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करिणयां
( १६३ )
कत्थ
करिणयारण-वि० शक्तिशाली, बुद्धिमान ।
कतरा'क (हेक)-वि० [सं० कियत्] (स्त्री० कतरी'क) कितने । करिणयागर (गरौ, गिर, गिरि, गीरी) करिणयाचळ-पु० [सं० | कतराणी (बौ), कतरावरणौ (बौ)-क्रि० १ कटाई कराना,
कनक-गिरि १ सुमेरु पर्वत । २ जालौर का एक पर्वत । कटवाना। २ काटने के लिये प्रेरित करना। ३ किसी की ३ सोनगरा चौहान।
निगाह बचा कर चलना। करिणयौ-पु० १ पतंग की खड़ी खपची में बंध कर त्रिकोण बनाने | कतरी-पु० जलकण, बूद, कतरा । -वि० (स्त्री० कतरी)
वाला डोरा । २ पाये की गाड़ी लकड़ी में लगने वाला कीला | कितना।
३ कुऐ से पानी निकालने के चक्र की धुरी । ४ देखो कणी'। कतळ (ल)-स्त्री० [अ० कत्ल] वध, हत्या, संहार । करणी-स्त्री० १ खपरैल या छाजन में लगने वाला मोटा सीधा । -प्रांम='कतले-आम' ।
लट्ठा । २ कनेर का पौधा या पुष्प । ३ चावल के | कतले-ग्राम-पु०[अकल्लेग्राम ] प्राम-जनता का सामूहिक कतल । टक, करण । ४ एक खाद्य पदार्थ विशेष । ५ टुकड़ा, कण। संहार, वध। ६ तराजू की नोक पर बंधी रहने वाली छोटी डोरी जो | कतल्ल-देखो कतळ' । पलड़े की डोरी से बंधी रहती है। सर्व०-१ किस । कतवारी -स्त्री० सूत कातने वाली। २ कौन । ---कुड-पु० एक तीर्थ स्थान ।
कताई-स्त्री. १ कातने का कार्य । २ कातने का पारिश्रमिक । करणीसक-पु० [सं० कणिश] अनाज की बाल, भट्टा ।
-वि० कितने ही। करणको-१ देखो 'करण' । २ देखो 'करणकौ' ।
कतार-स्त्री० [अ० कितार] १ पंक्ति । २ पंक्तिबद्ध चलने कणे-क्रि० वि० कब । कब तक । -सर्व० किसने ।
वाला काफिला । कणेई-क्रि० वि० कभी का । बहुत पहले ।।
कतारियौ-पु० ऊंटों के काफिले मे सामान ढोने वाला व्यक्ति । करोठ (ठी, ठौ करोठिय-पु० [सं० कनिष्ठ] छोटा भाई, | कति-स्त्री० कीड़ा। __ कनिष्ठ। वि० १ हीन, निकृष्ट । २ छोटा, लघु । ३ तुच्छ । कतियांण, कतियांणी-देखो 'कात्यांगी'। कणेर-पु. १ प्राय: बाग बगीचों में लगाया जाने वाला पौधा। कतिया-स्त्री० एक प्रकार की छुरी। २ इस पौधे का पूल ।
कतियौ-पु० १ छोटी कैंची। २ धातु काटने का एक प्रौजार । करोरीपाद (व)-पु० [सं० कृष्णपादः] नाथ सम्प्रदाय के एक | कतिलौ-पु. एक प्रकार का महीन कपड़ा । २ एक प्रकार __महात्मा, कृष्णपाद ।
___ का गोंद । कण-पु० [सं० कंचन] सोना स्वर्ग ।
कती-वि० कितनी। -स्त्री० १ एक प्रकार का शस्त्र । २ छोटी कर्णई-देखो ‘क गेई'।
तलवार । ३ तलवार । ४ छरी । ५ कटारी। कणगढ़-पु० [सं० कंचन-गढ़] १ जालौर का किला । २ सुमेरु | कतीन-पु० तक प्रकार का शस्त्र । पर्वत । ३ लंका।
कतीरांमपुरी-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । कर्णगिर, कर्णगिरी-वेखो 'करिणयागिर'
कतीरौ-पु० एक प्रकार का गोंद । करणी-पु०-१ खेत की सीमा। २ सीमा पर डाले हुऐ झाड़ी के | कतूळ, कतूहळ (ळि)-देखो 'कुतुहल ।
डंठल । ३ क्यारियों की सिंचाई के लिये बनी नाली। कतेई-अव्य० [अ० कतई] नितांत, बिल्कुल । ४ ग. का सूखा दलिया । ५ पहुँचा, कलाई।
कतेड़-वि० कताई के कार्य में निपुण । कत-क्रि० वि० १ कहाँ । २ कब । ३ कैम, क्यों। -पू० १ मुंछों कतेब-पु० १ वेद । २ शास्त्र । ३ पुराण । ४ किताब । को कतरन । २ कतावट ।
कतोदई, कतोदईव-क्रि० वि० शायद, कदाचित । कतई-क्रि० वि० नितांत. बिल्कुल ।
कतौ-देखो 'किती। (स्त्री० कती)
कत्तळी-स्त्री० १ कतरन, टुकड़े । २ संहार, नाश । कतक-पृ० केतकी के पुष्प ।
कत्तिन-स्त्री० एक प्रकार का शस्त्र विशेष । कतरण-स्त्री०१ काट-छांट करने की क्रिया या भाव । ३ कटाई
कत्तियारणी-देवो 'कात्याणी' । की कला । ३ वस्त्रादि को काटने के बाद रहने वाला छोटा टुकड़ा (कुरपण)।
कती-देखो 'कती। कतरणी (नी)-स्त्री० कंची।
कत्त व-देखो ‘कतेब'। कसरणी (बौ)-कि० काटना । २ काट कर टकडे करना। कत्तौ-देखो किती। (स्त्री कती) : माग्ना महार करना ।
कत्थ- देखो कथ।
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