________________
अनुयोगद्वारसूत्रे इति सत्रेण छप्रत्यये सिद्धिः। मृल-रण्णा ससुराए. रणो नामाउए' इत्यादि
या-समीवाथै अदूरमवाथै 'अदूरभवश्व' इत्यण तद्धितप्रत्ययेन यन्नाम निष्पद्यते-तत् समापनाम । यथा-गिरेः समीपे नगरं-गैर-गिरि तटम, विदिशायाः समीपे नगरं वादश नगरम्, वेन्नायाः समीपे नगरं - वेन्नातटं, तगरायाः समीपे नगर तागर-तगरावटमिति । गिरि नगरम. वेन्नातटम् , तगरातटमिति लोकमसिद्धिः। का ससर राजकीय जामाता-राजा का जमाई इत्यादि । इन प्रयोगों में राजः कच' इस सूत्र से राजन् शब्द में छ प्रत्यय होकर छ को ई प्रत्यय हा है। मूल में "रणा ससुराए, रण्णो जामाउए" हत्या दि विग्रहमात्र दिखलाया है ! (सत संजोगनामे) इस प्रकार यह संयोग नाम है। (से कि तं समीवनामे ?) हे भदन्त ! समीप ना क्या है ? अर्थात समीप अर्थ में तद्धित प्रत्यय संबन्धी अण के होने पर जो नाम बनता है वह कैसा होता है ? (सभोव नामे) वह सीन नाम ऐसा होता है-जैसे (गिरि समीवे णयरं गेरं-गिरिणयर, विदिमा समीचे जयरं-वेदिसं, वेन्नाए समावे घरं-बेन्नायडं, तगराए समीवे मयरं तागरं तगराघडं-से तं समर्मावनामे) गिरि के समीप का नागैर, गिरि नगर,विदिशा के समीप का नगर वैदिश, वेन्ना के समीप का नगर चैन्न वेन्नातट, तगरा के समीप का नगर तागर-सगरातटगिरिनगर, वेन्नातट, तगरावट ऐसी लोक में प्रसिद्धि है। इस प्रकार राज्ञः अयं राजकीयः-श्वसुरः-शन ससरे, राीय माता- समास कोरे मा प्रयोगाभा 'राज्ञः कच' मा सूत्र 3 - Hi' प्रत्यय थईन 'छ' 'ईय' ये छ. भूगमा 'रणो ससुराए, रण्णो जामाउए । पोरे ३४त वि स्पष्ट ४२वामा मा०य छे. (से । संजोगनामे) मा प्रभारी मा यो नाम छ. (से कि त समीवनामे) महत! सभी५ નામ શું છે? એટલે કે સમીપ અર્થમાં તદ્ધિત પ્રત્યય સંબંધી “સ” પ્રત્યય थंवाथा २ नाम निपन थाय छ, त य छे. (समीबनामे) ते समीप नाभ मा प्रभारी डाय छ २५ (गिरी समीवे जयरं गैर-गिरिणयर', विदिशा समीवे जयर-वेदिसं, वेन्नाए समीवे णयर वेन्नं वेन्नाउय तगराए सूमीवे णयर तांगर' तगरायडं-से त' समीवनामे) रिनी पासेनु नगर-२, ગિરિનગર વિદિશાની પાસેનું નગર વિદિશ, વેન્નાની પાસેનું નગર જૈન્ન વિનાતટ, તગરાની પાસેનું નગર તાગર, તગરતટ, ગિરિનગર વેન્નાતટ તગसंत वाम प्रसिद्धि छ. म प्रभावी मा सभी५ नामा छे. (से कि