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कांतर
(
२१७ )
कापरणो
कांतर-पु० वरुण ।
कांनलौ-वि० (स्त्री० कानली) ओर की, तरफ की। कांता-स्त्री० [सं०] १ पत्नी, प्रिया । २ सुन्दर स्त्री। कांनवौ, कांनव्हौ-पु० श्रीकृष्ण ।
३ प्रियंगुबेल । ४ बड़ी इलायची । ५ पृथ्वी । -वि० सुन्दरी। कानस-स्त्री० १ अर्द्ध वृत्ताकार प्राकृति । २ लोहा साफ करने कांतार-पु० [सं०] १ सघन-वन, महावन । २ निर्जन वन । का औजार । ३ दीवार का कंगुरा ।
३ ऊबड़-खाबड़ सड़क या रास्ता । ४ गड्ढ़ा । ५ एक | कानसळाई (सळायौ)-पु० कनखजूरा नामक जानवर । प्रकार का ईख ।
कांनाकड़मत-स्त्री० पा की मात्रा । कांति, कांती-स्त्री० [सं० कांति] १ आभा, चमक, दीप्ति । कानाफूसी-स्त्री० १ गुप्तगू । २ गुप्त वार्ता, ३ फुसफुसाहट ।
२ प्रकाश, रोशनी । ३ यश, कीर्ति । ४ सौंदर्य, मनोहरता। कांनामात (मात्रा)-स्त्री० १ वर्ण के प्रागे की खड़ी पाई ॥' । ५ कामना, इच्छा । ६ सुन्दर स्त्री । ७ दुर्गा की एक | २ आ की मात्रा। उपाधि । ८ रुक्मिणी की एक सखी।
कांनिया, कांनी-क्रि० वि० ओर, तरफ । स्त्री० किनारा, छोर । कांतेर (रण)-स्त्री० कंटीली-झाड़ी।
कांनियौ, कानुड़ौ, (डौ) कानू-पु०१श्रीकृष्ण । २ किनारा, छोर। कांथड़ी-स्त्री० [सं० कथा] संन्यासियों की कथड़ी, झोला।
३ पृथकत्व, अलगाव । ४ देखो 'कांनी'। कांबसीक-वि० [सं० कान्दिशीक] भयभीत ।
कांनूगो-पु. १ जमीन-बन्दोबस्त-विभाग का कर्मचारी । कांदियौ-देखो 'कांधियो'।
२ कानून का जानकार । कांदौ-पु० [सं० कंद] १ प्याज। २ देखो 'कांधौ' ।
कानूडी (डौ)-पु. श्रीकृष्ण । कांध-स्त्री० [सं० स्कंध] १ कंधा । २ वयान या अर्थी को |
दिया जाने वाला कंधा । --मल-वि. वीर, योदा। कानून-पु० [अ० कानून] १ राज्य का विधान, नियम । सहायक ।
। २ न्याय की विधि । कांधार-देखो 'गंधार'।
कांन-क्रि० वि० १ तरफ, ओर । २ पास, नजदीक । ३ दूर, कांधाळ-वि० १ बड़े कंधों वाला । २ वीर ।
दूरी पर। कांधियो-वि० [सं० स्काधिक] शवयान को कंधों पर उठा कर कांनो-पु. १ 'पा' की मात्रा का चिह्न। २ बर्तन का किनारा । श्मशान ले जाने वाला।
३ पाव, बगल । ४ किनारा । ५ तटस्थता। ६ श्रीकृष्ण । कांधी-स्त्री० [सं० स्कंध] १ बैल की गर्दन जहां जूमा रक्खा | ७ पगड़ी का एक प्रकार का बंधन जिसका बायां भाग
जाता है । २ इस स्थान पर होने वाला रोग । ३ कंधा। नुकीला होता था। -वि० अलग, दूर, पृथक । कांघेलो, कांधोटो-पु०१ सर्दी से बचाव के लिए घोड़े को कान्यकुबज-पू०१ कन्नौज के पास-पास का प्रदेश । २ इस स्थान पोढ़ाया जाने वाला वस्त्र । २ कंधे का सहारा ।
__ के ब्राह्मण। कांधोधर-वि० १ बड़े कंधों वाला । २ वीर, योद्धा । कान्ह.-१ देखो, 'कन्ह' । २ देखो 'कांनगाय' । कांधौ-पु० [सं० स्कंध] कंधा ।
कान्ह (हु)-देखो 'कन्ह' । कांन-पू० [सं० कर्ण] १ श्रवणेन्द्रिय, कर्ण, कान । २ बन्दूक | कान्हड़ी-स्त्री. दीपक राग की स्त्री एक राग । की नली पर टोपी रखने का स्थान । [सं०कृष्ण प्रा०काह]
| कान्हडो-पु. १ एक राग जो मेघराग का पुत्र माना जाता है। ३ श्रीकृष्ण । ४ देखो 'कान्ह'। -कुचरणियो, कुरेदणी
२ कान, कर्ण । ३ देखो 'कन्ह' । --पु० कानों का मैल साफ करने का उपकरण । -खजूरी -पु० अत्यधिक पांवों वाला रेंगने वाला जानवर । -गाय
कान्हरी, कान्हौ-पु० १ श्रीकृष्ण। २ कृष्ण का वंशज । -स्त्री० कान्ह गाय । बांझ गाय । -वि० कायर, डरपोक ।।
३ यादव । -झड़-स्त्री० सुनकर याद की गई कविता । -वि.
कान्ही, कान्है-क्रि० वि० १ ओर, तरफ । २ पास, निकट । श्रुतिनिष्ठ। -पसाव-पु. कर्णगोचर। ---फाइ-पू० नाथ | कान्हू, कान्ही-पु०१ श्रीकृष्ण । २ 'पा' की मात्रा । सम्प्रदाय का कनफड़ा योगी।
कांप-स्त्री० तालाब आदि का पानी सूखने पर जमने कानड़ (डो), कानजी-पु० [सं०कृष्ण] १ श्रीकृष्ण। २ ईश्वर।। वाली पपड़ी। ३ देखो 'कान्हड़ो' । ४ देखो 'कान' ।
| कापणी-स्त्री० १ कंपकंपी । २ एक वात रोग । कानन-पु० [सं०कानन] वन, जंगल ! -चारी-वि० बनवासी। कापणी (बौ)-क्रि० १ कांपना, थर्राना । २ डरना, घबराना । ऋषि, मुनि । -भ्रखी-स्त्री० हरिणी।
३ रोग से धूजना।
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