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खींचतारण
(
२९२ )
खीलहरी
१२ आवरण वस्त्र प्रादि हटाना। १३ रोक रखना । खोजाणों (बो), खीजावरणौ (बौ)-क्रि० १ क्रोध दिराना। १४ व्यापार का माल मंगाना । १५ चारों ओर से । २ चिढ़ाना, खिजाना ।
एकत्र कर लेना। १६ किसी बात पर अड़ जाना। खीजाळ-वि०१खोजने वाला। २ अातंक जमाने वाला। खींचतारण (न), खींचातारणी (नी)-स्त्री० १ खींचा-खींची। | खीझ-देखो 'खीज'।
खीचातान । २ गूढ विषय पर विचार विमर्श, अर्थ निकालने | खोटपो (बो)-देखो 'खिटणी' (बी)। का प्रयास । ३ प्रयास, प्रयत्न । ४ जोड़-तोड़ । ५ प्राग्रह | खीटली-देखो 'खींटली' । पूर्वक मनुहार । ६ आपाधापी।
खोटारो (बी)-देखो 'खिटाणी' (बो)। खींचारणौ (बी), खींचावणौ (बो)-क्रि० १ पकड़ कर अपनी ओर खीण (पौ)-वि० [सं० क्षीण] १ दुर्बल, निर्बल, कृश ।
बढ़वाना । २ घसीटवाना, चलाने के लिए खिंचवाना। २ अत्यन्त पतला । ३ सूक्ष्म, बारीक । ४ मंद, मध्यम । ३ लेजाने के लिए प्रेरित करना । ४ आकर्षित कराना। ५ उदासीन, चितित । -ता-स्त्री० दुर्बलता, निर्बलता। ५ बाहर निकलवाना । ६ तनाव दिराना, तनवाना । पतलापन । सूक्ष्मता । मंदापन । ७ सोखाना, चूसाना । ८ अर्क निकलवाना । ९ सत्व खीनखाप-पू० एक जरीदार बढ़िया रेशमी वस्त्र । निकलवाना । १० रेखांकित या चित्रांकित कराना। खीबर, खीमर-देखो 'खीवर' । ११ प्रावरण हटवाना । १२ रुकवाना । १३ व्यापारिक खीर (रि)-स्त्री० [सं० क्षीर] १ दूध । २ दूध में चावल-शक्कर
माल मंगवाना । १४ एकत्र कगना । १५ बात अडाना। डालकर बनाया हुआ पकवान । ३ पानी। ४ प्रार्य गीत खोटणी (बी)-देखो 'खिटणी' (बी)।
या कंधारण का भेद विशेष । -कंठ-पु० बालक । खींटली-स्त्री० स्त्रियों के कान का प्राभूषण ।
-काकौली-स्त्री० एक औषधि विशेष । -ज-पु० दही, खीरगो-वि० १ नष्ट, नाश । २ देखो 'खीरण' (गो)।
दधि, घृत, घी । -वध-पु. समुद्र । क्षीर-सागर । खींप-पु० मरुस्थल में होने वाला एक तंतुदार क्षुप ।
-दधि, पत, पति, पती-पु. समुद्र । -संध, समंव, खींपोळी-स्त्री० 'खौंप' की फली ।
समुद्र, सागर-पु. क्षीर सागर । खोयाळ-देखो 'खियाळ'।
खीरड़ी-स्त्री. १ एक पौधा विशेष । २ देखो 'खीर'। खींवर-देखो ‘खीवर'।
खीरसागर-पु. १ खीर परोसने का पात्र । २ क्षीर समुद्र । खींवली-स्त्री० गले का एक प्राभूषण विशेष ।
खोरू-देखो 'खीर'। खी-पु० १ विधि, विधाता । २ कामदेव । ३ इन्द्र । ४ कुशल क्षेम । ५ श्रृगाल । ६ अप्सरा ।
खीरोद-पु० [सं० क्षीरोद] समुद्र, सागर । खीखां-स्त्री० १ क्षति, हानि। २ हंसी, मजाक, मखौल । खीरोदक-देखो 'क्षीरोदक'। खीच, श्रीचड़-पु० [सं० कृसर] १ बाजरी या गेहूँ आदि को खीरी-पु० सं० क्षरण] १ जलता हुमा कोयला, अंगारा । प्रोखली में कूट कर पकाया हुआ खाद्य पदार्थ । २ जाल,
। २ एक प्रकार की लकड़ी। ३ दूधिया दांत वाला बैल । करील, नीम आदि वृक्षों का बौर । ३ बैर के वृक्ष पर
खीरौलियौ(लो)-पु० १ एक प्रकार का जंगली प्याज । २ बाजरी होने वाला विकृत पदार्थ ।
के आटे की खीर। खीचड़ी-देखो 'खिचड़ी'। खीचड़ो-देखो 'खीच'।
खील-स्त्री० [सं० कील] १ लोहे या काष्ठ का कीला, कील । खीचरणौ (बौ)-देखो 'खींचणी' (बी)।
२ खुटी । ३ नुकीला फोड़ा या फुसी । ४ रहट का
स्तंभ । ५ चक्की की धुरी । ६ भूज कर फुलाए हुए खीचारणौ (बौ)-देखो 'खींचारणो' (बी)। खोचियो-पु० [सं० क्षार + चित्] साजी या क्षार के पानी में ।
चावल, जौ आदि। पाटे को पका कर बनाया हुअा छोटा पापड़ ।।
खीलण-स्त्री. १ दो वस्त्रों को परस्पर जोड़ने की क्रिया । खोज-स्त्री० [सं०क्षीज] १ कोप, क्रोध । २ चिढ़। ३ झल्लाहट,
२ एक प्रकार की सिलाई । ३ अंकुश । ४ मंत्रों द्वारा किया झिड़की । ४ शीतकाल में होने वाली ऊंट की मस्ती।
जाने वाला वशीकरण । खोजणी (बी)-क्रि० [सं० श्रीज] १ कोध करना, गुस्सा करना। खीलणी (बी)-क्रि० १ दो वस्त्रों परस्पर जोड़ना । २ चिढ़ना, खीजना । ३ झल्लाना । ४ झुझलाना ।
| २ सिलाई करना, टांकना। ३ बांधना । ४ जूती गांठना ५ निरुत्साहित करता या होना। ६ ऊंट का मस्ती में |
| सीना । ५ मंत्रों द्वारा वश में करना । प्राना।
खोलहरी-देखो खिलोग।
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