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जोधप
गोबरचन
गोधम (धांम)-पु० १ झगड़ा, टंटा, फिसाद । २ ऊधम । | गोपाचळ-पु० १ ग्वालियर शहर का प्राचीन नाम । २ इस
३ उपद्रव, विद्रोह, । ४ उद्दण्डता, बदमाशी । ५ युद्ध, । शहर के पास का पर्वत । समर । ६ विद्रोह, विप्लव ।
गोपारडा-स्त्री० एक प्रकार की गोह । गोधर-पु० [सं०] १ पर्वत, पहाड़। २ चन्द्रमा।
गोपायित-वि० [सं०] १ गुप्त, गोपनीय । २ रक्षित। गोळियो-पु० छोटा बैल ।
गोपाळ, (क)-पु० [सं० गोपाल] १ गउवों का पालन करने गोधार-पु० [सं०] १ इन्द्र । २ गोह नामक जंतु ।
वाला, ग्वाला, अहीर । २ श्रीकृष्ण। ३ राजा । ४ परमेगोधि-स्त्री० सं०] १ ललाट, भाल । २ मस्तक । ३ गंगा का
श्वर । ५ इन्द्रियों का पालन करने वाला, मन । ६ एक नक्र।
मात्रिक छन्द विशेष । --खवास-पु.एक प्रकार का घोड़ा। गोळिक (ळीक)-देखो 'गोधूळिक' ।
| गोपालिका- स्त्री० १ गिजाई या गुबरैला नामक बरसाती
कीड़ा । २ गोपालन करने वाली ग्वालिन, ग्वालिन । गोधुळक्क--पु० गायों के खुरों से उड़ने वाली धूल, रज ।
गोपाळी-स्त्री० स्कन्द की एक मातृका । गोधूम-पु० [सं०] गेहूँ।
गोपाळु-देखो 'गोपाल' गोधूळ-पु० १ गायों के खुरों से उड़ने वाली धूल । २ वह समय | गोपि, गापिका, गोपी- स्त्री० १ गोप की स्त्री, ग्वालिम, जब उक्त धुल उडती है।
अहीरनी । २ ब्रज-बाला। -रास रमण (न) -पृ० गोषळक (ळिक)-स्त्री० [सं० गोधुलिक] १ सूर्यास्त का समय,
श्रीकृष्ण। -सिरमण, सिरोमरिण-पु० श्रीकृष्ण । जब गायें जंगल मे चरकर लौटती हैं। २ इस समय होने | गोपीचंरण, गोपीचंद (चंद्र)-पू० - एक प्राचीन राजा जिन्होंने बाला मांगलिक मुहूर्त।
माता के उपदेश से वैराग्य लिया था। गोधूळकियो (क्यो), गोधूळिकियो-पु० गोधूलिक समय का
| गोपीचंदरग (न)-पु० [सं०] द्वारका के सरोवर की पीली वैवाहिक महतं । -वि० गोधूलिक वेला का या उस संबंधी।
मिट्टी जिसका वैष्णव लोग तिलक लगाते हैं ।
गोपीजनवल्लभ-पु० [सं०] श्रीकृष्ण । गोषेय, गोधेर, (रक)-पु० [सं०] गोह नामक जन्तु ।
गोपीथ-पु० सं०] १ गउवों का, पानी पीने का, जलाशय । गोधौ-पृ० १ बड़ा बछडा । २ युवा बैल । ३ सांड ।
२ एक प्राचीन तीर्थ । गोनंद-पु० [सं०] १ स्वामिकात्तिकेय का एक गण । २ बछड़ा। गोपीनाथ, गोपीपत (पति) गोपीवर, (वल्लम), गोपीस-पु० ३ एक पौराणिक देश।
[सं०] श्रीकृष्ण । गोपंगरण (न, ना)-स्त्री० [सं० गोपांगना] गोप जाति की गोपुर- पु० १ बड़े किले, नगर, मंदिर प्रादि का ऊंचा द्वार । स्त्री, गोपी।
२ त्रिलोक. स्वर्ग लोक । गोप-पृ० १ गायों का पालक, ग्वाला । २ गोशाला का प्रधान । | गोपेंद्र-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ गोप सरदार नंद ।
३ राजा, भूपति । ४ श्रीकृष्ण । ५ ब्रजभूमि । ६ गाय। | गोपी-पू०१ गाय का बछड़ा। २ गाय बांधने का स्थान । ७ एक गंधर्व का नाम । ८ एक स्वर्णाभूषण। ९गाली. ३ गाप । अपशब्द । १० उत्तेजना । ११ दीप्ति, चमय., कांति । गोप्रवेस- पु० गायों का जंगल में लौटने का समय, गोलि १२ छिपाव । -वि० १ गुप्त । २ रक्षक ।
वेला । गोचरण-१ देखो ‘गोपन' । २ देखो 'गोफरण'।
गोफरण, गोफरिणयौ गोफा-स्त्री० [सं० गोफरण] १ चमड़े की दो
छोटी रस्सियों के बीच बनी फन जैसी पट्टी, जिस पर कंकर गोपत (पति)-पु० [सं० गोपति] १ शिव । २ विष्णु । ३ सूर्य ।।
रख कर धुमा कर फेंका जाता है। यह फसल की रखवाली ४ राजा । ५ ग्वाल । ६ श्रीकृष्ण । ७ वृषभ, मांड ।
में काम माता है। २ स्त्री के बालों की वेणी में गूथा जाने गोपथ-पु० अथर्ववेद का एक ब्राह्मण ।
वाला आभूषण । गोपन-पु. गाय के खुर का चिह्न या गड्ढ़ा ।
गोफियौ- पु० १ 'गोफण' में रख कर फेंका जाने वाला कंकर। गोपरांन-पु० गुप्तदान ।
२ देखो 'गोफरण' गोपन-पु० [सं०] गोपनीयता, लुकाव-छिपाव ।
गोबड्डन- देखो 'गोवरधन' । गोपपति-पु० श्रीकृष्ण।
गोबर- पु० [सं० गोविट] गौ-मल, गाय का का विष्टा, भैंस का गोपांनसि-पु० कच्चे मकानों की छाजन का दीवार से बाहर विष्टा । -गणेण-वि० बेडौल, भद्दा । मूर्ख, नासमझ । निकला हुआ भाग।
गोबरधरण (धन)- देखो 'गोवरघन' ।
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