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कैकिना
२ सुस्वर ।
केगह देखो 'केकयी' ।
केडिया के
देखो 'किस्किंपा'।
केकी० [सं० केकिल्] (स्त्री० [केका) १ मोर, मयूर
।
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( २५६ )
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केगर - पु० एक वृक्ष विशेष जिसकी लकड़ी मंदिर के ध्वज दण्ड केतूड़ी-देखो 'केतु' ।
में काम आती है ।
केहि (ही) देखो 'केकयी' ।
केड़-पु० १ वंश २ पीछा
केवाइत, केडात वि० वंशज केई कि०वि० [१] पीछे २ बाद में
पश्चात्
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केड़ी पु० १ बछड़ा । २ घास का ढेर । ३ पीछा । ४ वंश | केच पु० एक देश विशेष ।
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-माळ- पु० - जंबू द्वीप के नौ खंडों में से एक । व्रक्ष पु०- एक पौराणिक वृक्ष ।
केतुहल देखो 'कुळ' ।
केतू - वि० १ विध्वंसक । २ श्रेष्ठ । ३ देखो 'केतु' ।
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केलेऊ- वि० [सं० कियत्] कितना ।
केतेक - वि० कितने । पु० केतकी, केवड़ा ।
केची - पु० कच्छ देशोत्पन्न घोड़ा ।
केज (देखो केज'
केण सर्व० १ को २ किस किसने ।
कैलिका स्वी० मा ।
केत स्त्री० [सं० केतः ] १ बस्ती आबादी । २ घर, मकान ।
३ जगह, स्थान । ४ भंडा, पताका ५ संकल्प । ६ मंत्ररणा । ७ बुद्धि, विवेक ८ धन ९ प्रकाश । १० निमंत्रण । ११ केतु ।
केतक - पु० [सं०] १ केवड़ा, केतकी । २ केतकी का फूल । ३ पताका । वि० कितने । बहुत। -क्रि०वि० किस कदर । केतकी स्त्री० [सं०] १ एक पुष्प वृक्ष, केवड़ा २ इसका पुष्प ३ केवड़ा जल । ४ यात्रा में साथ रखने का जल पात्र । ५ श्वेत-सुगंधित पुष्प |
केली (ड़ा) वि० [सं० केतन] कितना कितने ।
केतन - पु० [सं० [ १ निमंत्रण, आह्वान । २ ध्वजा । ३ चिह्न । ४ अनिवार्य कर्म । ५ घर । ६ स्थान । केम - पु० [सं० मत्र- केतु] कामदेव । केतळउ - वि० (स्त्री० केतली ) कितने ।
केतलायक, केतलायक - वि० कितने ।
केतली - स्त्री० यात्रा में साथ रखने का जलपात्र । - वि० कितनी । केतलत, केतली - वि० (स्त्री० केतली ) कितना ।
केतां, केता-वि० कितने कितना ।
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केलाई केतिय वि० कितने ही क्रि० वि० कहां तक केती- वि० कितनी ।
केरक - पु० [सं०] हाथी ।
केतु-पु० [सं० केतुः] १ ध्वजा, पताका २ चिह्न, निशान । ३ दीति, प्रकाश । ४ पुच्छल तारा ५ नौ ग्रहों में से एक ६ एक राक्षस का कबंध । —कुंडळी - स्त्री० - बारह कोष्ठों का एक चक्र जिससे प्रत्येक वर्ष का स्वामी देखा जाता है। (ज्योतिष) मानव तेजवान तेजस्वी बुद्धिमान
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केरड़, केरड़ियो, केरडौ- पु० १ बछड़ा । २ देखो 'कैर' । केरल पु० भारत का एक दक्षिणी प्रान्त ।
केरब० १ रहट का एक पत्थर २ देखो 'ख'
केतोइक, केतौ वि० कितने ।
केथ, केथि ( थी, थे) - क्रि०वि० १ कहां, किधर । २ कहीं । hat - पु० एक प्रकार का कंटीला वृक्ष । - क्रि०वि० क्या । केदार (रि, री) पु० [सं० केदार:] १ एक प्रसिद्ध तीर्थ
२ हिमालय की एक प्रसिद्ध चोटी । ३ शिव का एक रूप । ४ पर्वत शिखर । ५ पानी से भरा खेत । ६ चारागाह ।
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७ एक प्रसिद्ध राग । —नट - पु० एक संकर राग विशेष । - नाथ- पु० हिमालय स्थित एक तीर्थं शिव का एक रूप । केदारि (री) स्त्री० १ दीपक राम की पांचवीं रागिनी । २ एक जाति विशेष ।
केदारेस्वर - पु० [सं० केदारेश्वरः ] काशी स्थित शिव मंदिर | केदारी पु० १ राग विशेष । २ पोचापन, दिवालियापन | केन पु० केन उपनिषद । सर्व० किस । केवल देखो 'कहावत ।
केवल देखो 'बाण'।
केसी देखो 'वि' ।
कहाँ
केम क्रि०वि० [सं० किम्] १ किस प्रकार से किधर । - द्रुम - पु० ज्योतिष में चन्द्रमा का एक योग ।
केमर (री) - पु० [सं०कार्मुक] १ धनुष २ झाड़ीनुमा छोटा वृक्ष । केमि-देखो 'फेम' |
केमु (मू) - क्रि०वि० कहां, किधर ।
केस (क) देखो 'केक' ।
केपुर (पूर) - पु० [सं० केपूर:] १ बाजूबंद । २ ताबीज केरंडी (डी) १० [सं० रंडी ] १ मास्य मकर।२। १३ देखो 'किरीटी' |
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केर - अव्य० १ संबंध सूचक अव्यय, का, के, की । २ देखो 'कैर' । ३] देखो 'केह' ।
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