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कखणी
( १८२ )
कखणी-देखो 'कंकणी'।
३ पोशाक । ४ कवच । ५ अचकन । ६ अंत:पुर का क खबर-पु० पीला वस्त्र । -वि० पीला।
नपुसक चौकीदार । ७ सांप, भुजंग । ८ वह घोड़ा जिसका कखा-स्त्री० [सं० अाकांक्षा] इच्छा ।
घुटने पर से एक पैर सफेद हो । कखी-वि० [सं०याकांक्षिन् ] इच्छुक, कामना करने वाला। कचोळौ-देखो 'कचोळी' । कंग-देखो 'कंगळ'।
कंज-पु० [सं०] १ कमल । २ ब्रह्मा । ३ ब्रह्म । ४ महादेव । कंगड़ारीराय-देखो 'कांगड़ारीराय'।
५ अमृत । ६ फूल । ७ सिर के बाल । ८ चरण की एक के गड़ो-देखो 'कांगड़ों'।
रेखा । ९ दोष । -वि० रक्त-वर्ण, लाल । -अरि-पु० कगण (न)-देखो 'कंकण'।
चन्द्रमा । -कल्याणी-स्त्री० कमल नाल । -ज-पु० कंगर, कंगार (रौ)-पु. १ दीवार पर बना नोकदार किनारा।। पु० विधि, ब्रह्मा । -जूरण, जोनी-पु० ब्रह्मा, विधि । २ किनारा।
-विकास-पु० सूर्य। कंगळ (ल्ल)-पु० [सं० कंकटः] कवच ।
कजर, कंजार-पु० [सं० कंजरः, कंजारः] (स्त्री० कंजरी) कंगली-वि० [सं० कंकालू] (स्त्री० कंगली) १ कंगाल, निर्धन । १ चन्द्रमा । २ हाथी । ३ ब्रह्मा की उपाधि । ४ उदर, पेट । २ दरिद्र । ३ अशक्त, निर्बल ।
५एक पिछड़ी जाति व इस जाति का व्यक्ति । कंगवा-स्त्री. १ श्वेत रंग की ज्वार । २ ज्वार की फसल का | कंजासण (न)-पु० [सं०] ब्रह्मा, विधि । एक रोग।
कंजुलिक-पु० [सं० किंजल्क] १ कमल का फूल । २ फूल । कंगवी-पु० खड़ी फसल में अनाज विकृत होने का एक रोग। । ३ फूल का रेशा। कंगस-पु० १ कवच । २ देखो 'कांगसी' ।
कंजूस-वि० कृपण, सूम। कंगहड़ी-पु. वृक्ष विशेष।
कंजूसी-स्त्री० कृपणता। कंगसी-देखो 'कांगसी'।
कंझ-पु० १ क्रौंच पक्षी। २ देखो 'कुज' । कंगाल-वि० [सं० कंकाल] (स्त्री० कंगालण, कंगालणी) निर्धन, | दरिद्र, गरीब।
कझरणी (बी)-क्रि० १ कब्ज की दशा में शौच के लिए अधिक कंगाली-स्त्री. निर्धनता, गरीबी।
जोर करना । २ उक्त प्रकार से जोर करते समय मुह से केगी (घी)-स्त्री० [सं० कंकती] १ स्त्रियों के केश सजाने का |
टसकने की ध्वनि। छोटा उपकरण, कंघी। २ कपड़ा बुनने का एक उपकरण। कटक, (कि, की)-पु० [सं० कंरटः] १ कांटा । २ डंक। कंगूर, (रौ)-पु० [फा० कुंगर] १ मुकुट-मणि । २ प्राभूषणों
३ नख । ४ नोक । ५ लोहे का अंकुर । ६ मूल । ७ बाधा, पर बना छोटा रवा । ३ शिखर । ४ दीवार पर लगे तीक्ष्ण विघ्न । ८ कष्ट । ९ जन्म कुंडली में पहला, चौथा, प्रस्तर-खण्ड।
सातवां व दसवां स्थान । १० अंकुर । ११ असुर, राक्षस । कंगो, कधौ-पु० [सं० कंकतक] १ बाल बनाने का उपकरण, १२ रावण । १३ शत्र । -वि० १ दुष्ट । २ कठोर, केश-मार्जक, कंघा । २ करघे में भरनी के तागों को कसने
निर्दयी। ३ बाधक । ४ छोटा, लघु । ---प्ररि (री)-पु० का एक यंत्र ।
श्रीराम । उपानह,जूता । -असरण-पु० विष्णु । ऊंट । देवी। कचउ, कचको-देखो 'कचुकी' ।
कंटाळ, कंटाळउ, (कंटाळी)--वि० (स्त्री० कंटाळी) कांटेदार, कचरण (न)-पु० [सं० कंचन] १ स्वर्ण, सोना । २ धतूरा। कंटीला । -पु. एक प्रकार का घास ।
मल, निराग । -गर,गिरि-पु० कटाळियौ-पु० ऊंट का चारजामा विशेष जो बोझा लादने के ममेरु पर्वत । २ लंका का पर्वत । ३ जालोर का पर्वत। समय उपयोग में लिया जाता है।
-बन्नी, बन्न-वि० सुनहरा । -शिखर-पु० १ सुमेरु पर्वत । कंटाळी-स्त्री० एक प्रकार की वनस्पति । कचरणी (नी)-स्त्री० १ वेश्या । २ नर्तकी। ३ वेश्यावृति करने
कटि, कंटी-१ देखो 'कांटो' । २ देखो 'कठी'। वाली स्त्रियों का एक वर्ग ।।
केटीर-देखो 'कठीर'। कचरी, कंचळी, क'चलो(वी)-स्त्री० १ मुसलमान वेश्याओं का |
कंटीली-वि० (स्त्री० कंटीली) कांटेदार, कांटों वाला। एक भेद । २ देखो ‘कांचळी' । ३ देखो 'कंचुकी'।
कंटेस्वरी-स्त्री० सोलंकियों की कुल देवी। कची-१ देखो 'कचकी' । २ देखो 'कांची'।
कंटोळियौ-पु० गोखरू कांटो नामक औषधि या इमका फल । कच, कंचुक, कंचुकी, कवी, केचुवौ, कचूकी-स्त्री० कंठ-पृ० [सं०कंठः१ग्रीवा,गला । २ टेंटवा । : स्वर, आवाज ।
[सं. कनक १ अंगिया, चोली । २ सर्प चम, कंचुल । शब्ध । ५ अनुप्रास । ६ तलवार की मंठ की चकरी।
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