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चतरथी
चतुरयो-स्त्री० [सं० चतुर्थी] चन्द्रमास के प्रत्येक पक्ष की चौथी चतरानन-पु० [मं ब्रह्मा । तिथि । -वि. चौथी, चतुर्थ ।
चतुरानम-पु० [सं० चतुराश्रम| मनुष्य जीवन की चार चतुरदंत (दंती)-पु. ऐरावत हाथी।
अवस्थाएं, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, बागाप्रस्थ व संन्यास । चतुरवस-वि० [सं० चतुर्दश] दस व चार, चोदह । चतुरेस-पु० [स० चतुरेश] विष्णु । --वि० दक्ष, प्रवीण, निपुण । -स्त्री० चौदह की संख्या, १४ ।
चतुसकळ-वि० चार मात्रा वाला। चतुरदसी-स्त्री० [स० चतुर्दशी] प्रत्येक मास के प्रत्येक पक्ष चतसपद-पु० [सं० चतुष्पद १ चार पैरों वाला प्राणी । २ चार __ की चोदहवों तिथि।
पदों वाला एक छन्द । -वि. चार मात्रामों वाला। चतुरद्रस्ट्र-पु० [सं० चतुष्ट्र] १ ईश्वर । २ स्वामि कात्तिकय । चतसपदी-स्त्री० १ प्रत्येक चरण में १४ मात्रा वाला एक छन्द । ३ एक राक्षस का नाम ।
२ चार पद का एक गीत। चतुरदिक, (दिस)-स्त्री० [सं०] चारों दिशाएं । -कि० वि०
चतुस्कोरण-वि० [सं० चतुष्कोण चार कोणों वाला। चारों ओर।
चतुस्ट्य-पु० [सं० चतुष्ट्य] १ चार वस्तुओं का समूह । चतुरधाम-पु० चारों धाम तीर्थ ।
२ चार की संख्या । ३ जन्म कुण्डली में केन्द्र लग्न और चतुरपणई-पु० चातुर्य, चतुराई ।
लग्न से सातवां तथा दसवां स्थान । चतुरपदी-पु० १ चौपाया जानवर । २ एक मात्रिक छंद विशेष ।। चतुस्पथरता-स्त्री० एक स्कन्द मातका । चतुरबाह (बाहु)-पु० [सं० चतुरबाहु] चारभुजा वाला देव ।। चतस्पद-देखो 'चतुसपद'। चतुरबह-पु० [सं० चतु! ह] १ चार पदार्थों का योग । २ चार
चतुस्पदा-देखो 'चतुमपदा । मनुष्यों का समूह । ३ विष्णु ।
चतस्पदी-देखो 'चतृसपदी'। चतुरभुज-पु० [सं० चतुर्भुज] १ विष्णु प्रादि चार भुजा वाले
चतस्पारणी -वि० [सं० चतुप्पाणि] चार हाथ वाला । देव । २ मंगल ग्रह । ३ सूर्य । ४ ब्रह्मा । ५ परमेश्वर । -पु० विष्णु, ब्रह्मा आदि देव । ६ दुर्गा, देवी। - वाहण-पु० गरुड़ । हंस।
चत्ति-देखो "चित'। चतुरभुजा-स्त्री० [सं०] गायत्री प्रादि चारभुजा वाली देवियां । चत्रंग-१ देखो 'चात्रंग' । २ देखो 'चतुरंग' । ३ देखो "चित्तौड़। चतुरभुजी-स्त्री० [सं०] १ एक वैष्णव सम्प्रदाय विशेष । २ इस चत्रं गढ़-देखो 'चित्तौड़'। सम्प्रदाय का अनुयायी । ३ विष्णु । ४ दुर्गा, देवी । ५ एक |
चत्र-देखो 'चतुर'। प्रकार की तलवार।
चत्रकोट, (कोठ, गढ़ )-पु० चित्तोडगढ़ । चतुरमास-पु० [सं०] वर्षा ऋतु के चार मास ।
चत्रधा-वि० चार प्रकार का। चतरमूख-पु० [सं०] १ ब्रह्मा । २ विष्णु । ३ अनिरुद्ध का एकचत्रबांह (बाह)-पू० योद्धा, वीर।
नाम । ४ सगीत में एक ताल । -वि० चारमुख वाला। चत्रभरण (न,न)-देखो "चित्रभारण' । चतुरमुगती-स्त्री० सायुज्य, मामीप्य, सारूप्य व मालोच्य चार
|चत्रभुज (भुज्ज. भूज)-देखो 'चतुरभुज' । प्रकार के मोक्ष।
चत्रसाळ (साळा)-देखो 'चित्रमाळा' । चतुरवरग-पु० [सं० चतुर्वगं] अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष का चत्रांम-देखो 'चित्रांम'। समुच्चय ।
चत्र गु-देखो 'चतुरंग'। चतरवरण-पु० म० चतुर्वर्ण] १ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्व व शूद्र चत्र-वि० १ चार । २ देखो 'चतुर' । ___ चार वर्ण । २ अनिरुद्ध का एक नाम ।
चत्वर-पु० [सं०] चबुतरा या मंडप । चतुरविद्या-स्त्री० चारों वेदों को विद्या।
चत्वरबासिनी-स्त्री० एक स्कन्द मातृका । चतुरविध-क्रि०वि० चार प्रकार से।
चत्वार-वि० [सं० चत्वर चार। -पु०१ चबूतरा। २ चौराहा ।
चदिर-पु० [सं०] १ चन्द्रमा । २ हाथी । ३ भाप, सर्प । चतुरवेद-पु० १ चारों वेद । २ ईश्वर ।
४ कपूर । चतुरा-स्त्री० नृत्य की एक मुद्रा।
चनण-देखो 'चंदग'। -~-गो, गोह'चंदणगोह' । चतुराई-स्त्री०१ निपुणता, दक्षता, पटुता । २ धूर्तता, चालाकी ।
| चनरिणयो-पृ० १ चन्दन । २ चन्दन जैमा रंग । -वि० चन्दन के चतुराणण-देखो 'चतुरानन' ।
रग का। चतुरातमक-वि० कुशाग्र बुद्धि ।
चनरमा-देखो 'चंद्रमा' ।। चतुरातमाविग्य-पु० अनिरुद्ध का एक नाम ।
चनवाई, चनवापी-स्त्री० स्वर्ण मंडित हाथी दांत की चूडी । चतुरात्मा-पु० [सं०] ईश्वर । विष्ा ।
चनाब-देखो 'चिनाब'।
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