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खेतल
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( २९९ )
योद्धा वीर
-पाळ- पु०
जीव-पु० किसान, कृषकपाळपु० क्षेत्रपाल, ये ४६ माने गये हैं । खेल (खेतली)- पु० १ रथ वाहण-पु० श्वान खेतिहर - पु० [सं० क्षेत्रधर] ती स्त्री० [० क्षेत्र कृषि] बोवाई । २ फसल । एक जाति । - पाती-स्त्री०
किसान काश्तकार
।
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खेतु (तू) - देखो 'खेत' ।
खेत्तर, खेत्र - १ देखो 'क्षेत्र' । २ देखो 'खेत' ।
खेमा स्त्री० [सं० क्षमा ] पृथ्वी, भूमि । खेत, खेमाळ- स्त्री० ० तलवार ।
।
क्षेत्रपाल ३ द्वारपाल बस बेमौ पु० [अ०] मा] तंबूरा मिरि । । कुत्ता । खेयारा- पु० [सं० खचार ] नक्षत्र । किसान, कृषक | खेरज-पु० रजत, चांदी | १ कृषि कार्य कारकारी प्रनाज की -गर पु० किसान । कुम्हारों की
खेर
,
कृषि, काश्तकारी । -बळ
बाड़ी, बाड़ी स्त्री० कृषि कार्य
।
क्षेत्रज-०१ क्षेत्र संतान २ सोलंकियों की धाराध्य देवी । । वेपाळ-देखो बेतरपाळ' ।
खेप स्त्री० [सं० क्षेप] १ आतंक, भय, डर । २ गाड़ी या नाव की एक बार की यात्रा । ३ एक बार में लाई-लेजाई जाने वाली वस्तु । ४ थोक । ५ नर भेड़ों का समूह । ६ खजाना । ७ मिल्कियत, जायदाद ।
खेपणी स्त्री० नाव की बल्ली, डांड ।
ब- देखो 'खेप
खेम पु० [सं० क्षेम ] १ रक्षा, सुरक्षा । २ कुशलता, प्रानन्द मंगल । करी, कल्यांणी-स्त्री० श्वेत रंग की चील । -कुसळ - पु० कुशल क्षेम | आनन्द मंगल । खाप-पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
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क्षेत्र
वि० [सं० क्षरण १ नाम करने वाला २ नोकर गिराने वाला । ३ बचा खुचा । पु० १ बचा खुचा या अवशिष्ट भाग । २ बार, प्रहार । ३ चलनी । ४ एक प्रकार
का वृक्ष । रखियो पु० १ हिन्दू हार, सिकलीगर । करने का उपकरण । ३ छोटी चलनी । खेरली स्त्री० १ चलनी २ देखो 'मेरा' । । खेरणौ- पु० बड़ी चलनी ।
र यो० [सं० जर १ गिराना, टपकाना २ उखाड़ना, पटकना । ३ तोड़ना । ४ संहार करना, मारना । ५ वृक्ष को जोर से हिलाकर कमल पत्ते गिराना । खेरागौ (बी) - क्रि० १ गिरवाना, टपकवाना । २ उखड़वाना,
बेजाड़ो-देखो 'खोत्रादों
त्रि (श्री)- १ देखो येती' २ देखो 'खेव'
वेद पु० [सं०] १ अफसोस, कष्ट, पीड़ा । २ रंज । ३ पश्चाताप । ४ ग्लानि, घृणा । ५ थकान । ६ उदासी, खिन्नता । ७ ईर्ष्या, द्वेष ।
पटकवाना । ३ तुड़वाना ४ संहार कराना, मरवाना । ५ वृक्ष को हिला कर फल-फूल व पत्ते गिरवाना ।
वेदवर पु० घोड़ा का उवर विशेष
खेदी (बौ) - क्रि० १ भागना । २ पीछा करना । ३ खदेड़ना । खेरी - पु० १ एक प्रकार का पुष्प । २ देखो 'खेड़ी' । ४ तंग करना । ५ कष्ट या पीड़ा देना ।
सेबाई स्त्री० १ लदेड़ने की क्रिया । २ खदेड़ने का पारिश्रमिक
३ वैमनस्य ४ ईर्ष्या ।
वेदित वि० [सं०] दुःखी चित्र
खेदी - पु० [सं० खेद] १ हठ, जिद्द । २ शिकार, श्राखेट ३ पीछा । ४ शिकार का हाका । ५ देखो 'खेद' । वेध - पु० १ विरोध । २ युद्ध, रण । ३ क्रोध । ४ वाद-विवाद | ५ देखो 'खेद' । खेधाऊ - वि०
१ क्रोध करने वाला । २ ईर्ष्या करने वाला । ३ विरोध करने वाला ।
खेधी - पु० शत्रु, री दुश्मन । खेधो-देखो 'खेदो' ।
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खेल
खेरू खेरू - पु० १ नष्ट ध्वंस । २ क्रोध । ३ गिराने या पटकने की क्रिया ४ व्यर्थ में खर्च, क्षय या कमी होने की दशा । ५ पशुप्रों द्वारा पांव से धूल उछालने की किया बि० ध्वस्त, बर्बाद, विकृत खेरौ - पु० अंश, करण ।
खेळ - पु० १ कुल-भेद । २ देखी 'खेळी' ।
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२ अनाज साफ
खेल ( ग ) - पु० [सं०] १ क्रीड़ा, आमोद-प्रमोद । २ कोई खेल विशेष । ३ नाटक अभिनय । ४ चलचित्र सिनेमा | ५ हंसी, दिल्लगी, मनोरंजन ६ काम-क्रीड़ा । विषय बिहार । ७ लीला, रचना, माया 8 पंक्ति, परम्परा | का खेल ।
कोई अद्भुत कार्य । त्री० नट विद्या नहीं
तरी
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खेतड़ी देखो 'बेलरी ।
खेलरी (बौ) - क्रि० १ ग्रामोद-प्रमोद करना, क्रीड़ा करना । २ कोई विशेष प्रकार का खेल खेलना। ३ नाटक करना, अभिनय करना । ४ हंसी करना, दिल्लगी करना । ५ रतिक्रीड़ा या संभोग करना । ६ लीला करना, रचना करना । ७ प्रद्भुत कार्य करना ।
खेलरी- पु० [सं०] [] १ ककड़ी आदि का काटकर सुखाया हुआ टुकड़ा । - वि० कृशकाय । अत्यन्त सूखा । खेलवाड़ - पु० [सं० केलि) खिलवाड़, क्रीड़ा, तमाशा ।