Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन ...li दर्शाने के लिए उसे पार्श्व में न दिखाकर थोड़ा सामने की तरफ दिखाया
4. कुछ मुद्राएँ स्वरूप के अनुसार दिखाई नहीं जा सकती है अत: उनकी
यथावत् आकृति नहीं बन पाई हैं। 5. कुछ मुद्राएँ स्वरूप के अनुसार बनने के बावजूद भी चित्र में स्पष्टता नहीं
उभर पाई हैं। 6. कुछ मुद्राओं के चित्र अत्यन्त कठिन होने से नहीं बन पाए हैं। __ मुद्रा योग के पाँचवें खण्ड के अन्तर्गत बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक अनुशीलन किया गया है। यह पाँचवाँ खण्ड एकादश अध्यायों में गूंथा गया है
पहला अध्याय भौतिक एवं आध्यात्मिक जगत पर पड़ने वाले मुद्रा के विविध प्रभावों को उपदर्शित करता है।
दूसरे अध्याय में भगवान बुद्ध की मुख्य पांच एवं सामान्य चालीस मुद्राओं का सचित्र वर्णन किया गया है।
तीसरे अध्याय में सप्त रत्न, चौथे अध्याय में अष्ट मंगल, पाँचवें अध्याय में अठारह कर्त्तव्य, छठे अध्याय में बारह द्रव्य हाथ मिलन, सातवें अध्याय में म-म-मडोस ऐसे विविध प्रसंगों में उपयोगी मुद्राओं का सहेतुक चित्रण किया गया है।
आठवाँ अध्याय जापानी बौद्ध मुद्राओं एवं नौवाँ अध्याय भारतीय बौद्ध मुद्राओं का प्रतिपादन करता है।
दशवें अध्याय में गर्भधातु- वज्रधातु मण्डल संबंधी धार्मिक मुद्राओं का निरूपण किया गया है। ___ ग्यारहवाँ अध्याय उपसंहार के रूप में प्रस्तुत है। इस कृति के परिशिष्ट में भगवान बुद्ध के प्राचीन मुद्रा चित्र भी दिए गए हैं।