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पेला
। ३०० )
खांच
खेला-स्त्री० [सं० केलि क्रीड़ा, कौतुक ।
खेह-स्त्री० १ घूल, मिट्टी, रज, गर्द । २ खाक, राख, भस्म । खेलाई-स्त्री. १ खेलने की क्रिया । २ खेलने का पारिश्रमिक । । ३ गर्म राख । ४ मस्ती, उन्मत्तता। खेलाडी-देखो 'खिलाड़ी'।
खेहड़णौ (बो)-क्रि० क्त्तव्य पर चलना, कर्तव्य निभाना । खेलाणी, (बी), खेलावणी, (यो)-क्रि० १ खिलाना । २ खेलने खेहड़ली, खेहडो-देखो 'खेह' ।
के लिए प्रेरित करना । ३ नाटक या अभिनय करना । खेहटियो-वि० मिट्टी का बना । -विनायक-पु. विवाह के ४ विशिष्ट खेलों में मार्गदर्शन या नियन्त्रण करना। अवसर पर प्रतिष्ठित की जाने वाली गजानन की मिट्टी ५ हंसी-मजाक कराना । ६ रतिक्रीड़ा या संभोग के लिए की मूर्ति । प्रेरित करना । ७ लीला या रचना कराना।
खेहरी-१ देखो 'केहरी'। २ देखो 'खेह' । खेळी-स्त्री० १ मवेशियों के लिए पानी पीने का छोटा-कुण्ड । खेहा, खेहाट-स्त्री० रज, धूलि ।
२ पत्थर की कुण्डी । ३ सहेली, सखी । ४ मस्त-स्त्री। खेहाडंबर (रव, रवण)-पु० १ धुल का बादल । २ प्रचंड प्रांधी। ५ मित्र मंडली।
खेहू-देखो 'खेह'। खेळू-वि० १ मुख्य, प्रधान । २ देखो 'खाळू'।
खैकार-देखो 'खू खार'। खेलूर-वि० अति-वृद्ध ।
खैकाळ-देखो 'बंगाळ'। खेळो-पु.१ लड़का । २ नौजवान, पट्टा । -वि० १ मूर्ख, खैखाड़ (8)-देखो 'खेंखाट'। नासमझ। २ पागल । ३ मस्त ।
खंखार-देखो खंखार'। खेलौ-पु० कौतुक, तमाशा ।
खंखारी-देखो 'खंखारी'। खेल्हरणो (बो)-देखो 'खेलणी' (बो)।
खे-खें-स्त्री० तेज हवा या आंधी की आवाज । खेव-क्रि० वि०१ शीघ्र, तुरन्त । २ देखो 'खेप' ।
खंग-देखो 'खेंग'। खेवट-पु. १ परिश्रम, कोशिश । २ देखो 'केवट' ।
खेंगरणौ (बी)-देखो 'खंगरणी' (बी)। खेवटियो-देखो 'केवट'।
खेंगाळ (ळी)-पु. १ संहार, नाश । २ ध्वंम । ३ वध । खेवटणी (बी)-क्रि० नाव वेना । नदी पार करना, पार कराना। -वि. विनाश लीला करने वाला । खेबल, खेबरणी-देखो 'खेपणी'।
खंच (चौ)-१ स्त्रियों के सिर का प्राभूषण । २ देखो 'खांच' । खेवरणौ (बो)-देखो 'खेणी' (बी)।
| ३ देखो 'खेंच'। खेवाई-स्त्री० [सं० खेव] १ नाव चलाने का कार्य । २ नाव | खैचरणौ (बी)-देखो 'खेंचरणो' (बी)।
का किराया। ३ नदी पार करने का पारिश्रमिक । ४ धूप-खंचातांण (पी)-देखो 'खींचाताण'। दीप करने का कार्य।
खंडूर-वि० शक्तिशाली व बलवान योद्धा । खेवाणी, (बो) खेवावरणी, (बौ)-क्रि० १ नाव चलवाना, खैरण-देखो 'क्षय' । खेवाना। २ पार कराना । ३ धूपदीन करना।
खैपाण-पु० १ मुसलमान यवन । २ संहार, नाश । -वि० वृद्ध । खेवी-वि० खेनेवाला, केवट।
खै-पु० १ शिव । २ नंदीगण । ३ भाई। ४ लड़का । [सं० क्षय] खेस-पु० १ दो सूती वस्त्र । २ ऐसे वस्त्र की चादर । ३ मिटना ५ क्षय । ६ नाश ७ संहार, नाश, ध्वंस । ८ देखो 'खे' । क्रिया । ३ द्वेष, वैमनस्य । ४ क्षति, कमी, अभाव । -वि० खकार-वि० [सं० क्षयकार] १ नष्ट । २ ध्वस्त । -पु. १ नाश, १ नष्ट । २ लुप्त । ३ समाप्त, खत्म ।
२ संहार । ३ अाकाश । खसणी (बी)-क्रि० १ नष्ट करना, मिटाना । २ विनाश करना, खकारी-वि० [सं० क्षयकारी] विनाश करने वाला।
ध्वंस करना । ३ मारना, संहार कराना । ४ समाप्त करना, खैकाळ-पु० १ नाश, संहार । २ युद्ध संग्राम । खत्म करना । ५ हराना, पराजित करना । ६ युद्ध करना, | खैगमल-पु० घोड़ा। ७ पीछे हटाना । ८ धक्का देना । । छीनना ।
बंगरणी-वि० विनाश करने वाला। खेसलियो, खेसलौ-पु० १ दो सूती तार का चादरा, वस्त्र ।
खैगरणी (बौ)-क्रि० १ संहार करना, मारना । २ विनाश २ सूत व ऊन के मिश्रण से बना मोटा वस्त्र ।
करना। खेसवरणो (बो)-देखो 'खेसणौ' (बौ) खेसोत-वि० संहार या विनाश करने वाला।
खंगाळ-वि० संहारक । -पु० संहार, विनाश । खेसो-पु०१ एक प्रकार का अशुभ घोड़ा । २ वैर। ३ द्वेष,
खंगोळ-देखो 'खगोळ' । पाह।
खेड़च-देखो 'खेड़ेच'।
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