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प्राखरी
प्रागळतू
प्राखरी-स्त्री० १ पशुओं का रात्रि विश्राम स्थल । —बोट-पु० अग्नि बोट । -मई-वि० अग्नियुक्त ।
२ कुएं से पानी निकालने का समय । ३ देखो 'अाखिरी'। | प्रागइ, प्रागई-क्रि० वि० आगे, अगाडी। पाखळी-स्त्री० १ पत्थर बेचने का स्थान । २ पथरीले रास्ते | प्रागड़-पू० चन्द्र के आगे का स्थान या घेरा। का गड्ढ़ा।
प्रागड़दि, (दी), प्रागड़े-क्रि० वि० ग्रागाडी, गम्मुग्न । प्राखा-पु० [सं० अक्षत] १ मांगलिक अवसर पर काम आने वाले प्रागडो-त्रि० वि० दूर। अलग। ---पु. १ कप पर लगी गिरी
चावल या गेहूं के दाने । २ भिक्षा में दिया जाने वाला में रस्मी से पड़ा हुआ गड्ढ़ा । २ अनुमान, अन्दाज । अनाज । ३ अक्षय तृतीया । -वि० [सं० अखिल समस्त, प्रागरण-पु. १ मार्गशीर्ष मास । २ देखो, 'पागड़' । सम्पूर्ण । --तीज, त्रीज-स्त्री० बैशाख शुक्ला तृतीया । | प्रागत-वि० [सं०] १ प्राया हुआ, प्राप्त । २ आने वाला। उक्त तिथि को राजस्थान में मनाया, जाने वाला त्यौहार । ३ उपस्थित । -स्त्री० १ सबसे पहले बोई हुई फसल । -नवमी-स्त्री० कातिल शुक्ला नवमी ।
३ देखो 'पागतरौ' । -स्वागत-पु० पाने वाले का सत्कार । प्राखाई-पु० अनेक युद्धों में विजयी योद्धा । -वि० सम्पूर्ण। प्रागतरौ-वि० (स्त्री० प्रगतरी) समय के कुछ पूर्व बोया गया । प्राखाड़, प्राखाड़ो-देखो 'अखाडौ'।
(अनाज) प्राखाड़मळ, (मल्ल, सिद्ध सिध्ध)-देखो 'अखाड़मल' । प्रागतो-देखो 'पाखतो' (स्त्री० अागती) । प्राखाड (ढ)-देखो 'पासाढ' ।
प्रागन-देखो 'ग्राग'। पाखापाती-देखो 'ग्राखा'।
प्रागना, (न्या)-स्त्री० [सं० प्राज्ञा] १ प्रादेश, हम । २ अाज्ञा, प्राखारीठ-देखो 'प्राकारीठ' ।
२ इजाजत । पाखिर, (खीर)-क्रि० वि०-१ अन्त में, आखिर को, अंततः । प्रागनि, (नी)-देखो 'अगनी' ।
२ अवश्य । ३ मगर । -पु. १ अंत, समाप्ति । २ सीमा। पागम, (म्म)-पु० [सं० अागमः १ अाना, प्रागमन । ३ परिणाम । --वि० १ अंतिम, पिछला।२ पीछे का । २ आमदनी, अर्थागम । ३ भविष्य । ४ भवितव्यता, होनी। ----कार-क्रि० वि... अंततः, अन्त में, खैर । अवश्य । ५ णास्त्र । ६ पद सिद्धि में पाया हया वर्ग । ७ बहत्तर आखिरी-वि० [अ०] १ अन्तिम । २ सब से पीछे का।
कलायों में से एक । ८ जन्म, उत्पत्ति । ९ वेद । पाखी-देखो 'पाखौ'।
१० परम्परागत सिद्धान्त । ११ ज्ञान । -वि० प्रथम, पहला । पाखी-प्रणी-वि० १ अटल । २ सम्पूर्ण । ३ अग्रगण्य ।
-ग्यांनी, जारण, जारणी-पू० भविष्य की जानने वाला। पाखु. प्राखू-पु० [सं० पाखुः] १ चूहा, मूसा । २ छन्दर । वेदांती । शास्त्रज्ञ । -वक्ता-वि० भविष्य की कहने वाला। ३ सूअर । ४ चोर।
-वारणी-स्त्री० भविष्य वागी । वेद वाक्य । --दिसट, प्राखेट, (ठ), पाखंट-पु० [सं० आखेट] शिकार, मृगया। दिसटी-स्त्री०दूरदर्शिता । -सोची-वि० दुरदर्णी, अनमोची । —टक, टी-पु० शिकारी।
आगमरण (पौ), प्रागमन-पु० १ पाने की क्रिया या भाव, पाखेप-पु० १ कटाक्ष, नजारा । २ देखो 'पाक्षेप' ।
ग्राना । २ ग्रामद । ३ प्राप्ति । प्राखौ-वि० [सं० अक्षत] (स्त्री०पाखी) १ अखण्ड । २ अक्षय । प्रागमि, (मी)-१ देखो 'पागांमी' २ देखो 'पागम' ।
३ पूरा, समूचा । -पु० १ अन्न का दाना । प्रागमियाकाळ-पु० भविष्यकाल । २ अबधिया नर पशु ।
आगर-१ देखो 'पाकर'। २ देखो 'ग्रागार' । प्राख्यांन, (क)-पु० [सं० पाख्यान] १ वृत्तांत, कथन । प्रागरणी-स्त्री० गर्भवती स्त्री को दिया जाने वाला पौष्टिक व
२ कहानी। ३ पौराणिक कथा । --वि० १ प्रसिद्ध, | स्वादिष्ट भोजन । विख्यात । २ कहा हुआ।
प्रागरबंध-पु० रोग विशेष, कंठमाला । प्रागंतुक-वि० [सं०] १ आने वाला । २ भूला-भटका पाया प्रागळ-स्त्री० [सं० अर्गला] १ अर्गला । २ रोक । -वि० हुमा । ३ अकस्मात पाने वाला। ४ अाकस्मिक । १ रक्षा करने वाला, रक्षक । २ विशेष, अधिक । --क्रि०वि० -पु० १ अतिथि । २ आगन्तुक व्यक्ति या प्राणी। अगाड़ी, सम्मुख । -~-कूची--स्त्री० अर्गला की कुनी। ३ अकस्मात होने वाला रोग।
-खूटौ-पु० बुनाई में काम आने वाली बूटी । प्राग-स्त्री० [सं० अग्नि] १ प्राग, ज्वाला । २ जलन, ताग । प्रागलउ, प्रागलड़ा-वि० (ग्वा. यागनदा) आग का
पागलउ, पागलड़ौ-वि० (स्त्री याग नही) आगे का, अगला । आग्नि । ८ देखो 'ग्राघ'। -कड-प० यज्ञकड। आगळणौ (बौ)-क्रि० ऊंट का वदना । -जंतर, जंत्र-पु० तोप, बन्दुक । --सळ, झाळा-स्त्री० पागळतू, (तौ)-वि० (स्त्री० पागळती) १ अधिक, अावश्यकता अग्नि की ज्वाला, ली। -बह-पृ० धुम्र, धूग्रा से अधिक, विशेष । २ व्यर्थ, फिजूल ।
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