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प्रारोगीवन
प्रालप
पारोगीवन-स्त्री० [फा० आरिगीदना] उद्गार, डकार । प्रारच-पु० [सं०] हिंदुओं और ईरानियों का नाम । प्रारोड़, प्रारोड़ी, प्रारोड़ो-वि० बलवान, वीर ।
प्रारयावरत-पु० [सं० आर्यावर्त] भारतवर्ष । पारोडणी (बौ)-क्रि० रोकना, छेकना।
प्रारयावरती-पु० [सं० आर्यावर्ती] भारतवासी। प्रारोड़ी-पु० केसर कस्तूरी युक्त अफीम ।
प्रालंक्रत-देखो 'अलंक्रत'। प्रारोध-१ देखो 'अवरोध' । २ देखो 'आयुध' ।
प्रालंग-स्त्री० घोड़ी की मस्ती। -क्रि० वि० १ दूर, जुदा । प्रारोधरणी (बी)-क्रि० १ रोकना । २ छेकना । ३ प्राड देना। २ पृथक, भिन्न । पारोप-पु० [सं०] १ कलंक, दोष, इल्जाम । २ संस्थापन, पालंगरण-देखो 'प्रालिंगण' ।
स्थापन । ३ लगाना क्रिया । ४ थोपना क्रिया। ५ रोपन, | पालंगणी (बी)-देखो 'प्रालिंगरणी' (बी)। जमाव । ६ मंढ़ना क्रिया । ७ कल्पना । ८ भ्रम । प्रालंबरण, (न)-पु० [सं० प्रालंबन] १ आश्रय, अवलंबन ।
६ प्रत्यारोपण। -क-वि० आरोप लगाने वाला। । २ सहारा । ३ साहित्यिक रस का एक विभाग । प्रारोपण-पु० [सं०] आरोपित करने की क्रिया या भाव । प्रालंबरणी, (बौ)-क्रि० १ प्राश्रय, अवलंबन लेना। २ सहारा प्रारोपणौ, (बी)-क्रि० १ अारोपित करना । २ स्थापित करना। लेना। ३ लटकना ।
३ लगाना, जमाना । ४ मंढना । ५ रोपना । ६ धारण | पालंभरण, (न)-पु. १ छूना, स्पर्श । २ पकड़ । ३ मिलन । करना । ७ शोभित होना । ८ दोष लगाना, कलंकित ४ वध । करना।
प्राळ-स्त्री०१ युद्ध, लड़ाई । २ झंझट,बखेड़ा । ३ झूठ, असत्य । आरोपा-वि० दृढ़, अटल ।
४ मोर,मयूर । ६ खेल, केलि । ७ छेड़-छाड़ । ८ आलस्य । पारोपित-वि० [सं०] लगाया हुआ, स्थापित, मंढ़ा हुआ,
९ मादा पशुओं की योनि। १० घोंसला। ११ कलंक । रोपा हुआ।
१२ विपदा । १३ संसार चक्र । -वि० व्यर्थ, फिजूल । पारोपौ-पु० १ चमत्कार, देवप्रभा । २ बड़ा या उत्तम कार्य। सामान्य,साधारण। -जंजाळ, झंझाळ-पु० प्रपंच, मायामोह, __३ देखो 'आरोप'।
मोहाजाल स्वप्न, जंजाल । पारोमार-पू० स्तनों से दूध सूखने की क्रिया या भाव।। पाल-स्त्री० १ हरताल । २ एक पौधा जिसकी जड़ व छाल से __-वि० लुप्त ।
लाल रंग बनता है। ३ इस पौधे से बना रंग । ४ लौकी, पारोह-पु० [सं०] १ चढ़ाई । २ आक्रमण । ३ सवारी।
धीया । ५ गीलापन, प्रार्द्रता। ६ लड़की की संतान । ४ क्रमशः उत्तमोत्तम योनि । ५ विकास, उत्थान ।
७ आंसू । -ौलाद-स्त्री० बाल-बच्चे, परिवार। वंश । ६ आविर्भाव । ७ नितंब । ८ स्वरों का चढ़ाव । ९ सीढ़ी ।
एक कीडा। १० ग्रहण के दश भेदों में से एक । ११ सवार । -क- पालका-स्त्री० छिपने की क्रिया या भाव । पु० सवार, आरोही । -ए-पु० सवारी, चढ़ाई। पाळग-देखो 'अळग'। प्रादुर्भाव । सीढ़ी, निसेनी ।
प्राळगणी, (बौ)-क्रि० [सं० प्रालग्न] १ मन लगना, बहलना । प्रारोहणौ (बौ)-१ प्रारूढ़ होना, सवार होना। २ चढ़ना ।।
२ संतोष या चैन मिलना । ३ अच्छा लगना, सुहाना ३ प्रादुर्भाव होना । ४ अंकुरित होना ।
लगना। प्रारोहा-स्त्री० सवारी । चढ़ाई।
पाळटोळ-स्त्री० टालमटोल, बहाना । प्रारोहित-वि० चढ़ा हुअा, ऊपर गया हुआ ।
प्रालण-पु० [सं० आद्रण] १ खीच में दाल का मिश्रण। पारोही-पु० १ चढ़ा हुआ सवार । २ पारोहण करने वाला।
२ रसदार सब्जी में दही व बेसन का मिश्रण । ३ मालस्य । ३ संगीत में स्वर साधन का भेद विशेष ।
पाळणी (बी)-क्रि०१ मालस्य करना । २ थकना, निराश होना।
३ पराजित होना, हार मानना । पारोहौ-पु० तीर, बाण । २ चढ़ने वाला, सवार ।
पालणौ (बौ)-क्रि० १ देना । २ गमन करना, जाना। पारोह य-देखो 'आरोह' ।
३ कहना । ४ छोड़ना, त्यागना । प्रारी-पु० [सं० पारक] १ बड़ी गंडुरी। २ भट्टी का चूल्हा । पालत-स्त्री० हँसी-मजाक ।
३ सर्प की कुडली । ४ चक्र । ५ कपड़े या रस्सी का चक्र । पालतौ-वि० लाल । ६ बैलगाड़ी के पहिये का एक भाग । ७ हल्ला, अावाज । पालथी-पालथी-स्त्री० पालथी। ८ समय । ९ जैनियों द्वारा माने गये दश काल विभागों प्राळपंपाळ-देखो 'पाळ झंझाळ' । में से एक । १० देखो 'पार' ।
| ग्रालप-देखो 'अल्प'।
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