________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गांमनी
( १२ )
प्रांइठारण
प्रांमनौ-सामनौ-पु० परस्पर मुकाबना।
| प्रांवरण-१ देखो 'जावरण' । २ देखो 'प्रांवळ' । प्रांममारग-१० ग्राम राम्ना । राज पथ ।
प्रांवरत-पु० १ सेना का घेरा । २ युद्ध । प्रांमय पु० सं० प्रामय] १ रोग, बीमारी । २ प्राधात, चोट । प्रांवळ-पु. १ गर्भस्थ शिशु पर लिपटी रहने वाली झिल्ली । सर्व० इनमें।
२ एक पौधा विशेष । ३ बैल गाड़ी के पहिये का एक प्रांमल--. भाला । २ राज्य कर्मचारी। ३ छोटी फौज ।
उपकरण । ४ देखो 'प्रांवळ' । ---नाळ-पु० जरायु, जर । प्रांमळणी (बी)-क्रि० १ जोश बताना। २ भुजा ठोकना। प्रांवळणी, (बौ)-क्रि० १ मरोड़ना, ऐंठना । २ घुमाना । ३ उत्तेजित होना।
३ लपेटना। प्रांमलबागी, (बांगो)-स्त्री० गुड़ मिला इमली का रस । प्रांवळा-पु० १ स्त्रियों के पैर व हाथों में धारण करने वाला प्रांमळी-वि. निर्मल, विमल ।
सोना या चांदी का आभूषण । २ औषधि के काम प्रामली-स्त्री० [सं० इम्लिका] १ इमली का पेड़ या फली। आने वाला एक फल । -इग्यारस-स्त्री० फाल्गुन २ जटित सिरपेच ।
शुक्ला एकादशी। -मूल-वि० शृगार युक्त । सुसज्जित । प्रांमसामहा, प्रांमौ-सांमही-क्रि०वि० मुखातिब, प्रत्यक्ष, सामने ।। योद्धा। -मम, मी, नौमी-स्त्री० कार्तिक शुक्ला नवमी। प्रांमाजीरण-प्रांव के कारण होने वाली बदहजमी ।
----सार, सार गंधक-पु० साफ किया हया पारदर्शक गंधक । प्रांमास-पु० [सं० ग्रावाम] १ आवाम, घर, मकान । २ आकाश। प्रांवळो-स्त्री० १ गुदा की नलिका । २ देखो 'प्रांवळ' । ३ आमखाम।
प्रांवळी-पु० [सं० आमलक] १ औषधि में काम आने वाला एक प्रआमासय-पु० सं० ग्रामाशय] पेट के अन्दर की वह थैली फल व उसका वृक्ष । २ स्त्रियों के पैरों का आभूषण । ___जिसमें भोजन एकत्रित होकर पचता है।
३ बैलगाड़ी के पहिए पर बांधा जाने वाला डंडा । प्रांमिक्ख,प्रांमिख-देखो'पामिम'।-चर, आहारी = 'प्रांमिसचर'। ४ देखो 'ग्रंवळी' (स्त्री० आंवळी)। प्रांमिल-पु० [अ० अामिल) १ हाकिम, अधिकारी। २ दक्ष, प्रांवा, पावा-पु० कुम्हारों का, बर्तन पकाने का गड्ढा ।
कारीगर । ३ जादू टोना करने वाला । ४ देखो 'प्रांबिल'। प्रांसढ़ियौ-पु. एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। प्रमिस-पु० [सं० ग्रामिप] मास, गोस्त ।
आंसू, (मांसूड़ा,) अांसूड़ौ-पु० [सं० प्रथु] अश्र, प्रांसू । - प्रहार, चर, हार-वि० मांसाहारी, मांस भक्षी। ___-ढाग-स्त्री० घोड़े के नेत्र के नीचे की अशुभ भौंरी। प्रांमिहणौ-देखो 'अम्हीण' (स्त्री० प्रांमिहणी)।
प्रांहचौ-देखो 'पांचौ'। प्रांमीजरणौ, (बौ)-देखो ‘प्रांबीजणौ' ।
हा-अव्य० नकारात्मक ध्वनि, इन्कार । प्रामीणो (हरणी)-देखो 'अम्होगी।
प्रांहोरगी-देखो 'प्राइणी'। प्रांमुख-पु० [सं० प्रामुख] १ किमी रचना की प्रस्तावना। प्रांहीरगौ-देखो 'ग्रहीगौ' । २ देखो 'यांमिस'।
ग्रा-पु० [सं०] १ शिव । २ कल्पवृक्ष । ३ ब्रह्मा । ४ चन्द्रमा । प्रांमू-देखो 'ग्राम'।
५ चागपय । ६ पितामह । ७ हाथी । ८ घोड़ा। प्रमोद-पु. स. ग्रामोद] १ मनोरंजन, दिल-बहलाव । परिश्रम । १० नेत्र । -स्त्री० ११ स्तुति । १२ लक्ष्मी।
२ अानन्द, हर्ष । ३ मौरभ, सुगंध । -प्रमोद-पु. -वि० श्वेत। -क्रि०वि० १ और । २ इसको । ३ शब्दों के मनोरंजन । भोग विलास । हसी-खुशी।
पूर्व लगने वाला उपसर्ग । -सर्व० यह । (स्त्री०) प्रांमौ-सांमहौ-क्रि०वि० सम्मुख, सामने ।
आपरौ-देखो 'पासरौ'। प्राम्नाय-देखो 'आमना' (य)।
आइंदा-पु० [फा० पाइन्द] आने वाला समय, भविष्य । प्रांम्रकूट, (गिरि)-पु. एक पर्वत विशेष ।
कि० वि० भविष्य में, आगे से, दुबारा, फिर से । प्राम्ही-सांम्हौ, (सांमा, सांम्हौ)-देखो 'सामने-सामने' ।
--वि० प्रागंतुक । प्रायणी, प्रांयिणी-देखो 'प्राइगणी' ।
प्राइ-सर्व यह । -क्रि०वि० १ इस प्रकार, ऐसे । २ देखो 'आई' । प्रायणी-देखो 'ग्रहीगौ' ।
आइइता-क्रि०वि० १ प्रादि, इत्यादि । २ इसी प्रकार । प्रांर-पु. आंसू, अथु। प्रांरे-म० इनके।
प्राइडौ-पु० वर्णमाला का 'अ' स्वर । प्रारौ सर्व० (स्त्री० प्रांरी) इनका ।
पाइठरणा, प्राइठाण-पु० [सं० अधिष्ठानम्] १ हाथ या पांव प्रांव -० [सं० ग्राम] १ कच्चा व प्राचगत मल । २ एक की अगुलियों में अधिक कार्य या रगड़ से सुत्र होकर पड़ने रोग । ३ देखो 'प्राम' ।
वाली चमड़ी को ग्रथि, चर्मग्रंथि । २ चिह्न, मंकेत ।
For Private And Personal Use Only