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इरो द्धाति, इति वा ।। इशं दारयते इति वा । इन्दवे-द्रवति इति ना !
इन्दौ, रमते इति वा| . इन्धे भूतानि इति वा । .इद: करणात्-इति श्रात्रायणः ।
बई दर्शनात-इति औपमन्यवः । बन्दले की ऐश्वर्य कर्मणः ।
इन्दनः शत्रूणां दारयिता वा द्रावयिता वा । ...आदरयिता वा यज्वानाम् ।
अर्थ-'इरा' नाम अन्न का है. अतः जो अन्न दाता है. तथा अम का धारक है, अथवा अन्न को यिदार्ण करता है वह इन्द्र है। अथवा इन्दबे जो सोम के लिये चलता है. सोम में रमण करता
तथा प्राणियों को तिमान करता है वह, इन्द्र है । .. श्वं प्रामायण ऋषि का मत है कि इएं. इसने यह शरीर रचा है. इसलिये इसका नाम इन्द्र है । अर्थात् जीवात्मा.
औषमन्यत्रों का कथन है, प्रात्मद्रष्टा होने से इन्द्र है। तथा गंश्रयवान होने से उसका नाम इन्द्र है।
अथवा शत्रुओं को दारण करने से या भगादेने से यह इन्द्र हुश्रा है।
एवं यजमानों ( याज्ञिकों ) का आदर करने वाला है. इसलिये