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चांटी-टाटी
मान-मर्यादा वाला । रूठने वाला । वैर लेने वाला । गेटर (स्त्री० घांटीनी)। प्रांटी-डाटी स्त्री० एक देशी खेल ।
(ट) कि०वि० लिऐ वाग्ले, निमित्त द
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प्रॉटेल- देखो 'ग्रांटीली' |
ग्रांटी - पु० [सं० श्रट्ट ] ( स्त्री० ग्रांटी) १ बदला । २ शत्रुता, वैर । ३ लपेटा । ४ युद्ध । ५ घुमाव, चक्कर । ६ उलझन । ७ बंधन | = कोई ऐसा पदार्थ या बात जिसके उद्देश्य से या उसके प्रति कोई कार्य या प्रक्रिया की जाती है। - वि० १ जैसा का तैसा । २ व टेढ़ा । ३ उलझन भरा। अंबळौ - वि० टेढा-तिरछा । दुःखी । -टूटो, टेढ़ौ-वि० टेढ़ा-मेढ़ा। जीर्ण-शीर्ण । प्रांठ-गांठ- वि०
० १ पूर्ण पूरा । २ सव तरह से बढ़िया ।
प्रां पु० १ चौपाये जानवरों के अगले पैर व छाती के जोड़ का
स्थान । २ साहस, हिम्मत |
प्रांठेब (व) - पु० सहायक, रक्षक ।
ब्रांड - पु० [सं० अंड] अंडकोश 1
प्रांडळ - वि० १ बड़े अण्डकोश वाला । २ आलमी सुस्त ।
प्रांडिया- पु० अण्डकोश ।
श्रांडू - वि० ग्रण्डकोश युक्त ।
श्रां पु० करोल का काला फल ।
प्रांत स्त्री० [सं० प्राज्ञा १
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३ श्राज्ञा, आदेश । ४ हुकूमत ६ वायु - वि० अन्य दूसरा डांस स्त्री० दुहाई, सौगंध दुबाई - स्त्री० दुहाई, आज्ञा, प्रां' - देखो 'ग्रसरण' । प्रांगण - देखो 'प्रांनन'
।
करना ।
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गौगंध २ घोष
दुहाई।
[ सं०अधुना ] ५ चालू वर्ष ।
सर्व० इन इस यह ।
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दवाई, बांस, दुधाई,
प्रदेश । |
'प्रांतन पांच' ।
पंच (बी) प्र० [सं० घामयन] १ पाना २ उपलब्ध
प्रांरण- मांरण-पु० इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । आरणा स्त्री० [सं० प्राज्ञा ] हुक्म, आदेश, आज्ञा । लाल बो०क्रि०१ मंगवाना २ उपलब्ध कराना | रियाली पु० १ गौना, विदाई२ बहु को सुसराल व बेटी को मायके ले जाने का बुलावा । ३ बुलावा । --एढौ, टांगौ-मांगलिक अवसर | विवाह आदि विशेष उत्सवों का समय मुकळावी पु०गीना, द्विरागमन (डीडी) पु० [सं० यंत्र ] १ प्राणियों के शरीर में होने वाली पेट से गुदा तक की नली, अंतड़ी, यंत्र । २ ममता ।
प्रांत
प्रांतर-१ देखो 'अंतर' । २ देखो 'प्रांत' । प्रांतरउ - देखो 'प्रांतरी ।
प्रांतरड़ौ-१ देखो 'प्रांत' । २ देखो 'अंतर' । प्रांतरगड़ी (व गेढ़ी) स्त्री० पशुयों के प्रांतों की यल देकर थी हुई पिंडी जिसे सेंक कर खाया जाता है। प्रांतराळ - देखो 'प्रांत' ।
तरिया १ देखो 'पति' २ देखी 'अंतर' प्रांत-देखो 'पान'
प्रांतरे (१) ०वि० [सं० [अन्तर] दूर, दूरी पर परे श्रांतरौ, प्रांतारौ प्रांतिरौ - पु० [सं० अन्तर ] १ फासला, दूरी । २ वियोग, विछोह । ३ क्लिम्ब । ४ देखो 'प्रांत' । -पु० कष्ट, दुःख ।
जिसके पत्ते वात रोग में काम
प्रांती- वि० तंग, हैरान परेशान। प्रतिरौ - पु० कांटेदार लाल वृक्ष आते हैं ।
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प्रांतली पु० पशुओं की पीठ पर लादे भार का संतुलन प्रांत्र, श्रांत्रवळ-देखो 'प्रांत' ।
प्रांथरण- देखो 'प्राथा' ।
सांपोटी देखो।
देखो 'पांधी'
(हलो) देवो'घाउली'। प्रदाझाड़-देखो 'प्रधाझाड़ौ' ।
चांदाही धाउळी'
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प्रांधावली वि० 'अंधेरी' ।
श्रांधरी, प्रांधळ-देखो ग्रांथौ ।
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प्रांदी देखो 'प्रांधी'।
प्रांरसी' प्रांधीआरसी' । - 'प्रांधी खोपड़ी' । झांड़ौ = 'प्रांधा झाड़ी' ="प्रांची दंडुळ बाई 'घांधी बाई । घोळ पु० [सं० पांदोलन] १ हलचल । २ धूमधाम । ३ विद्रोहात्मक कार्य । ४ बार-बार हिलाबदलाव
घोळ
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बांधी
प्रांदोबाली - पु०नहरुप्रा रोग जिसका कीड़ा बाहर नहीं निकलता । शादी देखो पांच' ।
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धळपट० एक खिलाड़ी की बांधकर खेला जाने वाला एक खेल ।
ळि
घळांची
आंधळी स्त्री० [सं०] अधः पुष्पी ] १ लटजीरा या चिड़चिड़ा नामक क्षुप जो छितरा कर उगने वाली वनस्पति होती है। वह औषधि के काम आती है ।
प्रांधाझाड़ी, प्राधोझाड़ौ-पु० अपामार्ग नामक पौधा ।
होळी देखाउ
- खोपड़ी डंडूळ, डंबर
प्रांधी-स्त्री० १ प्रखर व तीव्र वात चक्र जिसमे जमीन की गर्द उड़कर आकाश में छा जाती है, तूफान, भावान