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प्रांखड़ी
( ८९ )
प्राटी
प्रांखड़ो-पु. १ कोल्हू के बैल की आंखों का ढक्कन । प्रांगुळी, प्रांगूळी-देखो 'अंगुळी' ।। २ देखो ' ख'।
प्रांगू, प्रांगौ-पु० १ स्वभाव, प्रकृति । २ कवच, बस्तर । प्रांखफूटणी, प्रांखफोड़-स्त्री० एक प्रकार की लता व उसका फल । ३ शरीर, अंग । ४ कृषि कार्य में हिस्सा । ५ रूप, स्वरूप । अांखमीचरणी-स्त्री० अांख-मिचौनी का खेल ।
पांच-स्त्री० [सं० अचिष्] १ आग, अग्नि । २ आग की लो। प्रांखरातंबर-पु० ऊंट।
३ ताप, गरमी । ४ प्रकाश, तेज । ५ जोर, भार । प्रांखांलाल-स्त्री० १ कमेड़ी, पंडुकी। -पु० २ ऊंट ।
६ कष्ट । ७ परेशानी । ८ हानि । ६ चोट, प्रहार । प्रांखि, प्रांखी-देखो 'प्रांख' ।
१० भय, डर । ११ क्रोध । १२ जोश ।-वि० किंचित, थोड़ा। प्रांखुडणौ, (बी)-देखो 'आखड़णो' (बौ)।
पांचभ (भौ)-देखो 'अचंभौ'। प्रांग-पु० [सं० अंग] शरीर, अंग ।
प्रांचळ-पु० [सं० अंचल] १ उरोज, स्तन । २ देखो 'अंचळ' । प्रांगड़ियो-वि० अंगरक्षक ।
प्रांचळरणी, (बौ)-क्रि०१ आच्छादित करना। २ प्रक्षालन करना । प्रांगण, (गउ)-पु० [सं०अंगण] १ घर का भीतरी भाग, सहन, प्रांचळी-देखो 'अंचळ' । चौक । २ धरातल । ३ गुनाह, अपराध ।
पांचांतरणौ--वि० ऐंचाताना । प्रांगणारीडावडी-स्त्री० दासी, परिचारिका ।
प्रांच-क्रि०वि० तेज, शीघ्र, शीघ्रता से । प्रांगरिणयौ, प्रांगणी-देखो 'प्रांगण' ।
पांचौ (छौ)-पु० शीघ्रता, ताकीद । प्रांगणौ (बौ)-देखो 'प्रांगमणी' (बौ)।
प्रांडू-पु० ग्राभूषण विशेष ।। प्रांगनियौ-पु० स्त्रियों के कान का प्राभूषण ।
प्रांजणी-स्त्री० प्रांख की पलकों पर होने वाली फुसी। प्रांगम, (रण)-पु० १ साहस । २ उत्साह । ३ शक्ति, बल । | प्रांजणी-पु० दहेज । (जाट)।
४ निश्चय । ५ काबू अधिकार । ६ विचार । ७ स्वीकृति, प्रांजरणौ, (बौ)-क्रि० १ अांखों में अंजन लगाना । स्वीकार । -वि० दबाने वाला।
२ साफ करना। प्रांगमणी-स्त्री० १ अधीनता । २ पराजय । ३ अधिकार ।। प्रांजळी-देखो 'अंजळी' । ४ देखो 'प्रांगमण'।
प्रांजस-देखो 'अंजस'। प्रांगमणी, (बौ)-क्रि० [सं० अभ्यगमनम्] १ निश्चय करना। प्रांजसरणौ, (बौ)-देखो 'अंजसणी' (बी)।
२ साहस करना । ३ सहन या बरदाश्त करना। ४ साध्य | प्रांजुळी-देखो 'अंजळी' । समझना, गालिब होना । ५ पराजित करना, दबाना। प्रांट, प्रांटड़ी-स्त्री० १ ऐंठन, तनाव । २ क्रोध । ३ शत्रता, ६ स्वीकार करना । ७ विचार करना । ८ अधिकार में दुश्मनी । ४ हेकड़ी । ५ हठ, जिद्द । ६ कपट । ७ दांव, करना।
वश । ८ प्रतिज्ञा, संकल्प । ६ मोड़, घुमाव । १० बांकुरा प्रांगळ-पु० [सं० अंगुल] १ अंगुली की मोटाई । २ अंगुली। पन, वीरता । ११ घमंड, गर्व । १२ मनमुटाव ।
३ आठ जव के बराबर का नाप । -वि० अंगुली की १३ अंगूठा और तर्जनी के मध्य का भाग । १४ देखो 'अंट' । मौटाई के बराबर का माप ।
१५ देखो 'प्रांटौ' । १६ देखो 'अंटी'। प्रांगळड़ी, प्रांगळी-देखो 'अंगुली' ।
प्रांटण-पु० [सं० अट्टन]१ गांठ, ग्रंथि । २ ऐंठन । ३ चर्मग्रंथि । प्रांगळीझल-पु० पुनर्विवाह में स्त्री के साथ रहने वाली पूर्व प्रांटरोकोट-पु० यौ० पान-वाला वीर । पति की संतान ।
प्रांटल -वि० १ शत्रु, दुश्मन । २ द्वेषी । ३ नीच, दुष्ट । प्रांगवरण-देखो 'प्रांगमरण' ।
प्रांट-सांट-स्त्री०यौ० १ गुप्त अभिसंधि, साजिश । २ मेल-जोल । प्रांगवरणी,(वारणी)-देखो 'प्रांगमरणी' ।
प्रांटा-क्रि०वि० निमित्त, लिए, वास्ते। -दार-वि० घुमावदार, प्रांगस-देखो 'अंकुस'।
वक्र । लपेटदार । वीर । प्रांगिमिरिण-देखो 'यांगमणी' ।
प्रांटायत, (तौ)-पु. (स्त्री० प्राटायती) शत्रु , दुश्मन । प्रांगी-१ अंगिया, चोली, कंचुकी । २ पुरुषों का एक पहनावा ।
प्रांटियौ-पु० कवच को जोड़ने की कड़ी। ३ जैन मूर्ति का पहनावा ।
श्रांटी-स्त्री० [सं० अंड] १ ईर्ष्या, द्वेष । २ शत्रु ता, वैर ।
३ ऐंठन, तनाव । ४ उलझन, फंदा। ५ कुश्ती का एक प्रांगीठ-देखो ‘अंगीठ'।
दांव । -वि० १ टेढ़ी, तिरछी, वक्र । २ ऐंठनभरी । प्रांगुठौ-देखो 'अंगूठौ'।
३ घुमावदार । ४ देखो 'अंटी' । —परण, पणौ-पु० शक्ति, प्रांगुळ-देखो 'अंगुळे'।
बल । वैर, शत्र ता। द्वेष । -लौ-वि० गविला, घमंडी ।
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