Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की......55 जागृत करते हुए शरीरगत रक्त, शर्करा, जल, सोडियम आदि का संतुलन करती है। हृदय में अनहद आनंद को उत्पन्न कर सद्भावों का निर्माण करती है। • यह मुद्रा थायमस एवं एड्रिनल ग्रंथि पर दबाव डालती है जिससे मंदता, आलस्य, एसिडिटी, उल्टी आदि का निवारण होता है एवं बालकों की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास होता है। 13. पेंग्-प्लोंग-अर्यु-संग्खन मुद्रा (संसार स्वरूप की चिंतन मुद्रा)
यह मुद्रा थायलैण्ड में उक्त नाम से एवं भारत में ज्ञान निद्रातहस्त मुद्रा नाम से व्यवहत है। यह थाई बौद्ध परंपरा में प्रचलित भगवान बुद्ध की 40 मुद्राओं में से तेरहवीं मुद्रा है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध इस मुद्रा में अवस्थित हो मृत देह को देखकर शरीर की नश्वरता एवं संसार की अस्थिरता आदि का चिंतन किया करते थे, इसलिए इसे भगवान बुद्ध की चिंतन मुद्रा कहा गया है।
इस संयुक्त मुद्रा की रचना विधि निम्न है
पेंग्-प्लॉग-अर्यु-संग्खन मुद्रा