________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
कूबड़ी
कुमी - स्त्री० [सं० कुम्भिका ] छोटा पात्र । धूम देखो 'कोम'।
www.kobatirth.org
कूमेतकसमोरी- पु०यौ० एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा । कुमेव पु० एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा ।
( २५५ )
बड़ी स्त्री० कुब्जा नामक कंस की दासी
कूबड़ी - वि० [सं० कुब्ज (स्त्री० कूबड़ी) झुकी हुई या उठी हुई
पीठ का कुब्ज । वक्र ।
कूल्यस - देखो 'कुळिस' ।
कूबियो,
वि० [स्त्री० [कूबी) १ जिसका पीठ, मुह टेड़ा या ल्हो (बौ) कि० तिरछी निगाहें या घावों को कुछ छोटी मुड़ा हुआ हो । २ कुबड़ा ।
कूल्हरणो
-
करके एकटक देखना ।
कूमटी-पु० एक प्रकार का कंटीला वृक्ष ।
कूरबारण- पु० एक प्रकार का पात्र विशेष ।
कूरम (म्म ) - पु० [सं० कूर्म] १ कच्छप, कछुग्रा । २ विष्णु का कच्छप अवतार ३ पृथ्वी ४ प्रजापति का एक अवतार । ५ नाभिचक्र के पास की नाड़ी । ६ एक प्रसिद्ध राजपूत वंश । ७ शरीरस्थ दश वायुनों में से एक। ८ एक तांत्रिक मुद्रा ९ छप्पय छन्द का एक भेद । चत्र- पु० एक. तांत्रिक चक्र । द्वावसी स्त्री० कच्छप श्रवतार की पौष मुक्ता द्वादशी की तिथि पुरी ० एक पुराण । -वंस- पु० कच्छवाहा वंश ।
1
क्रूरमा स्त्री० एक प्रकार की वीरणा । कुरमासरण (न) - पु०
एक ।
कुरम्म करिब देखो 'कुरम'
कूड़ी (डी) मिट्टी का छोटा पात्र पूळातरी-देखो 'कुळवरी' ।
कूलीय - पु० [सं० कवलिका ] कौर, ग्रास ।
कुलीर - पु० केंकड़ा ।
फूरि (री) - स्त्री० एक प्रकार की घास ।
कुरो - पु० मेवाड़ की तरफ होने वाला एक अनाज । कूळ (कु) - । (छ) पु० [सं०]] १ तट किनारा २ सेना का पृष्ठ भाग । ३ बड़ा नाला । ४ तालाब । - क्रि०वि० पास, समीप ।
'कुमोत-देखो 'कुमीत' |
कूवौ - पु० [सं० कूप ] कूप । कूप्रा । - सर्व० कौन । कूसमांड - पु० कुम्हड़ा, कोला ।
फूह - १ देखो 'कुहर' । २ देखो 'कुह' ।
पूर्व कोई भी । कुरंम-देखो 'कुरम'। कूर पु० [सं० दूर:] १ भोजन खाना २ भात ३ चावल कंकड़-० [सं० कर्कटः ] पाठ पांचों का एक जंतु । । । - । वि० [सं०] १ निर्दयी क्रूर खोटा । ४ कुमार्गी । ५ झूठा, असत्य
।
।
२ नीच दृष्ट ३ बुरा, । ६ भयंकर, डरावना । - कपूर- पु० एक प्रकार का खाद्य पदार्थ । - पर-स्त्री० कोहनी
कूरका स्त्री० एक देशी खेल ।
कुरडी देखो 'उकरही' ।
कूल्हर - स्त्री० घी में भुना व शक्कर मिला आटा । ही स्त्री० पांचों पर बांधने की पट्टी
कूल्हो - पु० जांघ का संधि स्थान । नितंब । कूबड़ी (डी) [स्त्री० [छोटा व संकरा कुमा
वाळी वि० कृमा संबंधी।
।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
।
,
कॅवार स्वी० मोर के बोलने की ध्वनि मोर की आवाज । कैंडी - स्त्री० स्वर्णकारों का एक प्रौजार ।
कँडी - पु० बढ़ई का एक श्रीजार ।
[सं० कूर्मासन] चौरासी ग्रासनों में से | केईक - वि० कितने ही अनेकों । कुछेक । केवर-देखो 'केयूर'
कैका
केंद्र पु० [सं०] १ किसी वृत्त के ठीक बीच का बिन्दु २ किसी क्षेत्र का मध्यस्थल । ३ मुख्यस्थान । ४ किसी कार्य या शासन का प्रमुख स्थान । ५ ज्योतिष में ग्रहों का केन्द्र । ६ जन्म कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम व दशम स्थान । ७ बीच का स्थान ।
कवच - स्त्री० एक प्रकार की प्रोषधि ।
के पु० १ रत्न । २ खान ३ मयूर ४ प्राण। वि० १ कुछ । २ कितने कई । सर्व० १ कौन । २ किस । ३ क्या । - प्रत्य० १ संबंध कारक का विभक्ति चिह्न का का बहुवचन । २ देखो 'के' ।
केइक - वि० कितने ही, अनेक ।
केई वि० १ अनेक बहुत कई २ कितने ही सर्व किस, किसी ।
केकंद, केकंध- देखो 'किस्किंधा' । के पु० मोर, मयूर वि० कुछ कितने कई बहुत सर्व० १ किसी २ देखो केकी' ।
।
।
काल-१० (स्त्री० [केकाली घोड़ा ब केका स्त्री० मादा मोर, मोरनी ।
।
केक पु० [सं०] १. एक प्राचीन देश २ इस देश का राजा। केकयी - स्त्री० [सं०] १ केकय देश के राजा की पुत्री ।
२ भरत की माता ।
For Private And Personal Use Only