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कदोई
( १८४
)
कंवाड़ी
कदोई-पु० [सं० कांदविक] हलवाई । -लाग-स्त्री० हलवाइयों | कंबाइस-स्त्री० छड़ी, बेंत । से लिया जाने वाला कर ।
कंबु (बू)-पु० [सं० कम्बुः] १ शंख । २ हाथी । ३ घोंघा । के दोराबंध-वि० मेखला धारण करने वाला । -पु० वह ४ गर्दन । -ठाण-पु० हाथी बांधने का स्थान, हाथी व्यक्ति या बालक जिसके करधनी बंधी हो।
बांधने का स्तंभ । के दोरौ-देखो 'करणदोरौं'।
कंबोज-पु० [सं० कम्बोजः] १ घोड़ा। २ पंजाब से अफगानिके दौ-देखो 'कुदौ'।
स्तान तक का भू भाग(प्राचीन) । ३ उक्त प्रदेश का घोड़ा। कंद्रप-देखो 'कंदरप'।
४ हाथी। कंध (क)-पु० [सं० स्कंध] १ कंधा, अंश । २ गर्दन, ग्रीवा । | कभ-१ देखो 'कंब'। २ देखो 'कभ' ।
३ डाली । ४ प्राश्रय, सहारा । -क-पु० गला, गर्दन । | कभी-स्त्री० पिघले हुए सोने या चांदी की बनी सलाका । -रूढ़ा-स्त्री० एक देवी विशेष ।
कमन-वि० [सं० कमनीय] सुन्दर, मनोहर । कंधर-पु० १ तालाब । २ देखो 'गंधार' । ३ देखो 'कंधौ' । कमळा-देखो 'कमळा' । कंधाळधुर-पु. बेल ।
कमाड़-देखो 'कपाट'। कंधुर, कंधौ-पु० [सं० स्कंध] कधा, अंश ।
कमाळ-स्त्री० मुंडमाला। कन-१ देखो 'करण' । २ देखो 'कांन'।
कमेडी-पु० कपोत । क नीर-देखो 'कणेर'।
कब-देखो 'कांब'। कप (ण, रणी, न)-स्त्री० [सं० कम्प्र] १ कंपन, थर्राहट । | कवर-देखो 'कुमार' ।।
२ चचलता । ३ धड़कन । ४ कंपकंपी। ५ दोष, कलंक । | कवर-कलेवो-पु० दूल्हे को तोरण द्वार पर कराया जाने वाला ६ महीन धूलि, रज । ७ भय, डर । ८ शृगार का एक स्वल्पाहार । २ दूल्हे का नाश्ता ।
सात्विक स्थाई भाव । -कपी-स्त्री० थरथराहट, भय । | कवरपद (पदौ)-पु० कुमारावस्था । कंपटुयरण-स्त्री० कंउच नामक लता ।
कंवरांणी-स्त्री० १ युवराज की पत्नी । २ पुत्र वधू । कपरणौ (बौ)-देखो 'कापणी' (बौ)।
कवरांपति-पु० राजकुमार। क परणी (नी)-स्त्री० [अं॰] १ व्यावसायिक संघ । २ मित्र कंवराई-स्त्री० कुमारावस्था । मंडली।
कंवराईपरणौ-पु० कुमारावस्था या भाव ।। कंपारणी (बौ)-प्रे०क्रि० १ कंपन, पैदा करना । २ डराना । कवरियौ-देखो 'कुमार'। ३ हिलाना । ४ झंकृत करना ।
कवरी-देखो 'कुमारी'। क पाळ-देखो 'कपाळ'।
कवळ-१ देखो 'कमळ' । २ देखो 'कवळ' । : देखो 'कोल', कंपावरणौ (बौ)-देखो 'कंपारणौ' (बौ)। कपास-पु० १ दिशा ज्ञान कराने वाला एक यंत्र । २ पैमाइश
केवळ पूजा-देखो 'कमळ पूजा'। में काम आने वाला यंत्र । ३ बढ़ई का एक औजार।
कवळा-देखो 'कमळा'। कपित-वि० [सं०] कंपायमान, कांपने वाला । २ चंचल, कबळापति-देखो 'कमळापति' । अस्थिर । ३ भयभीत, डरा हुआ।
केवळासड़ौ-वि० कोमल । कपी-स्त्री० १ कपन, थर्राहट । २ कंपकंपी। महीनतम, कवळियौ-पु. १ कामला रोग । २ देखो 'कंवळो' । रज, लि।
३ देखो 'कमळ'। कंपू (पू)-पु०१ सेना, फोज । २ संन्य शिविर । ३ जन समूह। कवळी-स्त्री० दरवाजे या खिडकी में चौखट के पीछे लगने ४ देखो 'कप'।
नाला खड़ा पत्थर। कंब-स्त्री० [सं० कंबा १ छड़ी । २ देखो 'कंबू' ।
कवळी-वि० (स्त्री० कंवळी) कोमल, नरम, नाजुक । -पु. कंबड़ी-देखो 'कांबड़ी'।
१ मुख्य द्वार में लगा खड़ा पत्थर । २ सफेद गिद्ध । के बंध-देखो 'कबंध'।
३ बिना मात्रा का व्यंजन । ४ देखो 'कमळ' । कंबर, कंबळ (ळि, ळी)-स्त्री० [सं० कंबलः १ ऊन का मोटा | कवाड़-देखो कपाट' ।
वस्त्र, कम्बल । २ गाय के गर्दन के नीचे लटकने वाला कवाड़ी-स्त्री० १ छोटी कुल्हाड़ी । २ छोटे दरवाजे, खिड़की या पांस । ३ एक प्रकार का हिरन । ४ दीवार ।
। ग्राले का कपाट ।
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