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उतरणौ
उतारणी
उतरणौ (बौ)-क्रि० [सं० अवतरण] १ ऊंचाई से नीचे आना, उतसरपरणा-स्त्री० [सं०उत्सर्पणा] दश कोडा-कोड़ी सागरोपम
नीचे उतरना । २ अवनति पर होना। ३ ढलना । ४ हड्डियों प्रमाण समय । उत्कर्ष या उन्नति बतलाने वाले छ पारा का संधिस्थल से हटना। ५ फीका पड़ना । ६ लज्जित या परिमित काल विभाग । (जैन) उदास होना । ७ कांति या दीप्ति मंद पड़ना । ८ घटना, | उतसारक-पु० [सं० उत्सारकः] १ प्रतिहार, द्वारपाल । कम होना । ९ उद्वेग कम होना । १० पूर्ण होना, २ सिपाही । ३ चौकीदार । समाप्त होना । ११ बेसुरा होना। १२ काम में आने | उतसाह-देखो 'उत्साह'। योग्य न रहना । १३ खोला या हटाया जाना (वस्त्र)।
वस्त्र)। उतसुक-देखो 'उत्सुक' । १४ ढल कर या निर्मित होकर आना। १५ कम होना,
उतसूर-पु० [सं० उत्सूरः] संध्याकाल, शाम । घटना (भाव) । १६ पकना (रोटी, फल)। १७ रा देना,
उतांन-पु० ध्रुव के पिता। -जात-पु० ध्र व । देखो 'उत्तान'। पड़ाव डालना । १८ लेख बद्ध या नकल होना । १९विशिष्ट
उतांनसहाय, (सहि, सही)-पु० [सं० उत्तानशय] बालक । क्रिया से तैयार होना । २० माप-तौल में ठीक बैठना।
उतांमळी (उतांवल)-देखो 'उतावळ' । २१ चूकता होना । २२ एकत्रित होना । २३ जागीरी जब्त होना । २४ पद से हटना । २५ अरुचिकर होना । २६ पार
उतांमळउ (लौ)-देखो 'उतावळो' । (स्त्री० उतामळी)। होना । २७ भूलना, भूल में पड़ जाना । २८ कट कर अलग उताग्रह-वि० जल्दी करने वाला। होना, कटना । २६ ऊपर बहना, चलना । ३० जाना, | उताप, (पौ) देखो 'उत्ताप' । गमन करना । ३१ देव मूर्ति के आगे धूप दीप, आदि
उतायळ, उतायळी (वळी)-वि० १ अातुर, जल्दबाज । घुमाया जाना।
-स्त्री०२ शीघ्रता । ३ देखो 'उतायळी'। उतरांरण-देखो 'उत्तरायण' ।
उतार-पु०१ उतरने या क्रमशः नीचे आने की क्रिया । उतरा-देखो 'उत्तरा'।
२ उतरने योग्य स्थान । ३ क्रमशः होने वाली कमी। उतराई-स्त्री० १ उतरने की क्रिया । २ नदी पार करने का |
४ घटाव,कमी। ५ समुद्र का भाटा । ६ ढाल भूमि, ढलान । पारिश्रमिक । ३ नदी पार करने की क्रिया ४ ढलान,
७ उतारन, त्यक्त। ८ न्यौछावर । ९प्रभावशून्य करने निचाई। उतराद (ध)-स्त्री० उत्तर दिशा । -क्रि० वि० उत्तर |
वाली वस्तु । १० बहाव । ११ पतन, अवनति । १२ चढ़ाई
का विपर्याय । १३ नदी पार करने की प्रासान जगह । दिशा में।
१४ उद्वग में कमी। १५ पूर्णता या समाप्ति की अवस्था। उतरादी (धी)-वि० (स्त्री० उतरादी) उत्तर दिशा की ओर । उतरादौ-वि० उत्तर दिशा का, उत्तर, दिशा संबंधी ।
उतारण (गो)-वि० १ उतारने वाला। २ पहुंचाने वाला। उतराघू, (धौ)-देखो 'उतरादौ'।
३ मिटाने वाला। उतराफाळगुणी (नी)-देखो उत्तराफालगुनी ।
! उतारणौ (बौ)-क्रि० १ ऊंचाई से नीचे लाना, उतारना। उतरायरण-देखो 'उत्तरायण'।
२ अवनति करना । ३ ढलाना । ४ हड्डियों को संधि-स्थल उतरायी-देखो 'उतराई'।
से हटाना । ५ फीका पटकना । ६ लज्जित करना । उतराव-देखो 'उतार'।
७ उदास करना। ८ श्रीहीन करना । ६ घटाना, कम उतरासग-पु० कंधे पर के दुपट्टे को हाथ में लेकर साधु से वंदना करना । १० आदेश या उद्वेग कम करना । ११ ढीला करना [जैन] ।
या बेसुरा करना । (वाद्य) १२ काम में पाने योग्य न उतरासण (रिण, रणौ)-पु० १ गृह-द्वार के छज्जे के नीचे रखना । १३ खोलना, हटाना। १४ . .ढालना, निर्मित
समानांतर लगने वाला पत्थर । २ देखो 'उतरासंग' । करना । १५ पकाना। (रोटी प्रादि) १३ डेरा दिरवाना, उत्तरेस-पु० [सं० उत्तर+ईश] कुबेर ।
ठहराना । १७ लेख बद्ध या नकल करना । १८ विशिष्ट उतरोक, उतरौ-वि० (स्त्री० उतरी) उतना, उतना-सा ।
क्रिया से तैयार करना। १९ माप-तौल में ठीक बैठाना ।
२० चुकाना । २१ एकत्र करना । २२ जागीरी जब्त उतळ-स्त्री० उदारता की प्रत्याशा ।
करना । २३ पद से हटाना । २४ पार करना । उतळीबळ-देखो 'प्रतिबळ' ।
२५ भुलाना, भूल में डालना । २६ काट कर अलग करना । उतवंग-देखो 'उत्तमांग'।
२७ छीलना । २८ चित्रांकित करना। २९ खाड़ना । उतसरजन -देखो 'उत्सरजन' ।
३० पृथक् करना। ३१ प्रभावशून्य करना । ३२ न्यौछावर
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