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काचळ
कांत
कांचळ, कांचळियौ-देखो 'कांचळी' ।
कांठायत-वि० १ नदी किनारे रहने वाला। २ अरावली पहाड़ कांचळाचळ-पु० सुमेरुपर्वत ।
__ का निवासी । ३ लुटेरा। कांचळपंथ-पु० वाम मार्ग का एक भेद।
कांठ-क्रि० वि० नजदीक, पास । कांचळी (ळी), कांचव (उ, वो)-स्त्री० [सं० कंचुक] १ सर्पादि | कांठलियौ-पु० १ पहाड के पास रहकर प्लूट-पाट का कार्य करने
के शरीर पर होने वाली झिल्ली, केचुल । २ स्त्रियों की वाला व्यक्ति । २ देखो कांठायत' । कंचुकी ।
कांठौ-पु० १ सीमा,सरहद । २ किनारा,तट । -क्रि०वि० समीप, कांचि, कांची-स्त्री. १ कर्धनी,मेखला । २ कौया । ३ सप्तरियों पास, निकट । ___में से एक । -पद-पु. कमर, कटि ।
कांड (डौ)-पु० [सं० काण्डम् ] १ भाग, अंश । २ किसी ग्रंथ कांनु (यो) कांचू-पु० [सं० कंचुक | कंचुकी।
का अध्याय, परिच्छेद । ३ दुर्घटना, घटना । ४ धनुष के कांची-पु. कौमा।
बीच का मोटा भाग । ५ तीर, बाण । ६ हाथ या पांव की कांछा-स्त्री० [सं० कांक्षा] १ इच्छा, अभिलाषा,चाह । २ लोभ । सीधी लंबी हड्डी। -वि० कुत्सित, दुरा ।-पट-पु० कांजर, कांजरियो-पु. (स्त्री० कांजरी) कंजर जाति का व्यकि। यवनिका, पर्दा। कांजिक, कांजी-स्त्री० [सं० काजिकम् | एक हाजमेदार पेय कांडी, कांडीरय-पु० [सं० कांडीर:] १ भील । २ धनुष । पदार्थ ।
-वि० धनुर्धारी। कांजीवड़ी-पु० एक देशी खेल।
कारण (रिंग)-स्त्री० [सं० कारण] १ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । कांझर-वि० नीच।
२ शर्म, लिहाज । ३ मर्यादा । ४ तराजू के संतुलन का कांट-स्त्री० [सं०कंटक] १ घास के महीन कांटे। २ ग्वार, मोठ अन्तर । ५ महत्व, बडाई । ६ मृत प्राणी के परिवार वालों
ग्रादि का भूमा । ३ कांटों के टुकड़े व ढेर । को दी जाने वाली सांत्वना । ७ कानापन । ८ संकोच । ---कंटोलौ वि० कांटेदार । -कांटाळो, किंटाळी-वि० ९ सीमा, हद । १० फलों का एक रोग । ११ अट्ठाईस कांटेदार, कांटों से परिपूर्ण ।
योगों में से एक । १२ देखो 'कांणा' । -क्रि०वि० लिये, कांटरखी-स्त्री० जूती, पगरक्षिका।
वास्ते। -कुरब-स्त्री० मान, प्रतिष्ठा । कांटाळ, (ळौ)–पु० [सं० कंटक] १ कांटेदार घास जिसे ऊंट कारोटौ, कारणोटौ-देखो 'कांगेठी' ।
खाता है । २ सिंह ३ सर्प, बिच्छु आदि । ४ वीर, योद्धा। कारगण-पु० [सं० कानन] वन, जंगल । --रांग, राव-पु० -वि० कांटेदार, कंटोला ।
सिंह, शेर । कांटावेड़-पु० कांटेदार पाहता वाला मकान ।
कांगम-स्त्री० तराजू के संतुलन का अंतर । काटियो-पु० १ लोहे का एक हुकदार उपकरण । २ हंसिया । ३ हंमली की हड्डी। ४ हृदय, दिल । ५ कफन ।
कांरिण-देखो 'कांण'। कांटी-स्त्री. १ भूमि पर छितराने वाला कांटेदार घास ।
कांगियर-पु० १ कणेर । २ कनक चम्पा। २ छोटा तराजू । ३ कांटों का समूह । -वि० ममान,
काणी-देखो 'कहांगी'। सदृश ।
काणीदीवाळी-स्त्री० दीपावली का पूर्व दिवम । कांटो-पु० [सं० कटक] १ पेड़ या घास का कांटा । २ लोहे का कारगेटौ, कांसोटो-पु० मध्य का दांत ।
नकीला सण्ड । ३ अंकुश । ४ अंकुड़ा : ५ विषैले जीव । कांगौ-वि० [सं० काग] (स्त्री० कारणी) १ एक नेत्र वाला, ६ विच्छ का डंक । ७ बड़ा तराजू । ८ स्त्रियों के नाक का
एकाक्षी । २ कीड़े पड़ा हुआ (फल)। -पु. १ शुक्राचार्य । याभूषण । ६ स्वर्णकारों का प्रौजार विशेष । १० बाधा।
२ कौमा। -घूघट, घूघटौ-पु० दो अंगुलियों को बीच ११ शूल । १२ कष्ट,पीड़ा। १३ राक्षस । -वि० १ बाधक । में डाल कर बनाई जाने वाली धुघट की स्थिति जिसमें २ दुःखदाई तत्व । ३ प्राततायी, दुष्ट । --काढ़रिणयौ,
केवल एक प्रांख खुली रहती है। ---सूकर-पु. शुक्राचार्य । काढ़णी-पु. बारीक कांटा निकालने का उपकरण ।
कांण्हडी-पु० [प्रा. कण्ह] १ श्रीकृष्ण । २ क गग विशेष । कां'टौ-पु० १ दरवाजे की कुडी । २ अातुरता ।
! कांत-पु० [सं० कांत (स्त्री० कांता) १ पति, प्रियतम । कांठळ (ळि, ळी)-स्त्री० काली घन घटा।
२ आशिक । ३ पक्षी विशेष । -वि०१ मुन्दर, मनोहर । काठलियो, कांठळी-पु० १ गले का आभषण, कंटा। २ हाथी २ प्रिय, प्यारा । ३ इष्ट । ४ देखो 'कांनि' । --मरिण-विर के कट का आभूषण।
ग्या, मफेद। -लोह ० बढ़िया लोहा ।
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