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क्षेत्रपाळ
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( २७१ )
क्षेत्रपाळ - पु० [सं०] १ एक देव विशेष । २ खेत का रखवाला । ३ ४९ भैरवों में से एक। ४ द्वारपाल । ५ व्यवस्थापक । क्षेत्रफल ० [सं०] स्थान की लम्बाई-चौड़ाई का परिमाल क्षेप - स्त्री० [सं०] १ उछाल, कुदान । २ फेंकना क्रिया । ३ ठोकर ४] निदा अपकीर्ति कलंक ६ दूरी ७ अक्षांश | ८ गुजारना, बिताना । ९ चालान । १० पर्यटन भ्रमण । ११ समूह । १२ आवृत्ति ।
क्षेपणी- स्त्री० [सं०] १ नाव की बल्ली, डांड । २ जाल ।
ख- नागरी वर्णमाला का द्वितीय व्यंजन वर्मा | खंक- देखो 'खंख' |
३ एक प्रकार का शस्त्र
मंकरी स्त्री० १ एक चिड़िया विशेष २ देखो 'क्षेमकरी' ।
कार (1) देखो संचार' ।
खंख स्त्री० [सं० + क] बादल या धुंए की तरह उठने वाले धूल के बारीक करण समूह । गर्द, रज । खंखर (रौ) - वि० १ बहुत पुराना । २ प्रति वृद्ध । ३ सूखा हुआ व थोथा । ४ जो आकर्षक न हो। ५ निर्जन, उजाड़ । वळ, पंचाड़-स्त्री० [सं०] खोल] प्रांची खंखाट स्त्री० तेज श्रांधी की श्रावाज ।
खंखार (रौ ) - पु० १ धीमे से खांसने की क्रिया या भाव। २ हल्की खांसी । ३ गाढ़ा थूक, बलगम, कफ । ४ नाश, ध्वंस | खंखाळ - देखो 'खंखल' ।
- ख
खंखाळणी (बी) - देखो 'खंखोळणो (बौ) 1
बेरी (०१ पकड़ कर ओर से हिलाना |
१ पानी में डुबो कर
२ झकझोरना । ३ झाड़ना । खंखोळणी (बौ) - क्रि० [सं० क्षालनं ] निकाल लेना । २ हल्के से धोना ४ स्नान करना । खंखोळी (ळौ) - स्त्री० १ स्नान । २ स्नान के लिए लगाई जाने
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३ प्रक्षालन करना ।
वाली डुबकी । खंग- देखो 'खग' |
गवा देगा।
खंगापति (ती) - देखो 'खगांपत' ।
खगाळ पु० १ तीर, बारण । २ नाश, ध्वंस |
क्षेम-पु० [सं०] १ सुरक्षा, प्राप्त वस्तु की रक्षा । २ कुशल । क्षेमकरण ० अर्जुन का एक पौष
क्षेमकरी - स्त्री० [सं०] १ श्वेत गले की चील ।
कुशल करने वाली।
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क्षेमकल्पां ०१ कुलक्षेम २ एक राग विशेष । क्षेमकारी- देखो 'क्षेमकरी' ।
क्षोण (खा, सी) स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि २ एक की संख्या ।
क्षोणिप - पु० [सं०] राजा ।
सोहरण (रिणी) देखो 'पक्षोहिणी'।
खंगालो - वि० संहार या नाश करने वाला । गाळणी (बौ) - क्रि० संहार या नाश करना । गेल-देवो''।
खजरी
खंजरी - स्त्री० विशेष |
२ एक देवी,
खंच - स्त्री० [सं० कर्ष ] १ खिचावट, तनाव | २ कमी । ३ तंगी । ४ मन-मुटाव । ५ शत्रुता । ६ तिरछापन । ७ भौंह का तनाव | ८ खींच-तान । ६ प्राग्रह, मनुहार ।
१ खिंचना, खींचा जाना । ४ चिह्नित या मंडित
खंचरण (ब) - क्रि० [सं० कर्षणम् ] २ तन जाना । ३ ऐंठ जाना । होना । ५ तंगी या कमी सहना । खंचमास स्त्री० अर्द्ध मंडलाकार पत्थर की चपटी गढ़न । पंचाबी० १ सिवाना २ नवाना ३ ऐंठन
डलवाना । ४ चिह्नित या मण्डित कराना । ५ तंगी या कमी में रखना ।
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पंज जवि० [सं० [ज] १ लंगड़ा पंगु २ का का एक रोग । २ खंजन पक्षी ।
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- पु० १ पैर जकड़ जाने
३ एक खेल विशेष ।
खंजड़ी - देखो 'खंजरी' ।
खंजन- पु० [सं०] सुन्दर ग्राखों वाला एक पक्षी विशेष । वि० ० काला, श्याम । - प्रासन-पु • चौरासी आसनों में से एक ।
खंजर - पु० [फा०] १ एक प्रकार का शस्त्रद्वरा । २ वृद्ध, बुढ़ा । ३ देखो 'खंजन' ।
० १ छोटी डफली ।
२ स्त्री के हाथ का आभूषण