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बालसाई
(
२८९
)
विवरण
खालसाई-वि०१ सरकारी । २ खालसा संबंधी।
खासकर-क्रि०वि०विशेषत: विशेषरूप से । खालसौ-पु०१ सरकारी भूमि या सम्पत्ति । २ सिक्खों का एक | खासड़ी ()-पु० जूता, उपानह । सम्प्रदाय । ३ सिख।
खासमहल-पु. १ वह महल जिसमें विवाहित रानी रहती हो। खाला-स्त्री० [अ० खालः] १ मौसी । २ वेश्या, गणिका। २ विवाहिता रानी। खाळाखोळी-पु० बर्तन को साफ करने के बाद का पानी । खासरसोडौ-पु० राजा के निमित्त भोजन बनने का स्थान । खाळाय-देखो 'खाळो।
खासरुको-पु. शासक द्वारा भेजा जाने वाला पत्र । खालि-देखो 'खाली'।
खाससवारी-स्त्री. राजा के लिए प्रारक्षित सवारी। खालिक (कि,की)-पु० [अ०] १ सृष्टिकर्ता, ईश्वर । २ संसार। खासियत-स्त्री० [अ०] १ विशेषता । २ महत्ता । ३ प्रधानता। खाळियौ-पु० पानी बहने का छोटा नाला । नाली।
४ स्वभाव प्रकृति, पादत । ५ गुण । खाळी-स्त्री० [सं० क्षालक] १ छोटी नाली २ मोरी।
खासी-स्त्री० राजा की खास वस्तु । खाली-वि० १ जिसमें कुछ न हो, रिक्त । २ जहां कोई न हो, शून्य, मूना । ३ रहित, विहीन । ४ कार्यहीन, निकम्मा।
खासौं-वि० [अ० खासः] (स्त्री० खासी) १ बहुत, अधिक । ५ जिसके पास कुछ न हो, रिक्त-हाथ । ६ जो काम में न
२ पर्याप्त, पूर्ण । ३ अच्छा भला। ४ उत्तम । ५ मध्यम पा रहा हो, निरर्थक । ७ व्यर्थ, निष्फल । ८ अशुभ ।
श्रेणी का । ६ सुडौल, स्वस्थ । -पु. १ राजा का भोजन । -क्रि०वि० केवल, मात्र, सिर्फ । -पु० तबला।
२ राजा की सवारी का हाथी या घोड़ा । ३ एक प्रकार का खालीचोपरण-स्त्री. प्राभूषणों पर नक्काशी करने का औजार।।
सूती वस्त्र । ४ राजा या बादशाह का निजी अस्तबल । खाळू-पु. १ कबड्डी खेल का नायक । २ टोली-नायक ।
५ ग्वभाव, प्रकृति। ३ चीखड़ या चीकू नामक खेल का वह क्रीड़क जिसमें दाव खाहड़ौ-देखो 'खासड़ौ'। होता है।
खाहणी (बौ)-देखो खाणी' (बौ) । खालेड़-वि० १ आवारा । २ रिक्त, खाली। -पु० १ व्यर्थ गया
खाही-देखो 'खाई'। प्रयत्न । २ शिकार की निराशा । ३ देखो 'खालड़' । खालेडणी (बी)-क्रि० मरे पशु की खाल उतारना ।
खाहेडियो-पु. १ कोचवान । २ सारथी । खाळी, खाल्यो-पु० १ वर्षा के पानी का प्रवाह । २ बड़ा नाला,
खिमाळ, खिमाळी-पु० कोयला।। मोरा । ३ स्रोत । ४ प्रवाह से पड़ा हुमा खड्डा ।
खिखर-स्त्री० हंपी, मजाक, मशकरी, छेड़छाड़ । खालो-वि० (स्त्री० खाली) १ खाली, रिक्त । २ निकम्मा। खिग-पू० सफेद रंग का एक घोड़ा विशेष जिसके मुंह पर पट्टा -पु० स्वर्णकारों का प्रौजार विशेष ।
हो और चारों पर गुलाबीपन लिए सफेद हों। खावंद-देखो 'खाविद'।
खिजर-देखो 'खंजन'। खावरण-स्त्री० १ खाने की क्रिया या भाव । २ खाने का ढंग ।
खिटर. खिटोर-पू. व्यर्थ में तंग करने की क्रिया या भाव । -खंडो, खंदौ-वि० चटौरा, भोजन भट्ट ।
छेड़छाड़। खावणौ-वि० (स्त्री० खावरणो) १ खाने वाला । २ खाने या
खिडपो (बी)-कि०१ धीरे-धीरे छंटना, बिखरना । २ जाना । काटने के स्वभाव वाला । ३ नाश करने वाला।
३ भेजना। खावरणौ (बौ)-देखो खागौ' (बौ)।
खिडाणी (वी), खिडायणी (बौ)-कि० १ धीरे-धीरे छंटाना, खाविंद-पु० [फा०] १ पति, भर्तार । २ स्वामी, मालिक।
बिखेरना । ३ भेजना। ४ खडित करना। खास-वि० [.] १ मुख्य, प्रधान । २ विशेष । ३ निजी, खिदाणी (बौ) खिदावरणौ (बौ)-देखो 'खिडाणी' (बी)। निज का । ४ प्रिय । ५ प्रात्मीय । ६ टेठ। --खजांनौ-पु०
3° खिबता, खिमिया-स्त्री० [सं० क्षमा क्षमा, दया। शामक निजी खजाना, राज कोषागार। --खेळी स्त्री० मंडली । --जात-पु. प्रधान अधिकारी। --डोबड़ा
खियाळ-पु. वह ऊजिसके अगले पांव चनने ममय रगड़ -पु० एक पकवान विशेष । -नवीस-पू० राजा या बादशाह
खाते हों। का मुरुप । लेखक । -बरदार-पू. वह जो राजा या खियाळी-देखो 'खिमाळो' । बादगाह के अम्ब-शस्त्र लेकर चलता हो। -बाड़ौ, बाड़ो। खिवरण-स्त्री० १ चमक, दमक । २ प्रकाश, रोशनी । ३ बिजली। -पु० मुख्य वेरा।
४ भाला। ५ अाक्रामक दृष्टि । ६ सहन करना किया।
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