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खड़ीडंकी - स्त्री० मालखंभ की एक कसरत |
खड़ी - स्त्री० वर्षा का पानी एकत्र होने वाली नीची भूमि । बड़ौदे 'लो' ।
( २०५ )
खड़ी वि० [सं० खड्क] (स्त्री० बड़ी) शिर प्रकाश की ओर करके सीधा धरती पर दूसरा ग्रासमान में रहने आड़ा न हो, ऊभा । ४ ऊपर उठा हुआ । ६ सीधा तना हुआ । ७ प्रस्तुत, उपस्थित | सन्नद्ध । ९ जो गतिमान न हो, ठहरा हुआ । १० बनावट के अनुसार अपनी सही दशा में स्थित ११ प्रारंभ, जारी १२ बिना कटा । १३ समूचा, पूरा । १४ चैतन्य | १५ उठाया हुम्रा, विचाराधीन । १६ जलाशय की मिट्टी की जमी हुई तह |
खचत - वि० [सं० खचित] १ लिखित । २ चित्रित, अ ंकित खटकोण - वि० छः कोणों का । - पु० वज्र ।
३ जड़ित । ४ निर्मित ।
खचाखच क्रि० वि० ठसाठस । लबालब ।
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१ पृथ्वी पर पैर रखकर खड़ा । २ एक शिरा की दशा में । ३ जो
खचर - पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ बादल । ३ हवा । ४ पक्षी । ५ आकाशचारी । ६ देखो 'खच्चर' |
५ उन्नत । तैयार
खच्चर - पु० गधे व घोड़ी के संयोग से उत्पन्न पशु ।
खज - पु० [सं० खाद्य ] १ खाद्य पदार्थ । २ देखो 'खाज' । खजक पु० [सं०] मथनी ।
खजमत - स्त्री० [अ० खिदमत ] १ हजामत । २ देखो 'खिदमत' । खजर - वि० क्रोधित, क्रुद्ध ।
बजली- पु० बाजा |
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खजांची पु० खजाने का अधिकारी । केसियर ।
जनावेळ पु० उपद्वार का अनुभाग विशेष जिसमें ऐसी रकम रहती थी जिसके वर्ष का हिसाब नहीं पूछा जाता था । ( जयपुर ) जनावर पु० धन, दौलत
संपत्ति ।
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(नौ) पु० [अ०] सजान] १ धनागार को खजाना | २ तलवार का एक भाग । बजार (बी) १ खिजाना चिहाना २ क्रोधित करना खजार स्त्री० बंध्या बकरी ।
खजनी देखो बानी' |
खटक - पु० १ खटका, ग्रावाज । २ दर्द, कष्ट । ३ मानसिक कष्ट । कसक । ४ द्वेष । ५ शत्रुता । ६ प्रहार । ७ आशंका | ८चिता । त्रुटि, गलती ।
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खटकड़, खटकरण - देखो 'खटकळ' ।
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खटकाय पु० जीया - जूण ।
खटकूसी - पु० [सं० पट्कोणी] बख
खड़पटियो
खटकरणौ (बी) - क्रि० १ गिरने, पड़ने या टकराने से खटका होना, शब्द होना । २ चुभना । ३ दर्द या कष्ट होना । ४ बुरा लगना । ५ विरक्त होता । ६ डरना । ७ प्रहार होना । ८ अनिष्ट की प्राशंका होना । ९ न सुहाना । खटकरम पु० [सं० पटकर्म ] ब्राह्मणों के छः कर्म । खटकळ स्त्री० १ दरवाजे पर लगी छोटी फाटक २ छः मात्रा का समूह (पिंगल) |
खटको पु० १ 'खट' की श्रावाज, खटका २ भय, दर ३ चिता आशंका | ४ 'खट' से खुलने वाला पेच । ५ चिटकणी । खटखट - स्त्री० खटखट का शब्द कट, झमेला | झगड़ा,
तकरार |
खटखटा
(at) - क्रि० १ दरवाजे पर खट-खट करना । २ स्मरण करना । ३ पुकारना ।
टक्कर (च) ० [सं० पट्] तरीरस्थ पक यथा- आधार स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, धनाहत, विशुद्धि
और प्रज्ञा ।
खटचरण (चल) - पु० [सं० षट् चरण] भौंरा, भ्रमर । टिड्डी । खटजती - पु० [सं० पट्-यति ] लक्ष्मण, हनुमान, भीष्म, भैरव, दत्त और गोरख छः यति ।
खटजाति - वि० छः प्रकार की जातिएं ।
खटणी - स्त्री० १ खड़िया मिट्टी । २ सहनशक्ति, सहनशीलता । खरौ (बी) - क्रि० १ समाना । २ निभना । ३ महन होना । ४ पर्याप्त होना ५ हजम होना । ६ जरूरत होना । ७ उपार्जित करना, प्राप्त करना ८ जीतना । खटदरसरण - पु० [सं० षट्दर्शन] १ छ: प्रकार के दर्शन न्याय, वैशेषिक, सांख्य, मीमांसा, वेदान्त, योग। २ छः की संख्या । ३ ब्राह्मरण, जोगी, जंगम, भाट, संन्यासी और साध इन छः जातियों का समूह । ४ इन जातियों से संबंधित एक विभाग ।
खटदरी पु० [सं० पदर्शनी १ प्रकार के दर्शनों का ज्ञाता, पंडित । २ छः दर्शन समूह से संबंधित ज्ञान । १ जातियों से संबंधित |
खजूर, खजूरड़ी, खजूरि- पु० [सं० खजूर ] छुहारे का पेड़, छुहारा, खजूर ।
खजूरियाँ - पु० जलाशय में छितरने वाली घास विशेष के फल । रियां खजूर के वृक्ष जैसा लंबोतरा बल । टंग-० [सं० पान] वेद के
पु०
संग
खट - वि० [सं० पट ] छः । - पु० खटका, ग्रावाज - क्रि०वि० खटपटरी (बौ) - क्रि० १ टकराना। २ लड़ना, भगड़ना । खटपटियौ खटपटी - वि० १ झगड़ालू । २ प्रपंची।
शीघ्र, जल्दी ।
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खटपट - स्त्री० १ लड़ाई, अनवन । २ काम, कार्य । ३ टकराहट
का शब्द ।