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(२९८ )
खेत
खूर-पु० १ घोड़ा । २ फौज, दल । ३ समूह, झुंड । ४ बाण, -स्त्री० १४ अप्सरा । १५ दुर्गा । १६ पिशाचिनी।
तीर । ५ सेना, फौज । -वि० १ घना, अधिक । २ देखो १७ योगिनी । १८ बहत्तर कलाओं में से एक । 'खुर'। -दम-पु० गधा, गर्दभ ।
-गुटका, गुटिका-स्त्री० तांत्रिक योग सिद्धि की गोली। खूरन-स्त्री० हाथी के पांवों की बीमारी।
- मुद्रा-स्त्री० तांत्रिक मुद्रा विशेष । खूसड़ी (औ)-देखो 'सड़ी' ।
खेचरी-स्त्री० जीभ को तालु से लगाने की एक मुद्रा। खूसणौ (बौ)-क्रि० १ बढ़ाना, अगाड़ी करना । २ छोनना । खेचल-स्त्री० १ श्रम, परिश्रम । २ कष्ट, तकलीफ । ३ तंगी, ३ ठूसना। ४ देखो 'खोसणी' (बी)।
परेशानी। खूसारणौ (बौ). खूसावरणौ (बौ)-देखो 'खोसाणो' (बौ)। खेचलणी (बी)-क्रि० १ थकाना । २ कष्ट देना । ३ परेशान खूह-पु० १ कूया. कूप । २ देखो 'कूड' ।
करना । ४ चलाना। खें-खें-देखो 'खे-खें।
खेचाई, खेचौ-स्त्री० १ ईर्ष्या, द्वष । २ शत्रुता, वैर । ३ व्यंग, खेंखार-देखो 'खंखार'।
ताना । ४ मखौल, दिल्लगी। खेखाट-पु. १ तीव्र वायु का झौंका । २ तीव्र वायु की ध्वनि। | खेज-पु० खाद्य पदार्थ । खेंखारौ-देखो 'खंखारी'।
खेजड़, खेजड़लौ, खेजड़ियो, खेजड़ी, खेजड़ी-पु० छोटो पत्ती व खेंगरणो (बौ)-क्रि० नाश करना, मारना, संहार करना ।
छोटे कांटेदार एक मरुप्रदेशीय वृक्ष, शमी। खंच-स्त्री० खींचने की क्रिया या भाव, खिचाव, तनाव । | खेट-पु० [स०] १ सूर्यादि ग्रह । २ घोड़ा । ३ ढाल । खे-पु० १ कवि । २ पक्षी। ' ३ दुःख, खेद । ४ सभा द्वार । ४ चमड़ा । ५ एक अस्त्र विशेष । ६ युद्ध, संग्राम ।
५ नभचर । ६ प्रागा । ७ तलवार । ८ शिव । ९ आकाश । ७ आयुध रूप मूसल । ८ कफ । ९ वह बस्ती जिसके चारों १० धूल, गर्द । ११ राख । १२ अंगारों का ढेर ।
ओर धूल का कोट हो। खेई-स्त्री० झड़ बेरी के सुखे डंठलों का समूह 'पाई' । खेटक-पु० [सं०] १ बलरामजी का मूसल, गदा । २ ढाल । खेउ-पु० खेद, रंज, उदासीनता।
. -वि० १ शक्तिशाली, समर्थ । २ देखो 'खेट'। खेको (खी)-पु० बड़ा अफीमची।
खेटको-स्त्री० ढाल । -पु० योद्धा । खेगाळ-पु० १ तेज प्रवाह । २ तेज गति । ३ देखो 'खोगाळ'। | खेटणी (बी)-क्रि० १ नाश करना, संहार करना । २ हराना । खेड़-स्त्री. १ बड़ा भोज । २ खेत की जुताई । ३ यात्रा की खेटर, (खल)-पु० फटा पुराना जूता। दूरी। ४ एकत्रीकरण ।
खेटाणो (बौ), खेटावरणौ (बौ)-क्रि० १ हराना, पराजित खेड़णी (बो)-क्रि० १ चलना । २ चलाना, हांकना । २ खेत की करना । २ क्रोधित करना । जुताई करना । ४ एकत्र करना । ५ दूरी तय करना ।
| खेटायत-वि० वीर, बहादुर । खेड़ा-स्त्री० १ कुछ-कुछ दिनों के फासले से होने वाली वर्षा । | खेटी-वि० [स० खेटिन्] १ नागर । २ कामुक । २ करण।
खेटौ-पु० [सं० खेट] १ युद्ध, झगड़ा । २ ईर्ष्या, द्वेष । खेड़ाऊ-पु० अकाल पड़ने पर मवेशियों को चारा-पानी के लिए खेड-पु० १ तीर, बारण । २ युद्ध । अन्य प्रदेश में ले जाने वाला।
खेडणौ (बी)-देखो 'खेड़णी' (बौ) । खेड़ी-स्त्री० १ पक्का लोहा, फौलाद । २ युद्ध ।
खेडार-वि० ग्रामवासी, देहाती । खेड़ालाग-पु० नए बसे हुए गांवों व ढाणियों वालों में लिया | खेडूर-वि० बहादुर, जबरदस्त । जाने वाला कर।
खेडूलौ-पु० एक प्रकार का कंद । खेड़-वि० हांकने वाला, चलाने वाला ।
खेडौ-पु० खड्ग, तलवार ।
खेगो (बी)-क्रि०स० [सं० खेव] १ नाव चलाना, खेना । गौ-पु. एक प्रकार का कंद विशेष ।
२ काल क्षेप करना, ममय बिताना । ३ देव पूजन के लिए खेड़ेच, खेड़े चउ खेड़े चौ-पु० राठौड़ राजपूत ।
अप दान करना। खेडो-पु० [सं० क्षेत्र छोटी ढाणी या बसा हुअा छोटा गांव। खेत (डो), खेतर-पू० [सं० क्षेत्र] १ वह भूखण्ड जिसमें किसी खेचर (रु)-पु० सं०] १ नभचारी ।२ सूर्य, चन्द्रादि ग्रह । प्रकार की खेती की जाती है । २ खेत में खड़ी फसल ।
३ तारागण । ४ देवता । ५ विमान । ६ पक्षी। ७ बादल । ३ उत्पति स्थान या प्रदेश । ४ रण क्षेत्र, युद्धस्थल । ८ राक्षस । ९ शिव । १० भूत-प्रेत । ११ कमीस । ५ श्मशान भूमि । ६ वंश, खानदान । ७ पृथ्वी । ८ तलवार १२ चौराठ भैरवों के अन्तर्गत एक । १३ वायु।। की धार का मध्य भाग । ९ भूखण्ड । ---गर-पु० किसान ।
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