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ग्रामळसोंगी
श्रागळसोंगो - पु० वाला बैल |
अग्रगण्य | ३ विशेष अधिक । ४ दूसरा ५ पूर्व का, पूर्व जन्म का ६ विगत, पुराना - क्रि०वि० सामने, सम्मुख 1
स्त्री० [ग्रामोंगो) जागाड़ी के हुए सींगों ग्रामीपाद बागीपाखी देखो 'बागापाछी।
श्रागवरण- देखो 'ग्रागमण' ।
चावी देखो 'वो'
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प्रागळि, (टी) देखो 'आगळ' |
गठिया (बाळ) प्रावलिहार वि० वा पी । गळू (च) 'गळ' आगळे । गळे (से)- वि० पहले के पूर्व के
आगे, आगाड़ी ।
श्रागळौ-देखो 'आगळ' (स्त्री० ) ।
प्रागली - वि० (स्त्री० आगली ) १ अगला, आगे का । २ अगुवा,
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( 2 )
श्रागस पु० १ श्रग्नि, याग । २ दोष, अपराध । श्रागस्त, प्रागस्ति-देखो 'अगस्त' ।
श्रच क्रि०वि० १ पहले से पूर्व में । २ अग्रिम, पेशगी । धागू क्रि०वि० पहले से पेशगी २ बागाड़ी बि० मार्ग दिखाने वाला, अगुवा । -कथ-स्त्री० भविष्यवाणी ।
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धात (तो)- डि०वि०१ आगे आगाड़ी २ अग्रिम ३ सामने । - क्रि० वि० धागून कि०वि० घाने की घोर बागाड़ी । ग्रागे
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आगे (गँ) - क्रि०वि० ग्रागाड़ी आगे । भविष्य में, सामने ।
बाद में । - वांग - वि० अग्रगण्य । नेता | प्रागेटी-स्त्री० १ सेकने या तापने की धीमी अग्नि ।
२ देखो 'अंगीठी' |
अन्य अपर ।
७ ग्रागामी ।
श्रागाऊ पु०
[० सेना का अग्र भाग, हरावल । वि० १ ग्रागाड़ी का प्रथम । २ अग्रिम |
बागाडी देखो 'बगारी' |
श्रीगाज पु० १ क्रोध, रोष । स्त्री० २ गर्जना ध्वनि । श्रागा पाछी स्त्री० १ चुगली । २ निन्दा | ३ परस्पर भिड़ाने की वात ।
श्रागार - पु० [सं०] १ ग्रावासस्थान, घर । २ स्थल स्थान | ३ खजाना । ४ भण्डार । ५ छूट (जैन) ।
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घावाली-वि० (स्त्री० [बामाली) १ पाने का पता २ अधिक, विशेष |
श्रागामि (सो) - १ देखो 'प्राकास' । २ देखो 'आकासी' । श्रागाहट, (ठ) - पु० [सं० प्रघात्य ] चारणों की जागीरी के गांव । प्रति-कि०वि० १ २ पहिले पूर्व ।
आगे
गाडी | प्रागे,
३ देखो 'आग' |
आगिना देखो 'ग्राग्या' |
प्राणिमि (मी) देखो'बागी'।
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प्रागियों ० १ जुगनु २ एक तांत्रिक मंत्र । ३ छोटे बच्चों का एक रोग | ४ एक प्रकार का पशुयों का रोग । ५ एक प्रकार की पास |
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धाविती देवी यानी' (स्त्री घाली ।
श्रागी - वि० १ ऋतुमती, रजस्वला । २ देखो 'ग्रागौ' । - वांग - वि० [० अग्रगण्य, नेता ।
प्रगत
ग्रामदेवी सा
आगह कि०वि० पहले पूर्व
श्रागौकढ़ियाँ - पु० वेगार | बेमन का कार्य ।
- ।
यागांमि (मी) वि० [सं० आगामिन्] १ धाने पाने वाला धामी पाछी कि० बि० इधर-उधर २ कभी आगे कभी
१ ।
२ भविष्य में होने वाला ।
पीछे । ३ हस्तान्तरण । ४ देखी 'आगोपीछौं' ।
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वाला जन्म |
घासण
१ पहला जन्म पूर्वजन्म २ भविष्य में होने
श्रागोर स्त्री० १० १ जलाशय के प्रास-पास की पड़ती भूमि जिसके वृक्षादि काटे नहीं जाते । २ जलाशय या खेत की परिसीमा । ३ सारंगी में ठाठ की भोर से पहिला तार ।
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गोपीछौ पु० १ शरीर या वस्तु का अगला या पिछला भाग । २ ग्रागे पीछे का विचार ।
१
निरन्तर लगातार ।
ग्रालय (लगा) २ बराबर । ३ क्रमश: ।
आग्या स्त्री० [सं० प्रज्ञा ] १ ग्रादेश, हुम । स्वीकृति । ३ शासन । ४ प्रदेश पत्र । श्रादेश का पालन करने वाला । चक्र - पु० चक्रों में से छठा । —पत्र - पु० आदेश पत्र | आग्रह - पु० [सं०] १ अनुरोध मनुहार ।
३ तत्परता ।
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२ अनुमति —कारी - वि० योग के आठ
२ हठ, जिद्द |
श्राग्राज स्त्री० जोश पूर्ण ग्रावाज । गर्जना |
जली (बी) त्रिगर्जना करना, दहाड़ना। आप (पि) जु० [सं०] [] १ मान प्रतिष्ठा २ बादर, सत्कार । ३ देखो 'ग्रध' । -उ-देखो 'प्राधी' । —रत - पु०
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यादर, सत्कार ।
आप घड़ी देखो 'बाय' (स्वी० वाघड़ी। | प्राण- देखो 'ग्रागण' । २ देखो 'बागड़' |
देखा' (स्त्री० पाती।
श्राघमा ( णौ न, नौ) - ०१ प्रग्रणो । २ उदारचित | ३ उत्साह युक्त । ४ स्वागत करने वाला ५ देखो' आगमण' । श्रावसणी (बी) - कि० घण करना, घिसना ।