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प्राडियो
प्रातम
प्राडियौ-गु० १ सामान लादते समय गाड़ी के आगे लगाया का एक भेद । ६ एक वणिक छंद । ७ प्रथम ढगण के भेद
जाने वाला डंडा । २ एक प्रकार का पारा । ३ बांह से नाक का नाम । -उद्भवन-पु० वीर्य । -कंद-पु० ईश्वर,
पोंछने की क्रिया या भाव । ----वि० समान, बराबर । विष्ण । -कर, कारी-वि० सुखकर, हर्षप्रद । –घरण-पु० प्राडी-स्त्री० १ पहेली । २ धरातल के साथ लम्बाई ।। ईश्वर । श्रीकृष्ण । श्रीविष्णु । -निध, निधी-पु०
३ देखो 'याड' । ४ देखो 'पाडौ'। ५ देखो ‘ाड़ी'। ईश्वर । अानन्द का सागर । --प्रोळ-वि० समस्त, सम्पूर्ण । -टांग-स्त्री० रास्ता आणंदरणी-वि० प्रानन्द देने वाला। रोकने या चनने हो को गिराने हेतु लगाई जाने वाली पांव पाणंदरणौ (बौ)-क्रि० आनन्दित होना, हर्षित होना । की रोक, लत्ती । २ वाधा, विध्न । -धार-स्त्री० तलवार आणंदित-वि० [सं० ग्रानन्दित] हर्षित, प्रसन्न । की धार । ---माळ-स्त्री० गांव की सरहद की समस्त कृषि प्रारण-देखो 'मासन'। भुमि । इस भूमि में होने वाली एक सी फसल । प्राणौ, (बौ)-क्रि० १ आना, प्रागमन होना । २ उपस्थित - लीक, लोह-वि० हद से ज्यादा, असीम ।
होना। ३ जन्मना, अवतरित होना । ४ प्राप्त होना। प्राडीयौ देखो 'ग्राडियौ'।
५ लौटना । ६ जानना, समझना । ७ किसी कार्य की क्रिया प्राडू पु० १ लकड़ो या पत्थर चीरने का लौहे का बड़ा अौजार ।। याद होना। ८ सीख लेना ।
२ खट्टे-मीठे स्वादवाला एक प्रकार का फल । अातंक, (ख, ग)-पु० [सं० अातंक] १ भय, डर । २ प्रभाव, -क्रि० वि० सम्मुख, प्रागे ।
रौब । ३ तनाव जोश । ४ उपद्रव । ५ वेग । ६ क्रोध, प्राडेअंक-वि० बेहद, अपार ।
गुस्सा । ७ रोग, पीड़ा। प्राटेकट-त्रि० वि०१ आम लोगों के लिए। २ ग्राम तौर पर । प्रातकरी-वि भयानक डरावना. ग्रातंकित करने वाला। -वि० समस्त, सम्पूर्ण ।
मातंगी-पु० यमराज। पाखंड-वि०१ निर्वाध, खुला। २ स्वतन्त्र । ३ विरुद्ध ।। प्रात-देखो 'ग्राथ' । कि वि० वेरोक-टोक ।
प्रातरणी-स्त्री० १ पुजारिन । २ देखो 'प्राथगी'। प्राडेछाज-पु० भूप से अनाज साफ करने की क्रिया विशेष । प्राडेफरे-पु० रेतीले टीबे या पहाड़ का मध्य भाग ।
प्रातताई, (तायी)-वि० [सं० आततायी] १ अत्याचार करने प्राड अंक- देखो 'या अंक' ।
वाला, सताने वाला । २ क्रूर शासक । ३ हत्यारा । पाडोवळौ-देखो 'पाडवळो' ।
४ दुष्ट, अत्याचारी। -पु० डाकू । प्राडोस-पाडोस -'पाड़ोस-पाड़ोस' ।
प्रातप-पु० [सं०] १ धूप, घाम । २ गर्मी, उष्णता । ३ प्रकाश । प्राडोहल्लणौ (बौ)--क्रि० १ मदद करना । २ विरुद्ध चलना ।
४ अांच, ताप । ५ ज्वर । -वारण -पु० छत्र, चंवर, छाजा ।
प्रातपत्र-पु० [सं०] १ छत्र, चंवर । २ छतरी। पाडौ-वि० (स्त्री० पाडी) १ विरुद्ध, विमुख । २ चौड़ाई के पआर-पार । ३ सम्मुख, सामने । ४ महायक, मददगार ।
प्रातम-पु० [सं० पात्मन] १ अात्मा । २ अंधकार, अज्ञान । ५ रक्षक । ६ रोकने वाला, वाधक । ७ धरातर के
३ मन । ४ अहंकार । ५ धर्म । ६ स्वभाव । ७ बुद्धि, चित ।
८ संसार । ९ परमात्मा । १० ब्रह्म । ११ जीव । ममानान्तर । -पु० १ द्वार, दरवाजा । २ कपाट, : किवाड़ । ३ प्रोट, परदा । ४ शयन । ५ निंदायुक्त कविता ।
[सं० पात्मज] १२ संतान । -वि० निजी, अपना । प्रात्म, ६गेक। -क्रि० वि० वीच में, मध्य में । अंबळो-क्रि०
स्वकीय । ----ग्यांन-पु० जीव और ब्रह्म के विषय में
जानकारी, ज्ञान । सत्यज्ञान । -ग्यांनी-पु० आत्म ज्ञानी, वि० वर-उधर । जैसे-तैसे । ---वि० टेढ़ा । -तिरछा ।
ऋषि, ज्ञानी । -धात-स्त्री० अात्महत्या। -घातक, प्राडि, श्राडी-कि० वि० रुकावट डालते हुऐ। -खेमटौ-पु०
घाती-वि० अात्महत्या करने वाला । -ज, जात-पु. मगंद की तेरह मात्रीय ताल --घंस = 'गाडी मारग' ।।
पुत्र, लड़का । कामदेव । रुधिर । शरीर। ---जोरणी-पृ० --- चौताको ठेकौ-पु. एक ताल । --मारग-पु० प्रांखों के
ब्रह्मा । वि। शिव । कामदेव । प्रात्मजात । ..त्यागममानान्तर दाई-बाई ओर का मार्ग ।
-० स्वार्थों का त्याग । --दरस, दरसरण-पु० समाधि प्राढ़त देवा 'पाड़ा'।
द्वारा प्रात्मा व परमात्मा का दर्गन, जीणा, दर्पण । श्राढ़ातियो-देखो 'ग्राइनिया' ।
-----द्रोही-वि० स्वयं को कष्ट देने वाला । ---भु, भू-वि० पाणंद-पु० [सं०ग्रानन्द] १ हर्ष, खुशी। २ मनोरंजन, ग्रामोद- स्वतःउत्पन्न, स्वयंभू । -पु० ब्रह्मा। विष्णु । कामदेव ।
प्रमोद । ३ उत्माह । ४ विष्णु, ईश्वर । ५ 'वेलियो नागोर' पुत्र । -रांम-पु० परमात्मा । आत्मज्ञान प्त योगा।
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