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प्रोजक
( १७३ )
प्रोटोजट
जन्म समाप्त करने के बाद जन्मातर को धारण करने वाला सामान । २ दहेज । ३ गौना। के समय ग्रहण किया जाने वाला आहार ।
प्रोझर-देखो 'प्रोजर'। प्रोजक-स्त्री० १ घबराहट, बेचैनी । २ झिझक । ३ चौंकने की | प्रोझरी-देखो 'प्रोजरी'। क्रिया या भाव । -वि० चौकन्ना।
प्रोसळ-वि० [सं० अवरुन्धन] १ अदृश्य, नुप्त, । २ गुप्त। पोजकरणी (बी)-क्रि० १ चौंकना, चमकना । २ घबराना, बेचैन | ३ दूर । ४ छुपा हुप्रा । -पु० प्रोट, पाड़। होना । ३ कांपना । ४ भयभीत होना ।
प्रोझळरणौ (बी)-क्रि० १ कूदना, फांदना । २ चौंकना। प्रोजको (गो)-पु० १ रात्रि भर का जागरण । २ इस जागरण । ३ मिटना, नष्ट होना । ४ अदृश्य होना। ५ छुपना। से उत्पन्न थकावट ।
प्रोझळा-स्त्री० अग्नि की लपट । प्राग । प्रोजग-देखो 'प्रोजक'।
प्रोझाड़-१ देखो 'पौझाड़' । २ देखो 'उजाड़'। प्रोजगी-पू० रात्रि में जागरण करने वाला व्यक्ति ।।
प्रोझाड़पो (बौ)-देखो 'पौझाड़णो' (बी)। ___-स्त्री० रात्रि के जागरण की थकावट । प्रोजणी (बौ)-क्रि० १ जंचना, फबना, शोभित होना। | श्राझाड़ा-पु० १ गुस्से में डाट
| प्रोझाडौ-पु० १ गुस्से में डांटना । २ प्रताड़ना । ३ झिड़की। २ देखो 'प्रोदणौ' (बी)।
४ धक्का, झटका। प्रोजर (रौ)-पु० [सं० उदर] पेट ।
| प्रोझाट-देखो 'प्रोझाड़'। प्रोजरी-स्त्री० [सं० उदर + रा.प्र.ई.] १ आमाशय । २ पेट। | प्रोझाळ-देखो 'पौझाळ'। ... ३ पेट की थैली।
| प्रोझाळी-वि० (स्त्री०योझाळी) १ तेजस्वी । २ देखो 'पौझाळ' । प्रोजळा-पु० बिना सिंचाई मे अंकुरित होने वाले गेहूँ या जौ।
| प्रोझावी-पु० भलक । (स्त्री० प्रोझाळी) प्रोजागरणौ (बो)-क्रि० १ रात भर जगना । जागरण करना ।। २ नींद न लेना।
प्रोझीसाळी-देखो 'प्रोईजाळो'। प्रोजास-पु० १ अपयश, निदा । २ देखो 'उजास'।
मोझी-पु. १ खतरा । २ बहाना । ३ उपाध्याय । प्रोजासरणी (बी)-कि० अपयश होना । देखो 'उजासम्मा' (बा)। | प्रोट-स्त्री० १ आड़, रोक । २ शरण, आश्रय । ३ सहारा, प्रोजासी-देखो 'उजासी'।
आधार । ४ बाधा, व्यवधान । ५ दोष। ६ किनारे की प्रोजियाळी-देखो 'ओईजाळी'।
गोट । ७ घास-फूस। प्रोजोंगरणी-स्त्री० पतली लकड़ी जिमको जलाकर दीपक का |
| प्रोटण, प्रोटणी-स्त्री० १ चरखे का एक उपकरण । २ प्रोटाना काम लिया जाता है।
क्रिया। ३ राख या मिट्टी से आग को दबाने की क्रिया । प्रोजू (झू)-क्रि०वि० अब भी । फिर, पुनः । अभी तक ।
४ वस्त्र का छोर जरासा मोड़ कर की जाने वाली दुबारा।
सिलाई। प्रोजू-पु० [अ० मुन] नमाज पढ़ने पूर्व शुद्धि के लिए हाथ पांब
प्रोटणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रावर्तन] १ रूई और बिनौले अलग धोने की क्रिया ।
अलग करना । २ पुनरुक्ति करना । ३ चूर्ण बनाना, प्रोजोळी-स्त्री० बढ़ई का एक औजार ।
पीसना । ४ कष्ट देना । ५ बस्त्र के छोर को किंचित मोड़ प्रोजौ-पु० बहाना, मिस ।
कर सिलाई करना। ६ राख या धल के नीचे प्राग दबाना । प्रोस-देखो 'प्रोज'।
७ अांच पर उबाल कर गाढ़ा करना । ८ पैर के नीचे प्रोझक -देखो 'योजक'।
दबाना । ६ प्रोढ़ना। १० अधिकार में करना । प्रोझकरणौ (बो)-देखो 'योजकणौ' (बौ)।
प्रोटपौ-वि० (स्त्री० प्रोटपी) विचित्र, अद्भुत । प्रोझको-पृ० १ स्मति, स्मरण । २ देखो 'प्रोजको' ।
मोटरौ-वि० शरणागत । श्रोशख-स्त्री० लचक।
प्रोटवरणौ (बौ)-देखो 'मोटरगौ' (वी)। प्रोमड़ (ड)--वि०१ भयंकर, प्रबल । २ अपार, असंख्य, प्रथाह।
श्रोटवी-देखो 'प्रोटपौ'। ____-० १ प्रहार, चोट । २ देखो 'प्रोजर' । प्रोझड़ी देखो 'प्रोजरी'।
प्रोटाळ-देखो 'ग्रौटाळ'। प्रोझडौ-पृ० १ झटका, धक्का । २ देखो 'प्रोजरी'।
प्रोटि (टी)-१ देखो 'प्रोट'। २ देखो 'मोठी'। प्रोझरण (शु. रणौ)-पु.१ कन्या की विदाई के समय दिया जाने ओरीजट-देखो अोठीजट'।
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