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38... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन दीर्घ जीवन में सहायक होता है। • यह मुद्रा थायराइड एवं पेराथायराइड ग्रन्थियों
को प्रभावित करते हुए कण्ठ को मधुर बनाता है साथ ही जीवन को उदात्त एवं निर्मल बनाता है। इससे अध्यात्म मार्ग में व्यक्ति की प्रगति होती है। 5. धर्मचक्र प्रवर्त्तन मुद्रा ___ भगवान बुद्ध ने धर्मनीति का प्रवर्तन करते समय जो मुद्रा अंगीकार की थी उसे धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा कहा जाता है। इस मुद्रा का अपर नाम व्याख्यान मुद्रा है। इससे बोध होता है कि भगवान बुद्ध जब प्रवचन करते थे तब इसी मुद्रा को धारण करते थे। ___ चीन में यह मुद्रा चुआं-फा-लुं-यिन, जापान में टेम्बो-रिन-यिन, तिब्बत में चोस-हकोर-फ्याग्रया के नाम से कही जाती है।
बौद्ध परम्परा की यह मुद्रा धर्मचक्र के प्रवर्तन की सूचक है। विद्वज्ञों के अनुसार प्रस्तुत मुद्रा भगवान बुद्ध के वैरोचन और मैत्रेय देव से सम्बन्धित है।
धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा