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6. तीर्थंकर पद्मप्रभ 7. तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ 8. तीर्थंकर चन्द्रप्रभ 9. तीर्थंकर पुष्पदन्त 10. तीर्थंकर शीतलनाथ 11. तीर्थंकर श्रेयांसनाथ–इनके तीर्थ में प्रथम बलदेव (बलभद्र) विजय, वासुदेव
(नारायण) त्रिपृष्ठ और प्रति-वासुदेव (प्रति-नारायण) अश्वग्रीव हुए। 12. तीर्थंकर वासुपूज्य-इनके तीर्थ में द्वितीय बलदेव अचल, वासुदेव (नारायण)
द्विपृष्ठ और प्रति-वासुदेव (प्रति-नारायण) तारक हुए। 13. तीर्थंकर विमलनाथ-इनके तीर्थ में तृतीय बलदेव सुधर्म, वासुदेव स्वयम्भू
और प्रति-वासुदेव मेरक हुए। 14. तीर्थंकर अनन्तनाथ-इनके तीर्थ में चतुर्थ बलदेव सुप्रभ, वासुदेव नारायण
पुरुषोत्तम और प्रति-वासुदेव मधुसूदन या मधुकैटभ हुए। 15. तीर्थंकर धर्मनाथ-इनके तीर्थ में तृतीय एवं चतुर्थ चक्रवर्ती मघवा और
सनत्कुमार हुए। इन्हीं के तीर्थ में पंचम बलभद्र सुदर्शन, वासुदेव पुरुषसिंह
और प्रति-वासुदेव मधुक्रीड़ हुए। 16. तीर्थंकर शान्तिनाथ-यह पंचम चक्रवर्ती भी थे। 17. तीर्थंकर कुन्थुनाथ-यह स्वयं छठे चक्रवर्ती थे। 18. तीर्थंकर अरनाथ-यह स्वयं सातवें चक्रवर्ती थे और इनके तीर्थ में आठवें
चक्रवर्ती सुभौम भी हुए। छठे बलदेव नन्दीषेण, वासुदेव पुण्डरीक और
प्रति-वासुदेव निशुम्भ भी हुए। 19. तीर्थंकर मल्लिनाथ–इनके तीर्थ में नौवें चक्रवर्ती पद्म तथा सातवें बलदेव
नन्दिमित्र, वासुदेव दत्त और प्रति-वासुदेव बलि हुए। 20. तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ-इनके तीर्थ में आठवें बलदेव राम, वासुदेव लक्ष्मण
और प्रति-वासुदेव रावण हुए। राम पद्ममुनि के रूप में समादृत हैं। 21. तीर्थंकर नमिनाथ–इनके तीर्थ में दसवें चक्रवर्ती हरिषेण और ग्यारहवें चक्रवर्ती
जयसेन हुए। 22. तीर्थंकर नेमिनाथ-इनके तीर्थ में बारहवें चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त और नौवें बलदेव
बलराम, वासुदेव कृष्ण और प्रति-वासुदेव जरासंध हुए। 23. तीर्थंकर पार्श्वनाथ-श्वेताम्बर परम्परानुसार इन्होंने चातुर्याम धर्म की स्थापना
की, जिसका विस्तार 250 वर्ष पश्चात् हुए अन्तिम तीर्थंकर महावीर ने
किया। 24. तीर्थंकर महावीर-काल-चक्र के प्रवृत्त-कल्प के अवसर्पिणी काल-खण्ड
38 :: जैनधर्म परिचय
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