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प्रमैयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.५ सू०२ सागरोपमादि कालमाननिरूपणम् २५ पोग्गलपरियट्टा' अनन्तपुद्गलपरिवर्त स्वरूपोऽजीतकालो भवतीति । 'एवं अणागयद्धावि' , एवम नागनाद्धाऽपि अनागतकालोऽपि एवं सगदावि एवं सर्वाद्धा -सर्वकालोऽपि नो संख्यातपुद्गलपरिवर्तवरूपो भवति न वा असंख्यात पुद्गलपरिवर्तस्वरूपो भवति किन्तु अनन्तपुद्गलपरिवर्तस्वरूप एव अतीतकालो.
नागतकालः सर्वकालच भवतीति भावः । 'अणागयद्धाणं भंते ! किं संखेज्जाओ तीतद्धाओ असंखेज्जाओ अणंताओ' अनागताद्धा-अनागतकालः खलु भदन्त ! संख्यावातीताद्धाकालरूपो भवति अथवा असंख्यातातीताद्धारूपो भवति अनन्तातीताद्धारूपो वा भवतीति पृच्छा प्रश्नः । भगवानाह-गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'णो संखेज्जाभो तीतद्धाओ णो असंखेज्जाओ. है किन्तु-'अणंता पोग्गलपरिया' अनन्त पुद्गल परिवर्तरूप होता है 'एवं अणागयद्धा वि' इसी प्रकार से भविष्यकाल भी अनन्त पुद्गल परिवत रूप होता है। संख्यात अपया असंख्यात पुद्गल परिवर्तरूप. नहीं होता है। इसी प्रकार से 'एवं सम्बद्धा वि' सर्वकाल भी अनन्त पुद्गलपरिवर्तरूप होता हैं, संख्यात अथवा असंख्यात पुद्गल परिवर्तरूप नहीं होता है। - 'अणागयद्धा णं भंते । किं संखेज्जाओ तीतद्धाओ असंखेजाओ अणेताओ' इस सूत्र द्वारा श्रीगौतमस्वामी ने प्रभुश्री से ऐसा पूछा है-हे भदन्त ! अनागतकाल क्या संख्यात अतीतकाल रूप होता है ? अथषा असंख्यात अतीतकाल रूप होता है ? अथवा अनन्त अती. तकाल रूप होता है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-गोयमा । नथी. तम असभ्यात पुल परिवत ३५ ५७४ सात नथी. ५२'तु 'अणता पोग्गलपरियट्टा' मानत युदय परिवत ३५ डाय छे. 'एवं अणागयद्धा वि' એજ પ્રમાણે ભવિષ્ય કાળ પણ અન ત પુદ્ગલ પરિવર્ત રૂપ હોય છે સંખ્યાત अथवा मन्यात पुगत परिवत ३५ ता नथी, मेला प्रभारी एवं सव्वद्धा ”િ સર્વ કાળ પણ અનંત પુદ્ગલ પરિવર્તી રૂપ હોય છે, સંખ્યાત અથવા અસંખ્યાત પુદ્ગલ પરિવર્ત રૂપ હેતા નથી.
'अणागयद्धा णं भंते 1 कि स खेज्जाओ तींतद्धाओ अस खेज्जाओ अणताओ આ સૂત્રપાઠ દ્વારા ગૌતમ સ્વામીએ પ્રભુશ્રી ને એવું પૂછયું છે કે હે ભગવન અનાગત કાળ શુ સખ્યાત અતીત કાળ રૂપ હોય છે ? અથવા અસંખ્યાત અતીત કાળ રૂપ હોય છે ? કે અનંત અતીતકાળ રૂપ હોય છે? આ પ્રશ્નના उत्तरमा सुश्री गौतमस्वामी ने छ है-'गोयमा ! णो सखेज्जाओ तोतदार