Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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420... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
विधि
हथेलियों को मध्य भाग की तरफ रखते हुए अंगूठों को सीधा रखें, तर्जनी को हथेली में मोड़ें तथा मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका को ऊपर में फैलाते हुए उनके अग्रभागों को जोड़ने पर तथागत दंष्ट्र मुद्रा रचती है।111 सुपरिणाम
• आकाश तत्त्व को नियंत्रित करते हुए यह मुद्रा शरीरस्थ विष द्रव्यों को दूर कर शरीर को तंद्रूस्थ बनाती है। आज्ञा एवं सहस्रार चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा शारीरिक विकास, मस्तिष्क और स्मरण शक्ति का संतुलन करती है। • इस मुद्रा की साधना दर्शन एवं ज्योति केन्द्र को प्रभावित करते हुए क्रोधादि कषाय, नोकषाय, काम-वासना, आसक्ति आदि संज्ञाओं का उपशमन करती है। • इससे मानसिक स्थिरता एवं वैचारिक एकाग्रता बढ़ती है। • पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थियों के स्राव को संतुलित करते हुए यह शरीर की आन्तरिक हलन-चलन शारीरिक तापक्रम एवं शर्करा को नियंत्रित रखती है। 94. तथागत कुक्षि मुद्रा
पूर्व निर्देशानुसार संभवत: यह मुद्रा भगवान बुद्ध के उदर भाग को दर्शाती है। शेष वर्णन पूर्ववत।
तथागत कुक्षि मुद्रा