकाश, नभ । का अच्छा बुरा समय । अभाग्य । --धारी-पु. गृहस्थी।। ग्रहांपत, ग्रहांपति-देखो 'ग्रहपति' । --नार-स्त्री. गृहिणी, भार्या । ---नेम, नेमि-पू० | महाराज-पु० [सं० ग्रहराज] सूर्य, भानु ।
। चन्द्रमा। चन्द्रमा की एक गति । —प. पत. | ग्रहाधार-पु० [सं०] ध्र व नक्षत्र । पति, पती-पु० घर का स्वामी। श्वान, कूत्ता। पति, | ग्रहारांम-पु० [सं० गृह+पाराम] छोटा बगीचा, वाटिका । खांविद, चौकीदार । सूय, भानु । -पसु-पु० कुत्ता ।
ग्रहावणौ (बो)-क्रि० ग्रहण करना । गाय । --पाळ, पाळक-पु० घर का चौकीदार । सेवक, ग्रहास्रमी-पु० गृहस्थी। दास, दासी । श्वान, कुत्ता। -पुसु-पु० सूर्य, भानु । प्रहि (हो)-पु० [सं० गृह] १ घर, गृह । २ श्वान, कुत्ता । -- मंडण-पु. धन, दौलत. द्रव्य । ---मणि-स्त्री० दीपक । प्रकाश, ज्योति । सूर्य, भानु । ---मंत्र, मैत्री-स्त्री० वर-वधू पहिरिण (णी)-देखो 'ग्रहणी'। के ग्रहों की अनुकूलता । -म्रग-पु० श्वान, कुत्ता । अहित-वि० ग्रहण किया हुआ। ---- राज. राव-पु० सूर्य । चन्द्रमा । बृहस्पति। --वंत- गहिमिशि-देखो 'यहमगिा'। वि० भाग्यवान, सौभाग्यशाली। गृहस्थ । -वार-स्त्री० ग्रहीत-वि० [सं०] १ घिरा हुआ, प्रावृत्त। २ लिया हुआ । मछली। ---वास-पु. किसी के घर में रहवास, निवास । गोस-
प डेगा मर्य। पत्नी के रूप में प्रावास । सहवास, समागम । -वेध-पु० ग्रहसणौ (बो)- देखो 'ग्रहसणो' । ग्रह की स्थिति का ज्ञान ।
ग्रा-पु० [सं०] १ यज्ञ का एक पात्र विशेष । २ पालतू पक्षी । महकेस्वर-पु० [सं० गुह्यकेश्वर] कुबेर ।
-वि० ग्रहण करने योग्य । -सूत्र-पु० संस्कार संबधी ग्रहक्करणो (बो)-देखो 'गहकरणो' (बौ)।
पद्धति की पुस्तक। गहरण-पु० [सं० ग्रहणम्] १ सूर्य या चन्द्र ग्रहण। २ लेना | ग्रांजणी-देखो 'गुरांजगी' ।
क्रिया, ग्रहण करना। ३ दुःख, कष्ट, पीड़ा। ४ हाथ ।। ग्रांम (डौ)-पु० [स०] १ छोटी बस्ती, गांव, देहात। २ जन्ग ५ इन्द्रिय । -गंध, ग्रंध-पु० भौंरा, नाक। -वैरी-पु.
भूमि । ३ समूह, केर । ४ शिव । ५ स्वरों का सप्तक । भाला । ---सुगंध-पु० नाक।
-जाचक-पु. गांव के सभी घरों में याचना करने वाला । ग्रहरिण (रणी)-स्त्री० [सं० ग्रहरिण:] १ पेट में रहने वाली एक -पाळ-पु० गांव स्वामी, जागीरदार। गांव का चौकी
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