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ऊपरलौ
ऊरडारपो
ऊपरलौ-पु० ईश्वर, परमात्मा । -वि० (स्त्री० ऊपरली) ऊब-स्त्री० १ खिन्नता, उकताहट । २ अरुचि । ३ परेशानी।
१ ऊपर वाला । २ ऊपर का । ३ उस्ताद । ४ बलवान । ४ पाकुलता । ५ धबराहट । ६ धीमी गति से लगातार । ऊपरबाड़ (डो)-वि०१ श्रेष्ठ, बढ़िया। २ देखो 'उपरवाड़ी'। __ बरसने वाले बादल । ७ खड़ा रहने का ढंग । -छठ-स्त्री० ३ देखो 'उपरवाडौ'।
भादव कृष्णा षष्ठी। इस तिथि का व्रत । ऊपरांऊपरी-देवो 'उपराऊपरी' ।
ऊबकरणौ (बौ)-क्रि०१ कै करना,वमन करना । २ जोश करना । ऊपरांटौ-१ देखो 'उपरांठौ' । २ देखो 'अपूठौ' ।
३ ऊंचा होना । ४ उगलना। ५ उमड़ना । ६ द्रव पदार्थ का ऊपरा-देखो 'पर'।
आधिक्य के कारण ऊपर उठना । ऊपरि, (री)-वि० १ ऊपर का । २ अतिरिक्त । ३ मुख्य के | ऊबको-पु० पोकाई, मिचली की पूर्वावस्था ।
सिवाय । ४ बाहरी । ५ विदेशी। ६ पराया । ऊबगणी (बौ)-देखो 'ऊबकरणी' (बी)। ७ देखो 'ऊपर'।
ऊबड़खाबड़-देखो 'उबड़खाबड़' । ऊपरे (२)-क्रि० वि० ऊपर, पर ।
ऊबड़णौ (बौ)-क्रि० १ उखड़ना । २ खुलना । ३ उभरना, ऊपर ऊपळी (लो)-स्त्री०१ गाड़ी के थाटे या खाट में चौड़ाई की उठना । ४ फटना । दरार पड़ना। ५ विदीर्ण होना । ___ ओर लगने वाली लकड़ी। २ चौड़ाई का हिस्सा । ऊबड़ियौ-पु० रहट के चक्र के मध्य का सीधा लंबवत काष्ट या ऊपल्हारगौ-वि० बिना चारजामा का ऊंट या घोड़ा।
लोहका दण्ड । ऊपसरणौ (बौ)-क्रि० रोटी का अांच पाकर फूलना, ऊपर ऊबड़ी-स्त्री० एक प्रकार की घास ।
उठना । २ क्रोध करना । ३ आवेग में आना । ४ चोट | ऊबट-क्रि० वि० [सं० उदवृत्त] १ बिना रास्ते, बेवाट । लगने से अंग की चमड़ी फूलना।
२ उज्जड़। -वि. विरुद्ध, विपरीत । ऊपहरौ-वि० १ विशेष, अधिक । २ पृथक, दूर, अलग। ऊबटणौ-देखो 'उबटणौ'। ऊपांत-वि० [सं० उपांत्य] अन्त वाले से पूर्व का । ऊबटणौ (बौ)-देखो 'उबटणौ' (बौ)।
-तिथि-स्त्री० मासांत की चतुर्दशी। मासांत के पहले । ऊबटौ-पु. चारजामे का ररसा : का दिन।
| ऊबरणी (बौ)-क्रि० १ खिन्न होना · २ उदास होना । ३ परेशान ऊपान-वि० क्रुद्ध, कुपित।
होना। ४ अरुचि की दशा में होना । ५ उकताना । ६ देखो ऊपाई-देखो 'उपाय'।
'ऊभरणी' (बी)। ऊपाड़-पु० १ नाश, विनाश । २ सूजन । ३ फोड़ा। ४ खर्च । ऊबता (ताळ)-स्त्री० हाथ उठा कर बड़े मनुष्य की ऊंचाई अपाडणौ (बौ)-देखो 'उपाडणौ' (बौ) ।
का माप, पुरुष । ऊषाणो(बो)-क्रि०१ उत्पन्न करना,पैदा करना,उपार्जन करना। ऊबताल-क्रि० वि० यकायक । २ देखो 'उपाणौ' (बी)।
ऊबर-१ देखो 'पर' । २ देखो 'अमीर' । ऊपाव-१ देखो 'उपाय' । २ देखो 'उपाव' ।
ऊबरणौ-पु. रक्षा ५. वाद । ऊपावरणौ (बौ)-देखो उपावणौ (बौ) ।
ऊबरणी (बी)-क्रि०१ उद्धार पाना । २ मृत्य होना । ३ बचना, ऊप्रवट-देखो उप्रवट'।
रक्षा पाना । ४ अमर होना, बचना, शेष रहना । ऊफणरणो(बी)-क्रि० [सं० उत्फरणनम्] १ उबलना, उफान पाना ।
ऊबराव-देखो 'अमराव'। २ अनाज को हवा में उछाल कर साफ करना । ३ जोश में
ऊबरियौ-देखो 'ऊबड़ियो' । पाना । ४ उमड़ना । ५ कोप करना। ६ हद से
ऊबळ-वि० चंचल । बाहर होना ।
ऊबह-पु० [सं० उदधि] समुद्र । ऊफतरणौ (बो)-क्रि० हैरान होना, परेशान होना, तंग होना। ऊबांणरणौ (बौ)-देखो 'उबांगगरणी' (बी)। ऊफरांठउ (ठो)-देखो 'अपूठौ' (स्त्री० ऊफरांठी) । ऊबाणी-देखो 'उबांणौ । (स्त्री० ऊवांगी)। ऊफराटौ (ठो)-वि० (स्त्री० ऊफराटी) चिंतातुर, उद्विग्न । ऊबांबर (रौ)-वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ साहसी । ३ वीर ऊबंध (धि, धी)-वि० [सं० उबंधन] १ बंधन रहित, मुक्त। बहादुर।
३ अमर्यादित । २ अपार, असीम । ४ उद्दण्ड, बदमाश। | ऊबाऊब-क्रि० वि० यकायक, खड़े-खड़े, अचानक । ऊबंबर (री, रौ)-वि० १ ऊंचा । २ बहादुर। ३ शक्तिशाली, ऊबाडणी (बौ)-क्रि० १ खडा करना । २ उखेड़ना । उन्मूलन समर्थ । ४ प्रोजस्वी । ५ कांतिवान । ६ साहमी ।
करना।
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